इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्माण के लिए केंद्रीय बोर्ड से ही मंजूरी
लाइसेंस के लिए इ-वेस्ट के निबटारे की पूरी प्रक्रिया की देनी होगी जानकारी एक अक्तूबर से लागू होगी नयी संशोधित नियमावली अनुपम कुमारी पटना : सूबे में इलेक्ट्रॉनिक कचरा (इ-वेस्ट) के निबटान को लेकर एक अक्तूबर से नयी नीति लागू हो रही है. इसके लिए इ-वेस्ट मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग नियमावली 2011 में आंशिक संशोधन किया […]
लाइसेंस के लिए इ-वेस्ट के निबटारे की पूरी प्रक्रिया की देनी होगी जानकारी
एक अक्तूबर से लागू होगी नयी संशोधित नियमावली
अनुपम कुमारी
पटना : सूबे में इलेक्ट्रॉनिक कचरा (इ-वेस्ट) के निबटान को लेकर एक अक्तूबर से नयी नीति लागू हो रही है. इसके लिए इ-वेस्ट मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग नियमावली 2011 में आंशिक संशोधन किया गया है. नयी नीति के तहत इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद के निर्माण की अनुमति अब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मिलेगी. अनुमति लेते समय उत्पादक को बताना होगा कि वह इ-वेस्टेज का निपटारा किस तरह से करेगा.
इलेक्ट्रॉनिक वेस्टेज के कलेक्शन से लेकर वैज्ञानिक तरीके से उसे समाप्त किये जाने की पूरी व्यवस्था उत्पादक को बतानी होगी. नयी नीति में राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के पुन: चक्रण, भंडारण व नवीनीकरण करने की जिम्मेवारी मिली है. बोर्ड ने इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के आयात की नीति में भी परिवर्तन किया है. इसके लिए पहले राज्य सरकार के स्तर पर ही ऑथोराइजेशन मिल जाती थी, लेकिन नयी नीति के तहत किसी भी राज्य में आयात के लिए अब केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड से ही लाइसेंस मिलेगा.
खतरे देख उठाये गये कदम : तकनीक के विकास के साथ ही लोगों की निर्भरता इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर बढ़ती जा रही है. लेकिन इनके इस्तेमाल के बाद इनसे उत्पन्न वेस्टेज के खतरे से लोग अंजान हैं. यही वजह है कि इ-वेस्टेज को समाप्त करने के लिए अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. इससे उसके खतरनाक केमिकल स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है.
किया जायेगा जागरूक : बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की ओर से इसके लिए जागरूक किया जायेगा. इसके लिए विज्ञापनों व पोस्टर के जरिये लोगों को इ-वेस्टेज के बारे में जानकारी दी जायेगी. वैज्ञानिकों की मानें, तो इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के इस्तेमाल में प्रयोग किये जाने वाले खतरनाक केमिकल मरकरी व लेड का गलत तरीके से समाप्त करने पर वातावरण प्रदूषित होता है. इससे सबसे अधिक कैंसर का खतरा बढ़ता है.
जानें क्या है इ वेस्टेज
इ-वेस्टेज वे सभी इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद है, जिसे आसानी से समाप्त नहीं किया जा सकता है.जैसे कंप्यूटर, लैपटॉप, टेलीफोन, प्रिंटर्स, टीवी, रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन, एयर कडीशनर अादि इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है. इसमें कई प्रकार के खतरनाक रसायन पाये जाते हैं. इन उपकरणों के खराब होने पर वैज्ञानिक तरीके से समाप्त किया जाना है. ताकि इनमें मौजूद प्लास्टिक , लेड, मरकरी, अार्सेनिक, कैडमियम, सेलेनियम , क्रोमियम, फ्लेमव रिटारडेन्टस जैसे खतरनाक रसायनों से बचा जा सकें. इसे खतरनाक अपशिष्ट की श्रेणी में रखा गया है.
इसका स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों से बचने के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ओर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत इ बेस्ट नियमावली 2011 बनायी गयी है. जिसे संशोधित करते हुए 2016 बनाया गया है, जिसे एक अक्तूबर से लागू किया जाना है.
नियमावली में किया गया संशोधन
इ-वेस्टेज के खतरे को देखते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नियमावली संशोधित की गयी है. इसके तहत लोगों को जागरूक किया जाना है, ताकि इ-अपशिष्टों का समापन वैज्ञानिक तरीके से किया जा सके.
एसएन जायसवाल, वैज्ञानिक, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड