करेंट से खलासी की मौत

पटना: मीठापुर बस स्टैंड में बस की छत पर सामान की लोडिंग करते वक्त हाइ वोल्टेज तार की चपेट मे आने से खलासी की मौत हो गयी. मृतक रंजीत कुमार वैशाली के लालगंज थाने का मूल निवासी था और पटना-दरभंगा के बीच चलने वाली त्रिमूर्ति ट्रैवल्स बस में खलासी का काम करता था. सूचना पा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 24, 2014 8:10 AM

पटना: मीठापुर बस स्टैंड में बस की छत पर सामान की लोडिंग करते वक्त हाइ वोल्टेज तार की चपेट मे आने से खलासी की मौत हो गयी. मृतक रंजीत कुमार वैशाली के लालगंज थाने का मूल निवासी था और पटना-दरभंगा के बीच चलने वाली त्रिमूर्ति ट्रैवल्स बस में खलासी का काम करता था. सूचना पा कर मौके पर पहुंची पुलिस ने बस को जब्त कर शव को थाने ले आयी. युवक की मौत की सूचना उसके परिजनों को दे दी गयी है.

दरभंगा के लिए जा रही थी बस : गुरुवार की दोपहर मीठापुर बस स्टैंड से दरभंगा के लिए बस जाने के लिए तैयार थी. 20 वर्षीय बस खलासी रंजीत कुमार यात्रियों का समान बस की छत पर रख रहा था. इस बीच उसका शरीर बस के ऊपर से गुजर रहे हाई वोल्टेज तार के संपर्क में आ गया. उच्च शक्ति करंट प्रवाहित हो रहे इस तार के संपर्क में आने से उसका शरीर बुरी तरह झुलस गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गयी. सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने स्थानीय लोगों की सहयोग से शव को उतारा और थाने लायी.

18 फुट ऊंचाई पर तार : मीठापुर बस स्टैंड पर हाई वोल्टेज का तार काफी ढीला है. इसकी ऊंचाई धरती से महज 16 फुट है. बस खड़ी रहने के दौरान हाई वोल्टेज तार उसके काफी करीब से गुजरता है. ऐसे में कोई व्यक्ति यदि बस पर चढ़ता है, तो उसके साथ हमेशा दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है. स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना विद्युत विभाग के साथ स्थानीय प्रशासन को कई बार दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके कारण गुरुवार को एक बड़ा हादसा हो गया. विदित हो कि मीठापुर बस स्टैंड पर पिछले वर्ष तार की चपेट में आने से दो व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गये थे. इसके बाद विद्युत विभाग ने उस तार को सही करने की बात कही थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

भाई को पढ़ाने के लिए बना था खलासी: वैशाली के लालगंज थाना निवासी रंजीत कुमार के पिता बलराम सिंह पेश से किसान हैं. आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण दो साल पहले गांव के एक परिचित के माध्यम से दरभंगा जाने वाली बस में खलासी का काम कर रहा था. इससे उसको हर माह 4 से 5 हजार रुपये मिल रहे थे. खुद पढ़ा लिखा ना होने के कारण उसका एक सपना था कि छोटे भाई संजीव पढ़ कर सरकारी नौकरी करे, जिसके लिए वह हर दिन कड़ी मेहनत करता था. जून में रंजीत कुमार की शादी होनी थी.

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