फर्जी कंपनी से कर्ज लेकर कर लेते व्हाइट मनी

ट्रांसफर होने वाले कुल पैसे का 0.5 से 1 प्रतिशत का कमीशन मिलता है कौशिक रंजन पटना : ब्लैक मनी को व्हाइट या घोटाले की काली कमाई को सफेद करने के लिए घोटालेबाज इन दिनों नया तरीका अपना रहे हैं. अपने ही ब्लैक मनी को पांच या छह चरणों में घूमा कर फिर से अपने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 4, 2016 6:20 AM
ट्रांसफर होने वाले कुल पैसे का 0.5 से 1 प्रतिशत का कमीशन मिलता है
कौशिक रंजन
पटना : ब्लैक मनी को व्हाइट या घोटाले की काली कमाई को सफेद करने के लिए घोटालेबाज इन दिनों नया तरीका अपना रहे हैं. अपने ही ब्लैक मनी को पांच या छह चरणों में घूमा कर फिर से अपने पास कर्ज के रूप में मंगवा लेते हैं.
इससे बिना हिसाब-किताब वाला यह पैसा कागज पर पूरी तरह से एक नंबर या सही रूप में उनके पास पहुंच जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में जितने लोग फर्जी या बिना काम की कंपनी खोलने के इस खेल में शामिल होते हैं, उन्हें ट्रांसफर होने वाले कुल पैसे का 0.5 से 1 प्रतिशत का कमीशन मिलता है.
हाल में इडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने झारखंड के गढ़वा विधायक भानु प्रताप शाही की अवैध संपत्ति जब्त की थी, तो उसमें इस तरह का फर्जीवाड़ा सामने आया है. इनकम टैक्स विभाग भी इस तरह के फर्जीवाड़े को पकड़ने में असमर्थ है. इसकी मुख्य वजह उसका जांच का दायरा सीमित होना है. इनकम टैक्स तीन चरण तक ही रुपये की जांच कर सकता है.
इससे ज्यादा अंदर तक जांच करने का अधिकार उसका नहीं है. जबकि यहां गड़बड़ी पांच से छह चरण में होती है. लेन-देन की प्रक्रिया ज्यादा लंबी होने की वजह से ये इनकम टैक्स की जांच से बच जाते हैं. हालांकि इडी, सीबीआइ समेत जांच एजेंसी इस तरह की जांच कर सकती है.
हाल में झारखंड विधायक भानु प्रताप शाही के मामले को इस गड़बड़ी में उदाहरण के तौर पर देखते हैं. विधायक ने दिल्ली में सोनानचल बिल्डिकॉन प्राइवेट लिमिटेड और अंगेश ट्रेडिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड नाम से दो कंपनियां खोली. इसके बाद इन दोनों कंपनियों को नौ कंपनियों ने करीब 12 करोड़ रुपये कर्ज के तौर पर दिये.
जांच में पता चला कि इन्हें एमएम इंटरप्राइजेज नामक कंपनी ने कर्ज दिया है. उससे पूछने पर पता चला कि उसे मित्तल सैनेट्रीवेयर ने कर्ज दिया है. इसी तरह मित्तल को श्री अमरनाथजी एक्जिम से, उसे पीपी बिल्डिटेक, ओआसिस फिल्ट्रेशन, ओम श्री रिटेल इंडिया, जीएसटी स्टील ट्यूब्स, कृष्णा रीयलअर्थ, आरएसके ट्रेडर्स और अंत में गोयल बाथ पैलेस ये रुपये कर्ज के रूप में आये थे.
छोटे-छोटे किस्तों में रुपये दिये गये था, ताकि किसी को शक नहीं हो. जांच में सभी कंपनी कागज पर ही चलने वाली पायी गयी. इन कंपनियों का सही में इस तरह का कोई कारोबार नहीं, जो वे कर्ज दे सकें और न ही ऐसा कोई एसेट या टर्न ओवर ही था.
जांच पूरी होने के बाद तमाम हकीकत सामने आयी.
पता चला कि गलत पैसे को इस तरह से रूट करके व्हाइट दिखाने के एवज में उन्हें करीब एक फीसदी प्रति ट्रांजेक्शन कमीशन मिलता था. कुछ कंपनियों का काम ही सिर्फ यही करना था.
बॉक्स में…..
बिहार में भी बढ़ रही ऐसी कंपनियों की संख्या
बिहार खासकर पटना में इस तरह की प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां पिछले कुछ दिनों में काफी संख्या में खुल गयी हैं. इनमें अधिकांश कंपनियों का काम ही सिर्फ ब्लैक मनी को व्हाइट करना है.
यानी इन कंपनियों का जन्म सिर्फ इस तरह के धंधे को चलाने के लिए हुआ है. इसमें जो कमीशन मिलता है, उसका कुछ हिस्सा कंपनी अपना टर्न ओवर दिखा देती है. इससे ब्लैक मनी वाले कई धंधेबाजों को अपने रुपये को व्हाइट करके दिखाना का माध्यम मिल जाता है.

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