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PM मोदी को लालू का खुला पत्र, चेतावनी के साथ लगाया बड़ा आरोप

पटना : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखा है. इतना ही नहीं इस खत में लालू प्रसाद यादव ने आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत को चेतावनी भी दी है. लालू ने पत्र की शुरुआत में गुजरात की घटना का जिक्र किया है. लालू ने लिखा है कि मैं […]

पटना : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखा है. इतना ही नहीं इस खत में लालू प्रसाद यादव ने आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत को चेतावनी भी दी है. लालू ने पत्र की शुरुआत में गुजरात की घटना का जिक्र किया है. लालू ने लिखा है कि मैं पूरी विनम्रता से आपका ध्यान आपके गृह राज्य गुजरात में अहमदाबाद से 360 किलोमीटर दूर उना में घटित हुई उस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की ओर ले जाना चाहूंगा जिसके बारे में संसद में खड़े होकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आपको इस घटना से गहरा दुख पहुंचा है. चमड़ा उद्योग से जुड़े चार दलित युवकों को बेरहमी से सरेआम बुरी तरह से सिर्फ इसीलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने अपनी आजीविका के लिए मरी हुई गायों के खाल को उतारा था.

गौ सेवा के नाम पर हो रही है हिंसा-लालू

लालू ने पत्र में लिखा है कि यह जो गौ-सेवा और गौ रक्षा के नाम पर कुकुरमुत्तों की तरह जगह-जगह हिंसक तथाकथित गौ-रक्षक दल इत्यादि पनप रहे हैं, इस आग के पीछे सबसे बड़ा हाथ आरएसएस और आपका ही है. आज किसान खरीद कर गायों को गाड़ी में लादकर ले जाने से भी डरता है. जाने रास्ते में कौन उन्हें गौ रक्षा के नाम पर घेर कर पीट दे या जान ही ले ले.

प्रधानमंत्री पर आरोप

मुझे अत्यंत दुख है कि मुझे अपने देश के प्रधानमन्त्री को यह बताना पड़ रहा है कि यह आग आपकी ही लगायी हुयी है. इस आग में भस्म होकर जो गौपालक, किसान बन्धु, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक मर रहे हैं, उसके दोषी सिर्फ आप, आपकी पार्टी और आपकी असहिष्णु विचारधारा की जननी संघ है. अगर आज मैं आपको कठघरे में खड़ा नहीं करूंगा तो मेरे अंदर का गौ-पालक मुझे कभी माफ नहीं करेगा. पूरे देश समेत विदेशी मीडिया भी जानता था कि हिंदुस्तान में ज़मीन एवं गरीबों से जुड़ा एक जनसेवक है लालू यादव जो लुटयेंस दिल्ली के बंगले एवं मुख्यमंत्री आवास में भी गौ-माता रखता है. मेरे द्वारा दिल्ली के बंगले में गाय रखने पर मुझे जातिवादियों द्वारा ग्वाला और ग्वार कहा गया. मैं दिखाने के लिए गाय नहीं रखता, जब कुछ नहीं थे तब भी गाय रखते थे और आज भी रखते है.

मेरे पास सबसे ज्यादा गाय

लालू ने लिखा है कि आज भी बीजेपी के सभी नेताओं के पास इतनी गायें नहीं होंगी जितनी हमारे आवास एवं खटाल में है. गाय के नाम पर लोगों को बांटने वाले नेताओं का गौ-सेवा से क्या सरोकार? आपके जम्बो मंत्रिमंडल के 78 मंत्री दिल्ली के बड़े-बड़े बंगलों में रहते हैं. कितनों ने गाय पाली हुई हैं ? कुत्ते जरूर पाल रखे होंगे.

पीएम पर घटना से मुंह मोड़ने का आरोप

लालू ने लिखा है कि उना की घटना अपने आप में कोई अनोखी या एकमात्र घटना नहीं है, आये दिन यह पागलपन देश के किसी ना किसी कोने में अपना नंगा नाच दिखाता है और आप दूसरी ओर मुंह फेर लेते हैं. आप लोग तो वोट की राजनीति करके चले जाते हैं पर गरीब इसका भुगतान अपनी आय, खुशियों, संभावनाओं और जीवन से करते हैं. गौ-रक्षा के नाम पर मनुवादी इसका प्रयोग अपने हाथों से धीरे-धीरे खिसकते निरंकुशता को पुनः हथियाने के लिए करते हैं, दलित पिछड़ों को उनकी जगह दिखाने के लिए करते हैं. देश भर में गायें सड़कों के किनारे कचरा खाती हैं, पर कोई गाय प्रेमी उसे दो रोटियां नहीं खिलायेगा. पर गौ माँस पर किसी अखलाक़ की हत्या करने को पूरा गांव ही नहीं, आसपास के गांव के भाजपा कार्यकर्ता भी जुट जाते हैं. ठीक उसी तरह गाय पर राजनीति करने चुनावों में आप लोग जुट जाते हैं.

अंत में प्रधानमंत्री और आरएसएस को चेतावनी

लालू ने चेतावनी भरे लहजे में लिखा है कि अब संघ और भाजपा का यह स्वांग बंद होना चाहिए. अब देश को यह बर्दाश्त नहीं है कि किसी मां भारती के संतान रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या पर प्रधानमंत्री का मर्म एक हफ्ते बाद जागे. देश के दलित और पिछड़े संघ की थोपी हुई आचार संहिता को मानने से इनकार करते हैं. अपने विरोध और प्रदर्शन से दलितों ने गुजरात की सरकार को अपने महत्व का आभास कराया है, समाज को आइना दिखाया है और अपने अंदर पल रहे कटुता का एक झलक मात्र दिखाया है. लालू ने पत्र में कहा है कि प्रधानमंत्री जी, ब्राह्मणवादी और मनुवादी मानसिकता को पिछले दरवाज़े से हम दलित, पिछड़े और आदिवासियों पर पुनः लादने का प्रयास बंद कीजिए, वरना इसका परिणाम देश के लिए विध्वंसक होगा. देश का बहुसंख्यक वर्ग देश में हजारों साल तक चलने वाले काले सामाजिक ढांचे की पुनरावृत्ती किसी कीमत पर होने नहीं देगा. संघ के मोहन भागवत जैसे विषैली राजनीति करने वालों के लिए मेरी एक ही चेतावनी है – चेतें अथवा अपना कुनबा समेटें !

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