10 मिनट ठहरी धड़कन सर्जरी से मिली जिंदगी

अस्पताल के इमरजेंसी गेट पर आते ही गिर गया बच्चा, हाइपरट्रोपी कार्डियोमायोपैथी नामक थी बीमारी पटना : आमतौर पर धड़कन बंद हो जाने के बाद डॉक्टर मौत की घोषणा कर देते हैं, लेकिन आइजीआइएमएस में बंद दिल की धड़कन को डॉक्टरों ने चालू कर दिया. ऑपरेशन करने के बाद मरीज ठीक हो गया. मामला आइजीआइएमएस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 5, 2016 7:17 AM
अस्पताल के इमरजेंसी गेट पर आते ही गिर गया बच्चा, हाइपरट्रोपी कार्डियोमायोपैथी नामक थी बीमारी
पटना : आमतौर पर धड़कन बंद हो जाने के बाद डॉक्टर मौत की घोषणा कर देते हैं, लेकिन आइजीआइएमएस में बंद दिल की धड़कन को डॉक्टरों ने चालू कर दिया. ऑपरेशन करने के बाद मरीज ठीक हो गया. मामला आइजीआइएमएस अस्पताल के हृदय रोग विभाग का है.
दरअसल समस्तीपुर का रहनेवाला निशांत कुमार (10) को हाइपरट्रोपी कार्डियोमायोपैथी नामक बीमारी थी. इससे बच्चे के दिल की धड़कन ने लगभग दस मिनट तक काम करना बंद कर दिया. इसको ठीक करने के लिए डॉक्टरों ने दो घंटे तक ऑपरेशन किया और सफल ऑपरेशन के बाद बच्चे की हालत ठीक है. ऑपरेशन टीम में डॉ बीपी सिंह, डॉ निशांत त्रिपाठी, एनेस्थेसिया विभाग के डॉ राजीव सहित कई लोग शामिल थे.
इमरजेंसी गेट पर रुकी धड़कन
हृदय रोग विभाग के एचओडी डॉ बीपी सिंह ने बताया कि बच्चे में धड़कन कभी अनियंत्रित तो कभी रूक जाने की परेशानी थी. गुरुवार को बच्चा इमरजेंसी गेट पर था कि वह अचानक गिर गया, एेसे में वहां मौजूद लोगों की नजर पड़ी और अानन-फानन में उसको कार्डियोलॉजी विभाग लाया गया. यहां जब डॉक्टरों ने देखा तो उसकी धड़कन पूरी तरह से रुक गयी थी. बड़ी बात तो यह है कि अगर एक घंटे और देरी हो जाती, तो अनहोनी हो सकती थी.
सुबह में ही बच्चे का ऑपरेशन किया गया और उसके हृदय में आइसीडी यानी इंप्लानेटेबल कार्डियोवर्टर डेफीबैलोटर लगाया गया. इस मशीन के लगने के बाद बच्चा पूरी तरह से ठीक है और उसको अस्पताल के सीसीयू में भरती किया गया है. वहीं डॉ बीपी सिंह ने कहा कि इस तरह के ऑपरेशन में आठ से 10 लाख रुपये लगते हैं, लेकिन बच्चे को राहत कोष दिला कर मात्र 80 हजार रुपये में ऑपरेशन किया गया.
मां और मामा की हो चुकी है मौत
हृदय रोग विभाग के डॉक्टर निशांत
त्रिपाठी ने बताया कि हाइपरट्रोपी कार्डियोमायोपैथी नामक यह बीमारी जन्मजात है. इससे बच्चे की मां और मामा दोनों की मौत हो चुकी है. इस तरह की बीमारी में मरीज को थकान, धड़कन में रुकावट, हार्ट अटैक, अनियंत्रित होकर दिल का धड़कना और अचानक से कार्डियक डेथ हो जाता है. यही वजह है कि बच्चा भी मौत के नजदीक जा चुका था. अंतिम समय था, जब उसका दिल का धड़कना बंद हो गया था. उन्होंने बताया कि यह बीमारी और किसी को नहीं हो, इसके लिए समय-समय पर चेकअप कराना चाहिए.

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