दिन में भी बल्ब की रोशनी का लेना पड़ता है सहारा
पुनपुन प्रखंड व अंचल कार्यालय के जर्जर भवन में होता है कार्यों का निबटारा, बाउंड्री नहीं रहने से असुरक्षित है कार्यालय मसौढ़ी : राजधानी पटना से महज 14 किलोमीटर पर स्थित पुनपुन प्रखंड व अंचल कार्यालयों के जर्जर भवन में कर्मी कार्य करने को विवश हैं. उन्हें दिन में भी बल्ब की रोशनी का सहारा […]
पुनपुन प्रखंड व अंचल कार्यालय के जर्जर भवन में होता है कार्यों का निबटारा, बाउंड्री नहीं रहने से असुरक्षित है कार्यालय
मसौढ़ी : राजधानी पटना से महज 14 किलोमीटर पर स्थित पुनपुन प्रखंड व अंचल कार्यालयों के जर्जर भवन में कर्मी कार्य करने को विवश हैं. उन्हें दिन में भी बल्ब की रोशनी का सहारा लेना पड़ता है. परिसर में कई विभागों के अपना नया भवन बन गया है, लेकिन पूरे प्रखंड के विकास की जिम्मेदारी संभालने वाले बीडीओ व अंचल कार्यालय के कर्मी खुद उपेक्षित हैं.
इतना ही नहीं परिसर की बाउंड्री नहीं होने से कर्मचारी अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं. रात में तो कार्यालय राम भरोसे ही रहता है. कार्यालय में पड़े महत्वपूर्ण अभिलेख भी वहां सुरक्षित नहीं हैं. ऐसे में बीते दो वर्ष पूर्व अंचल कार्यालय के एक कमरे का दरवाजा तोड़ बदमाशों ने हल्का सात स्थित पारथु व बराह पंचायतों की जमीन संबंधी सारा अभिलेख गायब कर दिया था. संबंधित राजस्व कर्मचारी के खिलाफ पुनपुन थाने में तत्कालीन अंचल पदाधिकारी अशोक कुमार ने मामला दर्ज कराया था. जानकारी के अनुसार पुनपुन प्रखंड की स्थापना एक अक्तूबर, 1961 को हुई थी. उस समय बीडीओ व सीओ एक ही व्यक्ति हुआ करते थे.
पुनपुन के पहले बीडीओ होने का सौभाग्य आरएम प्रसाद को प्राप्त हुआ था. बाद में आठ मई ,1965 को पुनपुन अंचल कार्यालय भी अस्तित्व में आ गया और इसके पहले सीओ ठाकुर प्रसाद हुए थे. अपने स्थापना काल में बना प्रखंड व अंचल कार्यालय काफी जर्जर हालत में है. पहले उसी भवन में सारे विभागों के कार्यालय संचालित होते थे, लेकिन बीते एक दो सालों में भू -अभिलेखागार कार्यालय, पशुपालन विभाग, प्रखंड कृषि कार्यालय व मनरेगा कार्यालय के नये भवन बन कर तैयार हो गये व कार्यालय नये-नये भवनों में चल भी रहे हैं.
कौशल विकास केंद्र का भवन निर्माणरत है, लेकिन प्रखंड का सबसे महत्वपूर्ण अंग प्रखंड व अंचल कार्यालय के जर्जर भवन की ओर अब तक न किसी जनप्रतिनिधि या अधिकारियों का ध्यान न जाना उदासीनता को दरसाता है, जबकि पुनपुन का प्रतिनिधित्व विधानसभा में पांच साल तक सूबे में मंत्री रहे व वर्तमान में सत्ता पक्ष के विधायक श्याम रजक के हाथों में था. बावजूद इस ओर शायद किसी का ध्यान नहीं जाना यहां के लोगों को खटक रहा है.
कार्यालय के मुख्य द्वार पर सालों रहता है जलजमाव
पुनपुन प्रखंड व अंचल कार्यालय का परिसर 14 एकड़ में फैला हुआ है, जिसका अधिग्रहण 1957-58 में किया गया था. आज उसकी हालत है कि परिसर के कुछ भाग पर अतिक्रमण कर लिया गया है. वहीं, कार्यालय का मुख्य द्वार का एक बड़े हिस्से में सालों भर पानी भरा रहता है, जहां बड़े-बड़े घास कार्यालय का शोभा बढ़ा रहे हैं.
छत से टपकते पानी में काम करने को विवश हैं कर्मचारी
जर्जर भवन व कार्यालय में पसरे अंधेरे में अपने कामों का निपटारा करते हैं कर्मचारी. नाम नहीं छापने की शर्त पर कर्मचारियों ने बताया कि भवन जर्जर होने व अंधेरा रहने से काम करने में काफी परेशानी होती है. ऊपर से काम कराने वालों का दबाव से हमलोगों के कार्यों पर प्रतिकूल असर पड़ता है. साथ ही मानसिक रूप से भी परेशान रहना पड़ता है.
क्या कहना है विधायक श्याम रजक का
इस संबंध में जब स्थानीय विधायक श्याम रजक से पूछा गया , तो उन्होंने पूरी बात सुन लेने के उपरांत कहा कि ठीक है इस मुद्दे पर फिर कभी बात होगी. अभी किसी दूसरे काम में व्यस्त हैं.
क्या कहना था प्रखंड प्रमुख का
पुनपुन प्रखंड प्रमुख गुड़िया कुमारी ने कार्यालय की जर्जर स्थिति पर चिंता व्यक्त की है. साथ ही कहा कि प्राथमिकता के आधार पर नये भवन का निर्माण अतिआवश्यक है. अन्यथा भविष्य में कभी भी कोई घटना घटित होने से इनकार नहीं किया जा सकता है.