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बिहार के उत्पादों की ब्रांडिंग जरूरी
सेमिनार. मखाना, सत्तू, मक्का, लीची आदि उत्पादों की सूबे में अपार संभावना अंतिम दिन वक्ताओं ने कहा, सिंगल विंडो एक्ट से बिहार में उद्योगों के समन्वित विकास की प्रक्रिया तेजी से रफ्तार पकड़ रही है. पटना : साउथ एशियन यूनिवर्सिटी की सहायक प्रोफेसर देबदत्ता साहा ने कहा है कि बिहार में औद्योगीकरण के तेज विकास […]
सेमिनार. मखाना, सत्तू, मक्का, लीची आदि उत्पादों की सूबे में अपार संभावना
अंतिम दिन वक्ताओं ने कहा, सिंगल विंडो एक्ट से बिहार में उद्योगों के समन्वित विकास की प्रक्रिया तेजी से रफ्तार पकड़ रही है.
पटना : साउथ एशियन यूनिवर्सिटी की सहायक प्रोफेसर देबदत्ता साहा ने कहा है कि बिहार में औद्योगीकरण के तेज विकास के लिए मखाना, सत्तू, स्थानीय लोकप्रिय मिठाइयों, मक्का आदि चीजों की ब्रांडिंग की अच्छी संभावना है. वे आइजीसी इंडिया-बिहार के छठे वार्षिक सम्मेलन के अंतिम दिन यह बात कही. उन्होंने आद्री की बर्ना गांगुली के साथ मिल कर किये गये ‘फूड प्रोसेसिंग इनशिएटिव इन बिहार : प्रोस्पेक्ट्स एंड चैलेंजेज’ शीर्षक शोध अध्ययन पर प्रस्तुति दी.
उन्होंने संकेत किया कि बिहार देश में सब्जियों का दूसरा, फलों का छठा और अनाजों का बड़ा उत्पादक और प्रोत्साहन नीति लाने वाला पहला राज्य है, जिसका खाद्य प्रसंस्करण निवेश आकर्षित करने के लिहाज से स्वाभाविक लाभ मिला है. आगामी औद्योगिक प्रोत्साहन नीति के लिए नीतिगत निहितार्थों के परिप्रेक्ष्य में अध्ययन बताता है कि राज्य में विगत नीतियों को देखते हुए निवेशकों में उदार सब्सिडी की आशा पैदा हो गयी है. सिंगल विंडो क्लीयरेंस एक्ट के लागू होने से बिहार में उद्योगों के समन्वित विकास की प्रक्रिया रफ्तार पकड़ रही है. पिछले दशक में राज्य में दो प्रोत्साहन नीतियां दिखीं – एक नीति 2006 से 2011 तक और दूसरी 2011 से 2016 तक. इसके कारण बिहार ऐसी ही नीतियों को लागू करने वाले झारखंड, आंध्र प्रदेश, ओड़िसा, पश्चिम बंगाल अन्य राज्यों के साथ खुद से भी प्रतिस्पर्धा में है.
साहा ने बताया कि रबी मक्का और मखाना उत्पादन में 90 प्रतिशत हिस्सा के मामले में एकाधिकार, जीविका देने की गुंजाइश वाली डेयरी, अपनी अलग पहचान रखने वाली मुजफ्फरपुर की लीची और बाजार में सबसे अच्छे शहद के साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में उत्पादन और विकास की भारी संभावना है.
बैंकों को मिलने वाला प्रतिफल खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र सात प्रतिशत है अर्थात जोखिम बहुत कम है. खाद्य उद्योग आठ प्रतिशत लाभ देता है. अध्यक्षता आद्री के निदेशक प्रो प्रभात पी घोष ने की. फ्लोरिडा विवि के अभिनव अलक्षेंद्र और आइएसआइ, दिल्ली के अर्का राय चौधरी ने भी विचार रखे. जार्ज वाशिंगटन विवि के आदित्य धर ने कहा कि जो राजनेता जमीन से जुड़े हैं, वे राजनीतिक परिवार से आनेवाले की तुलना में अधिक सक्रिय रहते हैं.
दूसरा सत्र : रिसोर्स ट्रांसफर्स टू लोकल गवर्नमेंट्स पर चर्चा
पटना. दुसरे सत्र में ‘रिसोर्स ट्रांसफर्स टू लोकल गवर्नमेंट्स : पॉलीटिकल मैनीपुलेशन एंड वोटिंग पैटर्न्स इन वेस्ट बंगाल’ विषय पर बोस्टन विश्वविद्यालय के दिलीप मुखर्जी द्वारा विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया गया. अध्ययन में तीन अन्य भागीदार थे – यूसी बर्कले के प्रणब बर्धन, इंडियन स्टेटिस्टिकल इंस्टीट्यूट के संदीप मित्रा और मिनेसोटा विश्वविद्यालय की अनुष्का नाथ.
सत्र की अध्यक्षता बिहार सरकार के विकास प्रबंधन संस्थान के निदेशक केवी राजू ने की. अध्ययन में पाया गया कि वाम मोरचे के प्रभुत्व वाले जिला पर्षदों द्वारा वाम मोरचे के प्रभुत्व वाली ग्राम पंचायतों को आवंटन बढ़ा दिया जाता था और बाद में जिसका पुनर्वितरण वाम मोरचे के नेतृत्व वाले उन निर्वाचन क्षेत्रों में किया जाता था, जिनमें पूर्ववर्ती चुनाव में वाम पार्टियों के मतों का हिस्सा कम होता था. सत्र में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के माइकल कॉलेन द्वारा विशेष व्याख्यान–4 प्रस्तुत किया गया. इसका शीर्षक था – ‘हट डज इंपीरिकल रिसर्च टेल अस अबाउट हाउ टू मेक द स्टेट मोर अपफेक्टि. सत्र की अध्यक्षता बिहार के पूर्व मुख्य सचिव अनूप मुखर्जी ने की.
शराबबंदी से राजस्व का नुकसान विकास में बाधा नहीं : गंगवार
पटना. मानव संसाधन विभाग के प्रधान सचिव डाॅ डीएस गंगवार ने कहा है कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी से होने वाला राजस्व का 4500 करोड़ का नुकसान विकास में बाधक नहीं होगा. इस नुकसान की क्षतिपूर्ति करने की राज्य सरकार के पास पूरी योजना है. वे रविवार को आइजीसी के दो दिवसीय बिहार विकास सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. ‘बिहार ऑन द पाथ ऑफ सस्टेनेबल ग्रोथ’ विषय पर आयोजित चर्चा को संबाेधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो सड़कों, पुलों और ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन आदि के विकास से मुद्रा बढ़ेगा जो ग्रामीण बाजारों को क्षेत्रीय और राष्ट्रीय बाजारों से जोड़ेगा. राज्य ने महसूस किया है कि सुशासन का अर्थ अच्छी अर्थव्यवस्था है. इससे ग्रामीण बाजार 8-9 बजे शाम तक खुले रहेंगे, जिसमें अब महिलाओं की अधिक भागीदारी देखी जा रही है. पूर्व मुख्य सचिव अनूप मुखर्जी, आद्री निदेशक प्रो प्रभात पी घोष, श्रीनिवास ने भी संबोधित किया. डायरेक्टर प्रो. अंजन मुखर्जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
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