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बिहार सरकार औद्योगिक नीति में समाप्त करेगी अनुदान : मोदी

पटना: भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राज्य सरकार अपनी प्रस्तावित नई औद्योगिक नीति में खाद्य प्रसंस्करण और अन्य उद्योगों को दिये जाने वाले 35 से 20 प्रतिशत तक के अनुदानों को समाप्त करने जा रही है. स्वीकृत उद्योगों की परियोजना की 300 प्रतिशत तक की जाने […]

पटना: भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राज्य सरकार अपनी प्रस्तावित नई औद्योगिक नीति में खाद्य प्रसंस्करण और अन्य उद्योगों को दिये जाने वाले 35 से 20 प्रतिशत तक के अनुदानों को समाप्त करने जा रही है. स्वीकृत उद्योगों की परियोजना की 300 प्रतिशत तक की जाने वाली वैट प्रतिपूर्ति को भी मात्र 100 प्रतिशत तक करने जा रही है. अनुदान व अन्य प्रोत्साहन दिए जाने के बावजूद बिहार में जहां पिछले कुछ सालों में खाद्य प्रसंस्करण को छोड़ कर अन्य प्रक्षेत्रें में कोई उद्योग नहीं लग पाया, वहीं अब नई औद्योगिक नीति में अनुदानों को समाप्त करने के बाद तो शायद कोई झांकने भी नहीं आयेगा.

अनुदान वापस लेना होगा घातक

मोदी ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में परियोजना लागत का 35 प्रतिशत कैपिटल अनुदान दिये जाने के कारण बिहार में चावल मिल, कोल्ड स्टोरेज के तौर पर अन्य उद्योगों की तुलना में सर्वाधिक निवेश हुआ. इससे प्रभावित होकर ही बिहार की इस खाद्य प्रसंस्करण नीति का अनुसरण देश के अन्य राज्यों ने भी किया, मगर प्रस्तावित नई औद्योगिक नीति में सरकार इसे वापस लेने जा रही है. इसी प्रकार अन्य उद्योगों को दिये जाने वाले 20 प्रतिशत कैपिटल अनुदान को भी सरकार खत्म करने जा रही है.

राज्य में निवेश में आयेगी कमी

उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार डीजल जेनरेटर लगाने, प्रोजेक्ट रिपोर्ट, तकनीकी ज्ञान व भूमि विकास आदि पर दिए जाने वाले अलग–अलग अनुदानों को भी समाप्त करने जा रही है. पहले जहां उद्योगों के लिए जमीन की रजिस्ट्री में स्टाम्प और कृषि से उद्योग भूमि में परिवर्तन शुल्क में पूरी तरह से छूट थी वहीं अब पहले भुगतान करना होगा और बाद में सरकार प्रतिपूर्ति करेगी. से 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाले उद्योगों को कर्मचारी भविष्य निधि में मिलने वाली छूट को भी अब समाप्त कर दिया जायेगा.

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