7वें वेतन आयोग में बढ़े वेतन का इंतजाम अनुपूरक बजट में
पटना : राज्य सरकार केंद्रीय कर्मियों के तर्ज पर अपने कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की अनुशंसाएं लागू करने की तैयारी में जुट गयी है. इसके तहत कर्मचारियों के वेतन में औसतन 25% तक की बढ़ोतरी की जायेगी. पहले 23% बढ़ोतरी की अनुशंसा की गयी थी, लेकिन केंद्रीय कर्मियों के विरोध के बाद इसे […]
पटना : राज्य सरकार केंद्रीय कर्मियों के तर्ज पर अपने कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की अनुशंसाएं लागू करने की तैयारी में जुट गयी है. इसके तहत कर्मचारियों के वेतन में औसतन 25% तक की बढ़ोतरी की जायेगी. पहले 23% बढ़ोतरी की अनुशंसा की गयी थी, लेकिन केंद्रीय कर्मियों के विरोध के बाद इसे 25% तक किया गया है.
इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद राज्य भी अपने कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन देने के लिए राशि के प्रबंध में जुट गया है. इसके लिए मॉनसून सत्र में 16 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट पेश किया जा रहा है. इसमें आठ हजार करोड़ योजना और आठ हजार करोड़ का प्रावधान गैर योजना मद में किया गया है. गैर योजना मद में आठ हजार करोड़ का प्रावधान मुख्य रूप से सातवें वेतन आयोग की अनुशंसाओं के तहत बढ़े हुए वेतन और पेंशन की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया है.
योजना मद के तहत अनुपूरक बजट पेश किया जायेगा, वह विशेष तौर से तेजी से रुपये खर्च करनेवाले विभागों के लिए होगा या जिनकी योजनाओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त पैसे की जरूरत है. इसमें शिक्षा, ग्रामीण विकास विभाग, जल संसाधन विभाग, पथ निर्माण विभाग समेत अन्य विभाग मुख्य रूप से शामिल हैं. अनुपूरक बजट पेश होने के दौरान कुछ अन्य अहम मदों में बढ़ोतरी या बदलाव भी किया जा सकता है. फिलहाल इस पर वित्त विभाग विचार कर रहा है.
सुस्त विभागों को गति बढ़ाने को कहा गया
इसके अलावा सरकार ने कम खर्च करनेवाले विभागों को भी खर्च की रफ्तार बढ़ाने के लिए कहा है. योजना एवं विकास विभाग लगातार इसकी मॉनीटरिंग में जुटा है. चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 में चार महीने बीत गये, अब तक योजना मद की 71 हजार करोड़ की राशि का 14.50% ही खर्च हो पाया है. 26 विभाग ऐसे हैं, जिन्होंने अब तक अपने बजट आकार का 10% भी नहीं खर्च पाये हैं. 30% से ज्यादा या इसके आसपास रुपये खर्च करनेवालों में महज पांच विभाग ही शामिल हैं. इनमें वाणिज्यकर (33%), सूचना एवं प्रौद्योगिकी (46.75%), पथ निर्माण (35.84%), गन्ना उद्योग (41.57%) और जल संसाधन (27.82%) विभाग शामिल हैं.
ये हैं फिसड्डी विभाग
कृषि (0.72%), पशु एवं मत्स्य संसाधन (0.30%), कला-संस्कृति एवं युवा (0.40%), पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण (0), भवन निर्माण (5.58%), मंत्रिमंडल सचिवालय (0.46%), सहकारिता (0), वन एवं पर्यावरण (4.42%), खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण (0.20%), सामान्य प्रशासन (9.92%), स्वास्थ्य (2.0%), गृह (10.91%), उद्योग (0.05%), सूचना एवं जनसंपर्क (3.60%), श्रम संसाधन (7.64%), विधि (1.75%), लघु जल संसाधन (9.36%), अल्पसंख्यक कल्याण (7.50%), पंचायती राज (4.63%), राजस्व एवं भूमि सुधार (7.26%), ग्रामीण विकास (7.91%), एससी-एसटी कल्याण (0.92%), विज्ञान एवं प्रावैधिकी (3.23%), समाज कल्याण (3.96%), पर्यटन (8.54%) और परिवहन (2.88%)
अगस्त में शिक्षकों को पांच महीने का वेतन
पटना : राज्य के हाइ व प्लस टू स्कूलों के शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों को अगस्त में एक साथ पांच महीनों का वेतन मिलेगा. शिक्षा विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है. नियोजित शिक्षकों के साल भर के वेतन की मंजूरी के लिए शिक्षा विभाग ने एक प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा है. वित्त विभाग से सहमति मिलने के बाद इसे कैबिनेट भेजा जायेगा और मंजूरी मिलने के बाद जिलों में राशि भेजी जायेगी व शिक्षकों के खातों में राशि ट्रांसफर हो जायेगी.
हाइस्कूलों के 22 हजार, प्लस टू स्कूलों के 11 हजार शिक्षकों और 1800 पुस्तकालयाध्यक्षों को मार्च से वेतन नहीं मिला है. जिलों से 2014-15 में इन शिक्षकों पर खर्च की गयी वेतन की राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं आने के कारण वित्त विभाग से वेतन को मंजूरी नहीं मिल सकी थी. पिछले सप्ताह ही सभी जिलों से खर्च का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट आ चुका है. इसके बाद विभाग ने एक साल के वेतन की राशि का प्रस्ताव बना कर वित्त विभाग को भेजा है.
सहमति मिलने के बाद उसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जायेगा. शुरुआत में शिक्षकों के बकाये वेतन का भुगतान किया जायेगा. इसके बाद हर महीने के पहले सप्ताह में शिक्षकों को वेतन की राशि जारी कर दी जायेगी. उधर, प्रारंभिक स्कूलों में इसी महीने मार्च-अप्रैल और कहीं-कहीं मई महीने की राशि का भुगतान किया गया है. अधिकतर शिक्षकों का वेतन मई से बकाया है.