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वकीलों के पैनल में आरक्षण नहीं होने पर विस में हंगामा

पटना. पटना हाइकोर्ट में सरकारी वकीलों के पैनल में एससी व एसटी को आरक्षण नहीं दिये जाने का मुद्दा बुधवार को विधानसभा में उठा. सवाल जदयू के श्याम रजक का था, लेकिन इसको लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की. भाजपा के सदस्य बेल में उतर गये और सरकार पर दलित विरोधी […]

पटना. पटना हाइकोर्ट में सरकारी वकीलों के पैनल में एससी व एसटी को आरक्षण नहीं दिये जाने का मुद्दा बुधवार को विधानसभा में उठा. सवाल जदयू के श्याम रजक का था, लेकिन इसको लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की. भाजपा के सदस्य बेल में उतर गये और सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया.
पूर्व मंत्री श्याम रजक के ध्यानाकर्षण के जवाब में विधि मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने आश्वास्त किया कि अगली बार सरकार जब पैनल बनायेगी, तो उसमें आरक्षण पर विचार किया जायेगा. उन्होंने यह भी कहा कि जिन राज्यों इस तरह की व्यवस्था है, उसका अध्ययन किया जायेगा. सरकार के इस जवाब से प्रश्नकर्ता संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने कहा कि 2011 में ही सामान्य प्रशासन विभाग ने सरकारी वकीलों के पैनल में आरक्षण लागू करने की बात कही थी. उन्होंने सदन को बताया कि आंध्र प्रदेश और केरल में एससी व एसटी को सरकारी वकीलों के पैनल में आरक्षण मिलता है. बिहार के एससी-एसटी कोटे के वकील इससे वंचित रह जा रहे हैं.
श्याम रजक के बैठते ही पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि जब 2011 में ही सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश दिया था, तो फिर उसका पालन क्यों नहीं हुआ? इसके लिए कौन जिम्मेवार हैं? इस पर संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि यह ध्यानाकर्षण है, कोई डिबेट का सवाल नहीं है. ध्यानाकर्षण में जिन-जिन सदस्यों के हस्ताक्षर हैं, वहीं इस पर पूरक प्रश्न पूछ सकते हैं. इस पर विपक्षी सदस्य उग्र हो गये और एक दलित सदस्य का अपमान करने का आरोप लगाते हुए बेल में उतर गये. विपक्ष के नेता प्रेम कुमार, नंदकिशोर यादव समेत विपक्ष के सभी नेता बेल में आकर दलितों का अपमान नहीं सहेंगे, दलितों को आरक्षण दो का नारा लगाये. करीब पांच मिनट तक हंगामा होता रहा.बाद में स्पीकर विजय कुमार चौधरी के अनुरोध पर सदस्य अपनी जगह पर गये.

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