नीतीश ने PM मोदी से कहा, विशेष राज्य का दर्जा दें, खत्म करें राज्यपाल का पद

नयी दिल्ली : शनिवार को 10 साल के अंतराल में आयोजित अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के सामाजिक और आर्थिक हालात को देखते हुए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. उन्होंने पूरे देश में शराबबंदी लागू करने की भी मांग की. साथ ही नीतीश ने राज्यपाल का पद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 17, 2016 6:59 AM
नयी दिल्ली : शनिवार को 10 साल के अंतराल में आयोजित अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के सामाजिक और आर्थिक हालात को देखते हुए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. उन्होंने पूरे देश में शराबबंदी लागू करने की भी मांग की. साथ ही नीतीश ने राज्यपाल का पद समाप्त करने की मांग करते हुए कहा कि वर्तमान संघीय गणतांत्रिक परिवेश में इस पद की आवश्यकता ही नहीं है. यदि पद समाप्त करना संभव नहीं है, तो किसी व्यक्ति को राज्यपाल नियुक्त करने और हटाने से पूर्व संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री का मंतव्य भी लिया जाना चाहिए.
बैठक में राज्यपाल के पद को लेकर नीतीश की टिप्पणी ऐसे समय में आयी है, जब हाल में सुप्रीम कोर्ट ने अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल की राज्य में कांग्रेस सरकार की बरखास्तगी को लेकर कड़ी आलोचना की थी. नीतीश ने कहा कि राज्यपालों की नियुक्ति के प्रावधान स्पष्ट व पारदर्शी होने चाहिए तथा किसी व्यक्ति को राज्यपाल नियुक्त करने से पूर्व संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री का मंतव्य भी लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्यपाल की नियुक्ति भले ही राष्ट्रपति द्वारा की जाये, लेकिन राज्यपाल को समय से पूर्व हटाये जाने के संबंध में संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री का परामर्श अवश्य लिया जाये. इसके लिए जरूरी हो तो संविधान के अनुच्छेद 155 में संशोधन भी किया जाये.
उन्होंने केंद्र में सरकार के परिवर्तन के साथ ही राज्यपालों को बदलने की परंपरा पर संविधान के माध्यम से रोक लगाने की भी मांग रखी. उन्होंने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 163 (2) में राज्यपालों के विशेषाधिकार को परिभाषित किया जाना चाहिए. यह विशेषाधिकार मात्र अनुच्छेद 356 के तहत प्रतिवेदन भेजने तक हीसीमित रहे, अन्य सभी मामलों में उन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही अनुच्छेद 200 एवं 201 के तहत कार्य करना चाहिए.
नीतीश कुमार ने केंद्र-राज्य संबंधों पर पंछी आयोग की रिपोर्ट का उल्लेख किया और कहा कि उसने यह भी सिफारिश की है कि किसी मुख्यमंत्री को हटाने से पहले राज्यपाल को सदन के नेता को सदन में बहुमत साबित करने का एक मौका देना चाहिए. इसका अक्षरश: पालन किया जाना चाहिए.
बिहार में शराबबंदी लागू करने वाले कुमार ने पूरे देश में शराब की बिक्री और उसके सेवन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की और कहा कि संविधान में भी इसका उल्लेख है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को पूर्ण मद्यनिषेध लागू करने में पड़ोसी राज्यों झारखंड व उत्तर प्रदेश का सहयोग नहीं मिल रहा है. उन्होंने इन राज्यों से आग्रह किया कि वे बिहार की सीमा से दो किलोमीटर के क्षेत्र में शराब की दुकानें खोलने के लिए लाइसेंस जारी नहीं करें.
उन्होंने कानून व व्यवस्था से संबंधित मामलों में एक नयी केंद्रीय इकाई या तंत्र स्थापित करने का विरोध किया और कहा कि यह केंद्र-राज्य संबंधों में एक बाधा बन सकता है. वित्त मंत्री से राज्य पुलिस को धनशोधन कानून के तहत पांच करोड़ रुपये तक की संपत्ति जब्त करने का अधिकार देने की मांग की.
नीतीश ने बिहार में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के रैपिड एक्शन फोर्स की एक बटालियन की बिहार में तैनाती की मांग करते हुए इसके लिए जहानाबाद जिला में 60 एकड़ भूमि नि:शुल्क उपलब्ध कराने की पेशकश भी की. उन्होंने बिहार में आधार परियोजना के बेहतर समन्वय एवं अनुश्रवण के लिए पटना में पूर्ण रूप से कार्यरत उप महानिदेशक का कार्यालय स्थापित करने की मांग भी रखी.
