नीतीश सरकार कर रही है दलितों व आदिवासियों की उपेक्षा : मोदी
पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि व्याख्याता से लेकर न्यायिक सेवाओं की नियुक्ति व पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति तक में राज्य सरकार दलितों और आदिवासियों की उपेक्षा कर रही है. मुख्यमंत्री यूपी जाकर न्यायिक सेवाओं में आरक्षण की वकालत करते हैं जबकि बिहार में 29 वीं […]
पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि व्याख्याता से लेकर न्यायिक सेवाओं की नियुक्ति व पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति तक में राज्य सरकार दलितों और आदिवासियों की उपेक्षा कर रही है.
मुख्यमंत्री यूपी जाकर न्यायिक सेवाओं में आरक्षण की वकालत करते हैं जबकि बिहार में 29 वीं बैच की न्यायिक सेवाओं के लिए आरक्षण कोटि व रिक्तियों का उल्लेख किये बिना विज्ञापन निकाला गया है.सरकारी प्रशिक्षण महाविद्यालयों में व्याख्याताओं की नियुक्ति के लिए निकाले गये विज्ञापन में एससी व एसटी अभ्यर्थियों को शैक्षिक अहर्ता में मिलने वाली 5 प्रतिशत की छूट से जानबूझ कर वंचित किया गया है. पीजी और एमएड में 55-55 प्रतिशत अंक की मांग की गयी है. यूजीसी की गाइडलाइन के बावजूद एससी और एसटी को निर्धारित शैक्षिक अहर्ता में 5 प्रतिशत की छूट नहीं दी गयी है.
जबकि इसके पहले की नियुक्ति में यह छूट थी. 28 वीं बैच की न्यायिक सेवाओं की नियुक्ति में पिछड़ों के 23 प्रतिशत आरक्षण से संबंधित मुकदमे पिछले दो साल से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति की अधिकतम सीमा एक लाख से घटा कर मात्र 15 हजार तक सीमित करने की राज्य सरकार के निर्णय के कारण हजारों दलित व आदिवासी छात्रों को बीच में पढ़ाई छोड़ने के लिए विवश होना पड़ रहा है.