कौशिक रंजन
पटना : देश में अप्रैल, 2017 से जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) लागू होने जा रहा है. डेस्टीनेशन आधारित इस नयी टैक्स व्यवस्था से बिहार को काफी फायदा होगा. इसके टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी होने के अलावा वर्तमान में जितने भी छूटे और छिपे या डायवर्जन होने वाले टैक्स हैं, उन सभी का सीधा फायदा राज्य को होगा.
टैक्स चोरी या वंचना तकरीबन बंद होने से करीब नौ हजार करोड़ का सालाना लाभ विशेष तौर से बिहार को होगा. एक अनुमान के मुताबिक, वर्तमान में करीब 5-6 हजार करोड़ रुपये का टैक्स चोरी का मामला बिहार में है.
जीएसटी लागू होने के बाद ऑनलाइन खरीदारी पर जो टैक्स अभी दूसरे राज्यों को चला जाता है. वह सीधे तौर पर बिहार को मिलने लगेगा. इसके अलावा केंद्र से जो सर्विस और अन्य करों के माध्यम से केंद्र की तरफ से राज्यों को वर्तमान में जो हिस्सेदारी मिलती है, उसमें भी बढ़ोतरी होगी. वर्ष 2015-16 के दौरान केंद्रीय सर्विस टैक्स के तौर पर 17 हजार 278 करोड़ रुपये जमा हुए थे, जिसमें बिहार को महज 78 करोड़ रुपये ही मिले थे.
जीएसटी को मनी बिल के रूप में लोकसभा व राज्यसभा से अनुमति मिलने के बाद इसमें टैक्स स्लैब निर्धारण करने के लिए एक जीएसटी काउंसिल का गठन किया जायेगा. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री के अलावा तीन केंद्रीय मंत्री सदस्य के तौर पर होंगे. यह कमेटी टैक्स के स्लैब का निर्धारण करेगी.
जीएसटी में भी वर्तमान टैक्स की तरह ही चार या पांच स्लैब होंगे, जिसमें वस्तुओं को रखा जायेगा. वर्तमान व्यवस्था की तरह ही करीब 97 वस्तुओं को टैक्स-फ्री रखने पर विचार किया जायेगा. हो सकता है इसमें वस्तुओं की संख्या बढ़ाई जाये या कुछ कम की जाये. इसमें दवा को लेकर बड़ी बहस चल रही है.
अगर कमेटी इसे जरूरी सामानों की सूची या कम टैक्स वाले सामानों में शामिल कर देती है, तो दवा की दर में बढ़ोतरी नहीं या कटौती भी हो सकती है.
बिहार को होंगे इससे ये मुख्य फायदे
जीएसटी लागू होने के बाद बिहार को पांच वर्ष तक लगातार भरपाई के रूप में एक निश्चित राशि दी जायेगी
राज्य के बाहर ऑनलाइन या दूसरे राज्य की दुकानों से खरीदी गयी वस्तुओं पर राज्य को टैक्स मिलेगा.
बिल में हेराफेरी या गड़बड़ी करके टैक्स चोरी या वंचना के मामले पूरी तरह से बंद होने की संभावना
सीमा पर मौजूद चेक पोस्ट पर सामानों की चेकिंग या अलग-अलग तरह के चालान भरने का झंझट खत्म
खुली सीमा होने के कारण दूसरे राज्यों से बिना बिल या कम बिल के आधार पर सामान लाने की समस्या नहीं
टैक्स का पेमेंट और केंद्र से राज्य को ट्रांसफर होने वाला टैक्स भी ऑनलाइन होने से बेहद फायदा
कई वस्तुओं पर लोगों से ज्यादा टैक्स लेकर कई बड़े दुकानदार इसे कम करके सरकार को दिखाते हैं, बंद होगा वर्तमान में व्यवसायी सामान से कम या गलत बिल देकर टैक्स की जो हेराफेरी करते हैं, वह पूरी तरह से बंद