एक लाख से ज्यादा बसावटों में कैसे होगी जलापूर्ति : मोदी

पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि सीएम ने खुद स्वीकार किया है कि राज्य के मात्र पांच हजार बसावटों में ही पाइप से पानी पहुंचाया जा सका है. ऐसे में राज्य सरकार अगले चार साल में एक लाख से अधिक बसावाटों में पाइप से कैसे करेगी जलापूर्ति. अगर जलापूर्ति की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 22, 2016 7:13 AM
पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि सीएम ने खुद स्वीकार किया है कि राज्य के मात्र पांच हजार बसावटों में ही पाइप से पानी पहुंचाया जा सका है. ऐसे में राज्य सरकार अगले चार साल में एक लाख से अधिक बसावाटों में पाइप से कैसे करेगी जलापूर्ति. अगर जलापूर्ति की सभी योजनाएं पूरी कर ली जाये तो भी 22 प्रतिशत से ज्यादा घरों में नल से पानी नहीं पहुंच सकेगा. उन्होंने कहा कि ऊना में दलित युवकों की पिटाई पर गुजरात सरकार ने त्वरित कार्रवाई की है. सरकार द्वारा पीड़ितों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा दिया है.
मोदी ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि दादरी कांड में लालू प्रसाद और नीतीश कुमार ने अखिलेश सरकार की नाकामी पर कुछ नहीं कहा था. ये लोग यूपी सरकार को क्लीन चीट देकर असहिष्णुता का मुद्दा उठाने वाले गुजरात में दलितों को उकसा कर हिंसा को हवा देना चाहते हैं.
केंद्रीय कृषि विवि बनाने में नीतीश का योगदान नहीं : मंगल
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने कहा है कि पूसा कृषि विवि को केंद्रीय कृषि विवि बनाने की योजना आयोग ने आठ वर्ष पूर्व ही सैद्धांतिक घोषणा की थी. कृषि विवि बनाने में नीतीश सरकार का कोई योगदान नहीं है.
केंद्र में मोदी सरकार के आने तक बिहार के मुख्यमंत्री और भारत सरकार के कृषि मंत्री तथा भारत सरकार और राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच दर्जनों बैठक हुई. लेकिन कोई समाधान नहीं निकला.
मतभेद इस बात को लेकर था कि बिहार के मुख्यमंत्री इस बात पर अड़े थे कि भारत सरकार यदि इस विवि को केंद्रीय विवि बनाती है तो जो लगभग 300 से अधिक मुकदमे चल रहे थे उनकी जिम्मेवारी भी भारत सरकार ले. उन्हेांने कहा है कि बिहार का सौभाग्य था कि जब जीतनराम मांझी बिहार मुखमंत्री बने तब केंद्रीय कृषि मंत्री ने उनसे यह बात की और उन्होंने भारत सरकार की शर्तों पर पूसा कृषि विवि को केंद्रीय कृषि विवि में परिवर्तित करने का समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया.
2015-16 में अनुशंसित 55,228 चापाकलों में से मात्र 2572 ही लगा सकी. दूसरी ओर दावा किया है कि ग्रामीण जलापूर्ति के नाम पर शुरू हुई पाइप जलापूर्ति योजना, मिनी पाइप जलापूर्ति योजना तथा सौर पंच चालित आदि योजनाओं के 90 प्रतिशत या तो आधी-अधूरी हैं या अधिकांश बंद पड़ी हैं.
मुख्यमंत्री शहरी और ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना में विधायकों की भूमिका को खत्म करने की निंदा करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री चापाकल योजना में विधायकों की अनुशंसा पर ही चापाकल लगाये जाते थे.
11 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद अब नीतीश कुमार को लग रहा है कि गांवों में पाइप से जलापूर्ति के लिए जलमीनारों की कोई उपयोगिता नहीं है, जबकि जलापूर्ति योजना की 40 प्रतिशत राशि जलमीनारों के निर्माण पर ही खर्च हो चुकी है.

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