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तीन साल में सड़क बनी सात फीसदी, लागत हुई दोगुनी

समस्या. भारत-नेपाल सीमा पर समानांतर सड़क बनाने की योजना सड़क निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण पर अब किसानों को चार गुना मुआवजा देना पड़ेगा. पटना : बिहार में नेपाल बॉर्डर से सटे इलाके में टू लेन सड़क निर्माण के शिलान्यास के तीन साल पूरे हो गये. अब तक 35 किलाेमीटर सड़क का निर्माण हो पाया […]

समस्या. भारत-नेपाल सीमा पर समानांतर सड़क बनाने की योजना
सड़क निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण पर अब किसानों को चार गुना मुआवजा देना पड़ेगा.
पटना : बिहार में नेपाल बॉर्डर से सटे इलाके में टू लेन सड़क निर्माण के शिलान्यास के तीन साल पूरे हो गये. अब तक 35 किलाेमीटर सड़क का निर्माण हो पाया है. चार साल में पूरी तरह बन जाने वाली साढ़े पांच सौ किलोमीटर लंबी इस खास सड़क की लागत तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक बढ़ गयी है.
सड़क निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण पर अब किसानों को चार गुना मुआवजा देना पड़ेगा. जमीन अधिग्रहण के लिए कम से कम दो हजार करोड़ अतिरिक्त खर्च करने होंगे. समय पर जमीन नहीं मिलने से सड़क निर्माण काम में देरी हुई है.
इसके साथ ही लागत खर्च भी लगभग एक हजार करोड़ बढ़ेगा. सड़क निर्माण में और चार साल लगने की संभावना है. भारत-नेपाल सीमा के समानांतर पथ निर्माण योजना के तहत 552 किलोमीटर टू लेन सड़क का निर्माण होना है. बिहार में यह सड़क पश्चिमी चंपारण जिले में यूपी से सटे बॉर्डर इलाके मदनपुर से आरंभ होकर सात जिले से गुजरते हुए किशनगंज के गलगलिया तक जायेगी. अभी तक मात्र 35 किलोमीटर सड़क निर्माण हुआ है.
सड़क निर्माण के दौरान 121 पुल का भी निर्माण होगा. सड़क के निर्माण पर लगभग 3536 करोड़ खर्च होंगे. 259 किलोमीटर सड़क के लिये जमीन का अधिग्रहण करना है. सड़क निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध कराने का काम राज्य सरकार को कराना है. नेपाल से सटे बॉर्डर इलाके में लगभग 127 किलोमीटर सड़क एनएच का हिस्सा है. इसके अलावा नयी सड़क में ग्रामीण पथ भी शामिल है जिस पर सड़क का निर्माण होना है.
ग्रामीण पथ की लंबाई लगभग 210 किलोमीटर है. सड़क निर्माण के लिए लगभग 3370 एकड़ जमीन की जरूरत है. पथ निर्माण विभाग के आधिकारिक सूत्र ने बताया कि सड़क निर्माण के लिए जमीन मिलने का काम शुरू हो गया है. इससे काम में तेजी आयेगी.
2019 तक सड़क बनाने का काम पूरा करने की संभावना है. सूत्र ने बताया कि देरी की वजह से खर्च बढ़ेगा. जमीन के लिए अब चार गुना मुआवजा देना होगा. सड़क निर्माण में आनेवाले अतिरिक्त खर्च की राशि के लिए केंद्र को लिखा जा जायेगा. सड़क निर्माण होने से नेपाल से सटे बॉर्डर इलाके में क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होगा. साथ ही व भारत-नेपाल अंतर्राष्ट्रीय सीमा की चौकसी और अधिक प्रभावकारी ढंग से करने में सहायता होगी.
433 एकड़ मिली जमीन
राजस्व व भूमि सुधार विभाग ने सड़क निर्माण के लिए जमीन की व्यवस्था की है. 433 एकड़ जमीन मिली है. पश्चिम चंपारण जिले में 111 किलोमीटर सड़क का निर्माण होना है. निर्माण के लिए 196 एकड़ जमीन अधिग्रहण हुआ है. पूर्वी चंपारण में जिले में 77 किलोमीटर सड़क निर्माण होना है. सड़क निर्माण को 237 एकड़ जमीन उपलब्ध करायी है. सड़क का निर्माण सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया व किशनगंज जिले में होना है.
सड़क निर्माण पर बढ़ेगा लागत खर्च
नेपाल से सटे बॉर्डर इलाके में सड़क निर्माण का शिलान्यास 2013 में यूपीए सरकार के तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने किया था. सड़क निर्माण के लिए केंद्र व राज्य दोनों की हिस्सेदारी है.
केंद्र की हिस्सेदारी 1655 करोड़ है. बिहार सरकार को 896 करोड़ जमीन अधिग्रहण में खर्च करना था. इसके अलावा नाबार्ड से मिले लगभग एक हजार करोड़ ऋण से पुल-पुलिया का निर्माण होना है. सड़क निर्माण में देरी होने से लागत खर्च बढ़ेगा. खासकर जमीन अधिग्रहण के अलावा सड़क निर्माण की सामग्री की कीमत बढ़ने से लगभग तीन हजार करोड़ अतिरिक्त खर्च बढ़ने की संभावना है.
कृषि विभाग द्वारा आकस्मिक फसल योजना एवं अन्य कृषि के मुद्दे को बताया गया. इसके अलावा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, नागरिक सुरक्षा, पथ निर्माण विभाग द्वारा भी मुख्यमंत्री के समक्ष की अपनी ओर से की गयी तैयारियों का प्रजेंटेंशन दिया.

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