25 शहरों में खुलेंगे नये ट्रैफिक थाने
तैयारी. सड़क पर वाहनों के बढ़ते दवाब के कारण पुलिस मुख्यालय ने तैयार की यह कार्ययोजना हमेशा जाम झेलने वाले शहरों में अक्सर दुर्घटना होने वाले स्थान ‘ब्लैक स्पॉट’ के रूप में चिह्नित किये जायेंगे, सभी ब्लैक स्पॉट वाले स्थानों के पास खोले जायेंगे ट्रामा सेंटर और हॉस्पिटल भी. पटना : राज्य में विकास की […]
तैयारी. सड़क पर वाहनों के बढ़ते दवाब के कारण पुलिस मुख्यालय ने तैयार की यह कार्ययोजना
हमेशा जाम झेलने वाले शहरों में अक्सर दुर्घटना होने वाले स्थान ‘ब्लैक स्पॉट’ के रूप में चिह्नित किये जायेंगे, सभी ब्लैक स्पॉट वाले स्थानों के पास खोले जायेंगे ट्रामा सेंटर और हॉस्पिटल भी.
पटना : राज्य में विकास की गति बढ़ने के साथ ही शहरीकरण की रफ्तार भी बढ़ती जा रही है. इससे पटना समेत अन्य दूसरे शहरों में भी रोजाना सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव बढ़ता जा रहा है.
सड़कों पर बेतरतीब तरीके से बढ़ते वाहनों की चुनौती से निपटने के लिए पुलिस महकमा जल्द ही 25 शहरों में ट्रैफिक थाना खोलने जा रहा है. ये वैसे शहर हैं, जहां पिछले कुछ वर्षों के दौरान जाम की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. रोजाना जाम के जंजाल से निपटने के लिए ट्रैफिक थानों के माध्यम से जाम पर काबू पाने और ट्रैफिक को नियंत्रित करने की कोशिश होगी. परंतु ये थाने कितने कारगर साबित हो पायेंगे, ये बड़ा सवाल है.
पटना में तीन ट्रैफिक थाने पहले से मौजूद हैं, लेकिन फिर भी ये शहर के जाम पर काबू पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहे हैं. ऐसे में पुलिस के सामने स्थापित होने वाले 25 नये थानों और पहले से कार्यरत तीन थानों को सही ढंग से चलाने की चुनौती सबसे बड़ी होगी. पुलिस विभाग ने इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार कर लिया है. अब जल्द ही इसे कैबिनेट में पेश किया जायेगा. मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिलने के बाद इन्हें खोलने से संबंधित कवायद शुरू हो जायेगी. इस काम में चार से पांच महीने का समय लगने की संभावना है.
हाल में सभी राज्यों में सड़क सुरक्षा का अनुश्रवण करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति का गठन किया है. इसके अनुसार, बिहार में सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति बेहद खराब है. 2014 में जहां छह हजार से ज्यादा मौतें सड़क दुर्घटनाओं में हुई थीं, वहीं 2015 के दौरान 9 हजार 555 सड़क दुर्घटनाएं हैं, जिसमें 5421 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. इसके मद्देनजर बिहार में पुलिस, स्वास्थ्य समेत अन्य विभागों को मिलकर सड़क सुरक्षा योजना बनाने के लिए कहा गया है. इसी के तहत ट्रैफिक थानों का गठन करना एक अहम पहल है.
इन शहरों में बनाये जायेंगे ट्रैफिक थाने
दानापुर (पटना), गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, बिहारशरीफ (नालंदा), दरभंगा, पूर्णिया, आरा (भोजपुर), बेगूसराय, कटिहार, मुंगेर, छपरा (सारण), सहरसा, हाजीपुर (वैशाली), सीवान, बेतिया, मोतिहारी, बगहा, किशनगंज और रोहतास जिला में डेहरी एवं सासाराम समेत चार अन्य शहरों में विशेष ट्रैफिक थाने खोले जायेंगे.
चिह्नित किये जायेंगे ब्लैक स्पॉट भी
जिन 25 शहरों में ट्रैफिक थाने खोले जायेंगे, वहां ‘ब्लैक स्पॉट’ भी चिह्वित किये जायेंगे. इनकी पहचान करने का काम अभी जिलों में चल रहा है. ये वैसे स्थान हैं, जहां हाल के वर्षों में दुर्घटनाएं काफी हुई हैं.
ये स्थान ज्यादातर शहरों के पास या इसके अंदर से होकर गुजरने वाली बाइपास वाले स्थान ही हैं. अक्सर दुर्घटना होने वाले इन स्थानों पर या इनके आसपास ‘सड़क सुरक्षा योजना’ के तहत हॉस्पिटल या ट्रामा सेंटर खोलने की भी योजना है. इसे स्वास्थ्य विभाग की मदद से खोला जायेगा. सभी 25 शहरों में ‘ब्लैक स्पॉट’ को चिह्वित करने के बाद बेहद जरूरत वाले स्थानों के आधार पर चरणबद्ध तरीके से हॉस्पिटल खोलने की शुरुआत होगी.
पटना में तीन थाने, फिर भी जाम पर जाम
पटना में गांधी मैदान सबसे पुराना ट्रैफिक थाना है. इसका गठन करीब 25-30 साल पहले किया गया था. परंतु यह थाना भी पटना के जाम को संभालने में विफल साबित होने लगा, तब तीन-चार पहले शहर के दो बाहरी किनारों पर जीरो माइल और सगुना मोड़ में ट्रैफिक थाने खोले गये हैं.
परंतु जीरो माइल और सगुना मोड़ दोनों थानों को आज तक भवन समेत अन्य किसी तरह की मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं हुईं हैं. यहां आधारभूत सुविधा भी नहीं है. जीरो माइल ट्रैफिक थाना फतुहा नदी थाना और सगुना मोड़ थाना दानापुर में चलते हैं. ये तीनों थाने शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने में कहीं से कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. इससे यातायात व्यवस्था को सही करने में परेशानी होती है. वैसे कैबिनेट से मंजूरी के बाद थाने खोलने की कवायद होगी शुरू.