बिहटा : थाना क्षेत्र के देवकुली मोड़ पर स्थित इंडिया वन की एटीएम को काट कर चोरों ने पांच लाख 17 हजार 800 रुपये उड़ा लिये. बुधवार की रात चोरों ने बिहटा पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए इस घटना को अंजाम दिया. चोरों ने एटीएम में घुस कर गैस कटर से मशीन को काट कर उसमें से रुपये निकाल लिये और किसी को भनक तक नहीं लगी. गुरुवार को मार्केट खुलने पर मामले की जानकारी लोगों को हुई. इसके बाद पुलिस व एटीएम कंपनी के अधिकारी पहुंचे.
मालूम हो कि बुधवार को ही मशीन में कैश डाला गया था. सूचना मिलते ही सिटी एसपी पश्चिमी सत्यप्रकाश एवं दानापुर एएसपी राजेश कुमार पहुंचे. उन्होंने एटीएम कंपनी के अधिकारी से पूरे मामले की जानकारी ली, जिसके बाद इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी. बताया जाता है कि प्रतिदिन की तरह गुरुवार की सुबह भी दुकानदार मार्केट में पहुंचे, तो एटीएम के शटर पर नजर गयी. अंदर झांक कर देखा, तो एटीएम दो हिस्सों में बंटी थी. लोगों ने पहले मकान मालिक और फिर पुलिस को जानकारी दी.
सीसीटीवी को घुमा दिया था दूसरी तरफ : घटना की सूचना पर आये इंडिया वन कंपनी के रीजनल ऑपरेशन मैनेजर अजय कुमार ने बताया कि बुधवार को इस एटीएम में कैश डाला गया था.
इतने मोटे लोहे के चदरे को जिस प्रकार काटा गया है, उससे लगता है चोरों को एटीएम की सारी जानकारी थी. चोरों ने एटीएम के बाहर के सीसीटीवी कैमरे को पहले घुमा कर हटा दिया, इसके बाद घटना को अंजाम दिया. अनुमान लगाया जा रहा है कि सीसीटीवी कैमरे में यह घटना जरूर कैद हुई होगी. इंजीनियर को इसकी जांच के लिए बुलाया गया है. सिटी एसपी वेस्ट सत्यप्रकाश ने बताया की पूरे मामले पर हमारी नजर है.
पटना. बिहटा में एटीएम मशीन लूट ने पुलिस के होश उड़ा दिये हैं. जिस तरह से सीसीटीवी कैमरे का फेस दूसरी तरफ मोड़ कर घटना को अंजाम दिया गया है, उससे साफ है कि इस गैंग में शातिर लोग शामिल हैं. दूसरी खास बात एटीएम मशीन को काटे जाने के तरीके को लेकर है.
मशीन के की-बोर्ड के नीचे वाला हिस्सा बड़ी सफाई से काट दिया गया है. पुलिस के हाथ कोई सुराग तो नहीं लगा है, लेकिन घटना स्थल को देखने से साफ है कि घटना के दौरान कोई कस्टोडियन जरूर मौजूद था. वरना लुटेरे इतनी आसानी से एटीएम को नहीं काट पाते. फिलहाल एसपी के निर्देश पर बिहटा पुलिस इसी लाइन पर अनुसंधान को आगे बढ़ा रही है.
तकनीकी जानकारों की मानें तो एटीएम मशीन को सिर्फ काट देने से पैसा आसानी से हाथ में नहीं आता है. जिस चैंबर में पैसा रहता है, उसे तोड़ना, खोलना या जलाना काफी मुश्किल भरा काम है. इसे आसानी से खोलने के लिए सिक्युरिटी नंबर की जरूरत होती है. या फिर कस्टोडियन का काम कर चुके लोग ही उसमें से पैसा निकाल सकते हैं. इससे साफ है कि इस पूरे घटनाक्रम में कस्टोडियन की मौजूदगी जरूर रही होगी. पुलिस का अनुसंधान भी इसी तरफ बढ़ रहा है. सबसे पहले इंडिया-वन की एटीएम में पैसा लोड करने वाली कंपनी के कस्टोडियन से पूछताछ की जायेगी.
वहीं वे लोग भी पुलिस के निशान पर हैं, जो पहले कस्टोडियन का काम कर चुके हैं और अब नौकरी छोड़ दिये हैं. पिछले गोरखपुर के ही राजघाट इलाके में दो साल पहले एटीएम को काट कर पैसा लूटा गया था. इस केस में जब गिरफ्तारी हुई, तो पकड़े गये लोगों में एक कस्टोडियन निकला. बाद में पता चला कि वही मास्टर माइंड है. पटना में कैश मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के क्षेत्रीय ऑपरेशन मैनेजर अजय कुमार ने अपने ही कंपनी में काम करने वाले नौ कस्टोडियन पर केस दर्ज कराया था. इन लोगों ने एटीएम में पैसा डालने में 2.50 करोड़ रुपये का घोटाला 2015 में किया था.
भगवान भरोसे एटीएम
पटना. हर में लगे राष्ट्रीयकृत और निजी बैंक की ज्यादातर एटीएम की सुरक्षा भगवान भरोसे है. कई जगहों पर एटीएम की सुरक्षा के लिए गार्ड तक तैनात नहीं हैं. जहां गार्ड तैनात हैं,वहां उनके पास किसी तरह के हथियार नहीं हैं. ऐसे में अगर कोई घटना या अनहोनी हो जाये, तो वे अपराधियों का मुकाबला भी नहीं कर सकते. खास बात यह है कि कई एटीएम में दरवाजे तक टूटे हुए हैं, जिससे हमेशा अनहोनी का डर बना रहता है. शहर की अधिकतर एटीएम का संचालन बैंक द्वारा दी गयी अधिकृत एजेंसी करती है. बैंकों के अनुसार एटीएम की सुरक्षा की जिम्मेवारी एजेंसी की होती है. एक अनुमान के मुताबिक शहर की 60 फीसदी एटीएम में गार्ड की तैनाती नहीं है.
दुकानदार रखवाला
एक बैंक की एटीएम की सुरक्षा में तैनात महिला गार्ड ने बताया कि बगल में ही उसकी दुकान है. इस वजह से उसे ही गार्ड बना दिया गया है. वह कहती है कि मेरे पास गार्ड का कोई यूनिफॉर्म नहीं है और न ही सुरक्षा के उपकरण. अभी मैं साफ-सफाई का काम देखती हूं.
निर्देश बेअसर
पुलिस ने सभी बैंकों को निर्देश दे रखा है कि एटीएम में सुरक्षा के लिए गार्ड लगाएं. साथ ही जहां पर गार्ड की व्यवस्था नहीं है, उन्हें तत्काल बंद करें. हालांकि बैंक अधिकारियों पर इन निर्देशों का कोई असर नहीं है. वे ऊपर का मामला बता कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं.