सेतु के सुपर स्ट्रक्चर बदलने का काम राज्य की एजेंसी करेगी

निर्णय. चार साल में पूरा होगा काम, पश्चिम की ओर से कार्य होगा आरंभ मॉनीटरिंग के काम के लिए बनेगा सेपरेट यूनिट. पटना : हात्मा गांधी सेतु के 1742 करोड़ की लागत से ऊपरी स्ट्रक्चर के बदलाव के काम की देखरेख राज्य सरकार की एजेंसी करेगी. चार साल में इस काम को पूरा किया जायेगा. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 14, 2016 7:42 AM
निर्णय. चार साल में पूरा होगा काम, पश्चिम की ओर से कार्य होगा आरंभ
मॉनीटरिंग के काम के लिए बनेगा सेपरेट यूनिट.
पटना : हात्मा गांधी सेतु के 1742 करोड़ की लागत से ऊपरी स्ट्रक्चर के बदलाव के काम की देखरेख राज्य सरकार की एजेंसी करेगी. चार साल में इस काम को पूरा किया जायेगा. पश्चिम तरफ से काम आरंभ होगा. इस दौरान पुल पर कोई आवागमन बंद नहीं होगा. राज्य में एनएचएआइ के काम को छोड़ कर एनएच के निर्माण से लेकर मेंटेनेंस तक का काम राज्य सरकार द्वारा किया जाता है. एनएच के मेंटेनेंस व सड़क निर्माण के लिए केंद्र सरकार राशि देती है.
लेकिन काम कराने की जिम्मेवारी राज्य सरकार की होती है. राज्य सरकार की एजेंसी द्वारा इसका मॉनीटरिंग किया जाता है. राज्य सरकार को उम्मीद है कि केंद्र सरकार गांधी सेतु के जीर्णोद्धार के काम की देखरेख राज्य सरकार की एजेंसी से कराने पर सहमति प्रदान कर देगी. पहले सेतु के जीर्णोद्धार का काम की देखभाल केंद्र की एजेंसी से कराने की मांग की जा रही थी.
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने केंद्र से ही सुपर स्ट्रक्चर बदलने के काम की जिम्मेवारी लेने पर जोर दिया है. हाल ही में सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के सचिव ने गांधी सेतु के जीर्णोद्धार संबंधी काम की मॉनीटरिंग के लिए सेपरेट यूनिट के गठन की मंशा जाहिर की थी. इसके लिए पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों को सेपरेट यूनिट बनाने के संबंध में अवगत कराया. इससे स्पष्ट संकेत दिख रहा है कि राज्य सरकार को इसकी जिम्मेवारी मिलेगी. एनएच के आधिकारिक सूत्र ने बताया कि सेतु के जीर्णोद्धार के काम की देखरेख राज्य सरकार करेगी. राज्य सरकार द्वारा एनएच के काम की मॉनीटरिंग की जाती है. काम की देखरेख के लिए कंसल्टेंट भी बहाल होंगे. ऐसे कांट्रैक्टर के फाइनल होने के बाद इस पर निर्णय लिये जाने की संभावना है.
सेतु के ऊपरी स्ट्रक्चर के बदलाव के काम में लगभग चार साल लगेंगे. केंद्र सरकार ने ऊपरी स्ट्रक्चर के बदलाव के लिए 1742 करोड़ मंजूर किया है. कांट्रैक्टर को काम अवॉर्ड होने के बाद मरम्मत का समय साढ़े तीन साल रखा है. सूत्र के अनुसार ऊपरी स्ट्रक्चर के बदलाव का काम अप स्ट्रीम यानि पश्चिमी लेन से होगा. समीक्षा बैठक में आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री प्रो चंद्रशेखर, कृषि मंत्री राम विचार राय, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, गृह विभाग के प्रधान सचिव आमीर सुबहानी, आपदा प्रंधन विभाग के विशेष सचिव अनिरुद्ध कुमार, ओएसडी संदीप कुमार आदि मौजूद थे.
काम की मॉनीटरिंग के लिए बनेगा सेपरेट यूनिट
सेतु के जीर्णोद्धार के काम की मॉनीटरिंग के लिए सेपरेट प्रोजेक्ट इंपलीमेंटेशन यूनिट का गठन होगा. प्रोजेक्ट इंपलीमेंटेशन यूनिट में शामिल इंजीनियरों की टीम जीर्णोद्धार के होनेवाले काम की मॉनीटरिंग करेगा. इस काम में एक फूल डिविजन शामिल होगा. इसमें 15 इंजीनियरों की टीम रहेगी. अभी भी गांधी सेतु पर हो रहे काम की देखरेख पथ निर्माण विभाग की एनएच विंग द्वारा किया जा रहा है. काम करने वाले डिविजन के जिम्मे अन्य कार्य भी है. इसलिए सेतु के जीर्णोद्धार के काम में परेशानी नहीं हो इसके लिए एक सेपरेट यूनिट बनाने का निर्णय लिया गया है.
जो केवल सेतु के जीर्णोद्धार का काम देखेगा.
आइआइटी रूड़की की 25 को मिलेगी रिपोर्ट
जानकारों के अनुसार गांधी सेतु के पाये व कंक्रीट की हुई जांच संबंधी आइआइटी रूड़की की रिपोर्ट 25 जुलाई तक मिलने की संभावना है. आइआइटी रूड़की की रिपोर्ट आने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी. ऐसे सेतु के ऊपरी स्ट्रक्चर केबदलाव के लिए 15 जुलाई को टेंडर रिसिव का अंतिम दिन है. इसके बाद टेंडर में भाग लेनेवाले कांट्रैक्टरों के कागजात की जांच होगी. कागजातों की जांच काफी सावधानीपूर्वक की जाएगी. आइआइटी रूड़की की रिपोर्ट को लेकर टेंडर रिसिव के समय में फेर बदल होने कीसंभावना है.

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