पुलिस सुधार और पुलिस आधुनिकीकरण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि इस दिशा में केंद्र को राज्यों को अधिक सहयोग देना चाहिए. समान शिक्षा व्यवस्था की वकालत करते हुए उन्होंने केंद्र सरकार से इस दिशा में कदम उठाने की गुजारिश की. सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया और कहा कि स्कूलों में खाना उपलब्ध कराने में शिक्षकों की भूमिका को खत्म किया जाये. केंद्र प्रायोजित योजना में कटाैती किये जाने को गैरजरूरी बताते हुए कहा कि इससे बिहार जैसे पिछड़े राज्यों का विकास प्रभावित हो रहा है. बिहार के लिए विशेष योजना के तहत बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड में कटौती किया जाना सही नहीं है.
मुख्यमंत्री ने फरक्का बराज को हटाने पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि व्यावहारिक दृृष्टिकोण से देखा जाये, तो फरक्का बराज के बनने से उत्पन्न हो रही स्थिति के दुष्परिणाम इसके लाभ से अधिक प्रतीत हो रहे हैं.
पीएम ने कहा, सुरक्षा के लिए खुफिया सूचना साझा करें राज्य
केंद्र व राज्य बने टीम इंडिया
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि दुनिया भर में जो भी घटित हो रहा है, उसे भारत नजरअंदाज नहीं कर सकता और राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में राजनीति को दरकिनार कर आतंकवाद से सख्ती से निपटा जाना चाहिए.
उन्होंने राज्यों से खुफिया सूचना साझा करने का आग्रह किया ताकि आंतरिक सुरक्षा को और मजबूत किया जा सके. शनिवार को दस साल के अंतराल के बाद आयोजित अंतर-राज्यीय परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्रियों से कहा कि इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि आंतरिक सुरक्षा के समक्ष खड़ी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए हम अपने देश को किस तरह तैयार कर सकते हैं. आंतरिक सुरक्षा तब तक मजबूत नहीं की जा सकती, जब तक कि राज्य और केंद्र खुफिया सूचना साझा करने पर ध्यान केंद्रित नहीं करते.
प्रधानमंत्री ने राज्यों और केंद्रों के बीच वार्ता की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह के प्रयासों की सराहना की और कहा कि पिछले एक साल में वह देश भर की पांच आंचलिक परिषदों की बैठक बुला चुके हैं. इस दौरान संपर्क और संवाद बढ़ने का ही नतीजा है कि आज हम सभी यहां एकत्र हुए हैं.
साल के अंत सबको आधार : आधार कार्ड का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि अब हमारे 79 प्रतिशत लोगों के पास आधार हैं. यदि व्यस्कों की बात करें तो 96 प्रतिशत लोगों के पास आधार कार्ड हैं. आपके सहयोग से, इस साल के अंत तक हम देश के प्रत्येक नागरिक को आधार कार्ड से जोड़ देंगे.
30 करोड़ स्कूली बच्चों का भविष्य संवारें : प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यों से स्कूली शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि 30 करोड़ से ज्यादा बच्चे अभी स्कूल जाने की उम्र में हैं.
ऐसे में हमें बच्चों को ऐसा माहौल देना होगा, जिससे वे अपने हुनर का विकास कर सकें. जरूरी है कि बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक बनाया जाये. पढ़ाई ऐसी हो, जहां बच्चे सवाल पूछना सिख सकें, ज्ञान हासिल करें. 21वीं सदी की मांग के अनुरूप हमें नौजवानों को ऐसा बनाना होगा कि वे तर्क के साथ व लीक से हट कर सोचें और अपने काम में रचनात्मक दिखें.
केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा बढ़ा : प्रधानमंत्री ने कहा कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार करने के साथ ही केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़ कर 42 प्रतिशत हो गया है. उन्होंने कहा कि पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों को 14वें वित्त आयोग की अवधि में 2,87,000 करोड़ रुपये मिलेंगे, जो पिछली बार के मुकाबले काफी अधिक है.
40 हजार करोड़ राज्यों को मिलेंगे! : प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि राज्यों के अधिकारों को ध्यान में रखा गया है. कोल ब्लाॅकों की नीलामी से राज्यों को आगामी वर्षों में 3.35 लाख करोड रुपये मिलेंगे. अन्य खदानों की नीलामी से राज्यों को 18 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलेंगे. इसी तरह कैम्पा कानून के जरिये केंद्र सरकार बैंक में रखे 40 हजार करोड़ रुपये को भी राज्यों को देने का प्रयास कर रही है.
सहयोग की कमी के कारण विकास परियोजनाएं प्रभावित: राजनाथ
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने केंद्र व राज्यों के बीच निकट सहयोग की वकालत करते हुए कहा कि इसके बिना विकास परियोजनाएं प्रभावित होंगी. बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि राजग सरकार का मुख्य ध्यान संघवाद अथवा प्रतिस्पर्धी संघवाद के जरिये सहयोगात्मक संघवाद को बढ़ावा देने पर है. हम चाहते हैं कि केंद्र व राज्य सक्रिय सहयोग व समन्वय के माध्यम से विकास से संबंधित नीतियां तय करें और उनको लागू करें. परिषद की बैठक 10 साल के बाद हो रही है. यह केंद्र सरकार की ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात को प्रदर्शित करता है.
