पटना : भाजपा जिस ‘गुजरात मॉडल’ की दुहाई दिया करती थी, उसका सच पूरी दुनिया के सामने आ गया है. आबादी के लिहाज से गुजरात में दलितों की आबादी कम है और वह सिंधियों का सबसे मजबूत किला माना जाता रहा है. आज दलितों के जबरदस्त उभार ने उस ‘गुजरात मॉडल’ की हवा निकाल दी है. उक्त बातें गुरुवार को भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कही. वे अंजुमन इस्लामिया हॉल में ‘शिक्षा बचाओ-बिहार बचाओ’ कन्वेंशन में बोल रहे थे.
दलितों मामलों ने निकाली गुजरात मॉडल की हवा-दीपंकर
कन्वेंशन का आयोजन आईसा ने किया था. दीपंकर ने कहा कि देशव्यापी छात्र आंदोलन और दलित आंदोलन की आज अभूतपूर्व एकता दिख रही है. इस एकता ने मोदी सरकार की उलटी गिनती शुरू कर दी हैै और देश के हर कोने से आवाज उठ रही है. छात्र आंदोलनों के दबाव में यदि मोदी सरकार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय से स्मृति ईरानी को हटाना पड़ा, तो दलित आंदोलन के दबाव में आनंदी पटेल को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से हटाया गया. उन्होंने कहा कि भूमि सुधार और शिक्षा सुधार के बिना बिहार में बदलाव संभव नहीं है.
बिहार में दलितों पर हो रहा हमला
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार दलित छात्रों पर हमला कर रही है, उनके अधिकारों पर हमला कर रही है. यह सामाजिक न्याय से विश्वासघात है. लोग समझते हैं कि डॉ. अम्बेदकर महज आरक्षण के लिए लड़ने वाले योद्धा थे, जबकि ऐसा नहीं था. अंबेडकर का मतलब है जाति व्यवस्था को खत्म करना. तो आज छात्र-युवाओं को भगत सिंह और अंबेदकर के रास्ते पर आगे बढ़ना होगा. संघ परिवार इस देश को पीछे ले जाना चाहती है, इसके खिलाफ चौतरफा लड़ाई की जरूरत है.