बिहार वर्दी घोटाला : पूर्व आईजी सहित आठ सबूत के अभाव में बरी
पटना : पटना स्थित सीबीआइ की एक अदालत ने 32 साल पुराने करीब 50 लाख रुपये के वर्दी घोटाला मामले में तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक मुख्यालय रामचंद्र खान समेत आठ आरोपियों को आज साक्ष्य के अभाव में बरी घोषित कर दिया. सीबीआइ जज सर्वजीत ने वित्तीय वर्ष 1983-1984 से 1984-1985 के बीच 37 लाख रुपये से […]
पटना : पटना स्थित सीबीआइ की एक अदालत ने 32 साल पुराने करीब 50 लाख रुपये के वर्दी घोटाला मामले में तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक मुख्यालय रामचंद्र खान समेत आठ आरोपियों को आज साक्ष्य के अभाव में बरी घोषित कर दिया. सीबीआइ जज सर्वजीत ने वित्तीय वर्ष 1983-1984 से 1984-1985 के बीच 37 लाख रुपये से 50 लाख रुपये के वर्दी खरीद घोटाला मामले में आज तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक मुख्यालय रामचंद्र खान समेत आठ आरोपियों को आज साक्ष्य के अभाव में बरी घोषित कर दिया.
सभी आरोपित बरी
इस मामले में बरी घोषित किये गये अन्य लोगों में गोपालगंज स्थित बीएमपी 16 के तत्कालीन कमांडेंट राजेंद्र शर्मा, बिहार पुलिस मुख्यालय में सहायक के पद से सेवानिवृत्त हुए जगन्नाथ यादव एवं वहां टंकक के रूप में कार्यरत रहे दीवाकर प्रसाद श्रीवास्तव, पटना के आर्य कुमार रोड स्थित मेसर्स आर पी इंटरप्राईजेज में पार्टनर रहे राजेंद्र कुमार अग्रवाल, ओम प्रकाश अग्रवाल एवं रमेश कुमार अग्रवाल तथा अशोक राजपथ स्थित अजंता फर्निश के पार्टनर रहे कैलाश कुमार अग्रवाल शामिल हैं.
पुलिस वस्त्र खरीद में अनियमितता का था आरोप
इस मामले में सीबीआइ के पुलिस उपाधीक्षक एवं सूचक एन एन सिंह ने 8 जुलाई 1986 को गोपालगंज, लखीसराय और पटना जिला में भादंवि की धारा 120 बी, 420, 477 एवं 201 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं प्राथमिकी दर्ज की थी. इन लोगों पर आपराधिक षडयंत्र कर अनाधिकृत रूप से पुलिस के वस्त्र उच्च दरों पर खरीदने तथा अपने सरकारी पद का दुरुपयोग कर आपूर्तिकर्ताओं को लाभ पहुंचाकर राज्य सरकार को घाटा पहुंचाने का आरोप था जबकि एक सरकारी आदेश में मुताबिक इन्हें पुलिस के वस्त्र की खरीद स्थानीय स्तर पर खरीद नहीं करने को लेकर निर्देशित किया गया था.