पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दो–दो सरकारी आवास रखने के मामले में पत्र लिख कर जानना चाहा कि वे मुख्यमंत्री हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री. अगर मुख्यमंत्री हैं तो क्या मुख्यमंत्री के वेतन के साथ–साथ पेंशन लेने का अधिकार है. क्या मुख्यमंत्री रहते हुए पूर्व मुख्यमंत्री के नाते आवास एवं पीए, पीएस की सुविधाएं भी लेनी चाहिए. मोदी इस मामले में पहले भी एक पत्र लिख चुके हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में क्यों ले रहे हैं सुविधा-मोदी
मोदी ने पत्र में लिखा है कि उनके उप मुख्यमंत्रित्व काल में विधानमंडल द्वारा पारित बिहार विशेष सुरक्षा दल (संशोधन) अधिनियम, 2010 में यह उल्लेख तो है कि पदावधि को ध्यान में रखे बिना पूर्व मुख्यमंत्री को पटना शहरी क्षेत्र में नि:शुल्क सरकारी आवास दिया जायेगा, परंतु इसमें ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि पुन: मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री के नाते आवंटित आवास की भी सुविधा मिलती रहेगी.
दो-दो आवास की सुविधा कैसे ?
भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद आपके ही मुख्यमंत्रित्व काल में किसी व्यक्ति को दो–दो आवास की सुविधा को दोहराने से रोकने के लिए ही तो मंत्रिमंडल सचिवालय का भी 2014 का एक संकल्प है कि यदि कोई पूर्व मुख्यमंत्री के अव्यवहत पारिवारिक सदस्य भी पूर्व मुख्यमंत्री रहे तो उन्हें प्रदान की जाने वाली आवासीय सुविधाओं को दोहराया नहीं जायेगा. अगर सरकार के दो–दो आवास के तर्क को मान लिया जाये तो जीतन राम मांझी को पूर्व मुख्यमंत्री के नाते एक आवास के साथ–साथ विधायक के नाते एक अतिरिक्त आवास आजतक आवंटित क्यों नहीं किया गया है.
नीतीश कुमार के बंगले पर उठाया सवाल
मोदी ने अपने पत्र में लिखा है कि जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री के नाते नीतीश कुमार को आवंटित आवास 7,सर्कुलर रोड को करोड़ों खर्च कर सुसज्जित किया गया है क्या उतनी ही राशि खर्च कर डॉ. जगन्नाथ मिश्र और जीतन राम मांझी के आवासों को भी सुसज्जित किया गया है. मोदी ने लिखा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नियमों की गलत व्याख्या करके एक साथ दो–दो बंगले रखने को जायज ठहराने की कोशिश कर रहे हैं जो वेतन के साथ–साथ पेंशन लेने के समान है.