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा
पड़ोसी राज्यों को बिहार की सीमा से दो मील दूर तक कोई शराब दुकान का लाइसेंस नहीं िमले प्रकाशोत्सव के लिए बिहार को चाहिए कम से कम पांच सौ करोड़, मिले अभी तक सौ करोड़ सरकारिया आयोग की सिफारिश के आधार पर हो राज्यपालों की नियुक्ति आपात स्थिति को परिभाषित करें सीआरपीएफ के रैपिड एक्शन फोर्स की एक बटालियन बिहार में तैनात की जाये, इसके लिए राज्य सरकार जहानाबाद जिले में 60 एकड़ भूमि नि:शुल्क उपलब्ध कराने को तैयार.
केंद्रीय बलों के प्रतिनियुक्ति के लिए केंद्र सरकार व्यावसायिक नजरिये को त्यागे और इसके संबंधित पूर्व के पूर्व भुगतान के परिपत्र को निरस्त करे.
सीआरपीएफ के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बिहार के लिए अधिक कोटा निर्धारित हो और नि:शुल्क प्रशिक्षण की व्यवस्था हो.
– पांच करोड़ तक की अवैध संपत्ति की जब्ती की शक्ति राज्य पुलिस को भी मिले.
केंद्र सरकार की एसआरइ योजना एवं पुलिस थानों के सुदृढ़ीकरण योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा 85 पुलिस थानों में से 50 का निर्माण पूर्ण कर लिया है. शेष 35 का निर्माण प्राथमिकता पर किया जा रहा है.
गृह मंत्रालय ने देश में 35 सर्वाधिक वामपंथी उग्रवादी हिंसा से प्रभावित जिलों की पहचान की है. इनमें से छह जिले गया, औरंगाबाद, नवादा, जमुई, बांका एवं मुजफ्फरपुर बिहार में हैं.
पुलिस आधुनिकीकरण मद में केंद्र की राशि बढायी जानी चाहिये.
बिहार में आधार परियोजना के लिए पटना में पूर्ण कार्यालय बनाया जाये.
ग्रामीण क्षेत्र में बैंकों की शाखाओं की संख्या को बढ़ाने की आवश्यकता है तथा बैंक खातों को आधार से जोड़ने की गति बढ़ाने हेतु बैंकों द्वारा विषेष अभियान चलाने की आवश्यकता है.
प्रशिक्षित शिक्षक, भौतिक संरचना, शिक्षकों के वेतन और ट्यूशन फी के मामले में निजी विद्यालयों पर भी नजर रखने की जरूरत.
मिड डे मील के दूसरे विकल्प को तैयार करे सरकार
सर्व शिक्षा अभियान में केंद्र लगातार कटौती कर रहा है. इससे शिक्षकों के वेतन के पैसे कम पड़ जा रहे हैं.
14 वें वित्त आयोग में बिहार के हिस्से की कटौती हुई है.
केंद्रांश में कमी आैर राज्यांश में बढोतरी हुई हे. इससे बिहार पर बोझ बढ़ा है.
बिहार जैसे पिछड़े राज्य के लिए सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं में 90:10 का अनुपात रखा जाये.
राज्यों को गंगा के अविरल जल प्रवाह में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने पर भारत सरकार का हस्तक्षेप जरूरी है.
यह उचित होगा कि केंद्र सरकार फरक्का बराज को हटाने के बिंदु पर गंभीरता से विचार करे.
बिहार के शराबबंदी अभियान को पड़ोसी राज्यों से वह सहयोग नही मिल रहा है जिसका अनुरोध उनसे किया गया था. बिहार के सीमावर्ती राज्यों से अनुरोध होगा कि बिहार की सीमा से दो मील के दूरी तक कोई भी सरकारी शराब की दुकान का लाइसेंस नहीं दे और शराब की बिक्री को भी हतोत्साहित करे.
शराबबंदी को संपूर्ण देश में लागू करने पर विचार किया जाना चाहिए. बिहार समेत जिन राज्यों में प्रीमियम की दरें राष्ट्रीय औसत से अधिक है वहां पीएम फसल बीमा योजना में केंद्रांश की राशि बढ़ाकर 90 प्रतिशत की जाये.
राज्य कौशल विकास मिशन के द्वारा सेवा एवं इनके द्वारा अनुमोदित मूल्यांकन/प्रशिक्षण देने वाली एजेंसियों की सेवा को भी सेवाकर से मुक्त करना चाहिए.

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