300 गांवों से जलवायु परिवर्तन से निबटने की तैयारी
किसानों को तकनीक की जानकारी पर खर्च होंगे 25 करोड़ रुपये पटना : राज्य के तीन सौ गावों से जलवायु परिवर्तन से निबटने का कार्यक्रम शुरू होगा. इसके लिए नालंदा-शेखपुरा और समस्तीपुर-दरभंगा कोरिडोर का चयन किया गया है. इन दो कोरिडोरों के तीन सौ गांव को स्मार्ट गांव के रूप में चयन कर किसानों को […]
किसानों को तकनीक की जानकारी पर खर्च होंगे 25 करोड़ रुपये
पटना : राज्य के तीन सौ गावों से जलवायु परिवर्तन से निबटने का कार्यक्रम शुरू होगा. इसके लिए नालंदा-शेखपुरा और समस्तीपुर-दरभंगा कोरिडोर का चयन किया गया है. इन दो कोरिडोरों के तीन सौ गांव को स्मार्ट गांव के रूप में चयन कर किसानों को तकनीकी जानकारी दी जायेगी.
किसानों का समूह बनाकर खेती का तरीका बदला जायेगा. जिसमें कम पानी में खेती, कम जुताई से खेती, धान की सीधी, फसल अवशेष प्रबंधन, रेज्ड बेड प्लॉटिंग (जमीन को समतल कर खेती), खेतों में पोषक तत्वों के प्रबंधन समेत अन्य तकनीकी जानकारी देकर किसानों को कम खर्च में अधिक उपज की खेती से अवगत कराया जायेगा.
दो कोरीडोर के तीन सौ गांवों में जलवायु परिवर्तन का सामना करने की जानकारी दी जायेगी. दोनों कॉरिडोर के तीन सौ स्मार्ट गांव में इस प्रयोग के साथ ही पूरे राज्य के जिलों के किसानों को इससे होने वाले लाभ की जानकारी अन्य जिलों और गांव के किसानों को दी जायेगी. इसके लिए 25 करोड़ रुपये की योजना बनायी गयी है. कृषि वैज्ञानिक और विभाग के अधिकारी अनिल झा ने बताया कि इसके लिए पिछले तीन साल से तैयारी चल रही थी. अब इसे कार्यरूप दिया जा रहा है.
अधिकारी ने बताया कि किसानों को तकनीकी जानकारी और कम पानी और सूखा की स्थिति में उपज के लिए बीज उपलब्ध कराया जायेगा. हर जिलों में वहां के मौसम के अनुसार बीज तैयार करने की इकाई स्थापित किया जायेगा. अधिकारी ने बताया कि इस अभियान में बॉरलॉग इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशिया जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए तकनीकी सहयोग दे रही है. अधिकारी ने बताया कि बीसा के तकनीकी सहयोग और नेशनल क्लाइमेट एडॉप्टेशन फंड के सहयोग से अगले पांच साल में राज्य पूरी तरह से कृषि के मामले में जलवायु परिवर्तन से निबटने में सक्षम होगा.
इस योजना में किसानों को वाटर स्मार्ट, न्यट्रिएंट स्मार्ट, एनर्जी स्मार्ट, वेदर स्मार्ट और नॉलेज स्मार्ट बनाया जायेगा. बीसा ने राज्य सरकार को किसानों के फसल रिस्क प्रबंधन के लिए 150 करोड़ रुपये का फंड बनाने का सुझाव दिया है. झा ने बताया कि बीसा एशिया महादेश के सभी देशों में जलवायु परिवर्तन से निबटने के लिए किसानों को तकनीकी सहयोग दे रहा है.
कृषि वैज्ञानिक और कृषि अधिकारी अनिल झा ने बताया कि राज्य जलवायु परिवर्तन से निबटने के लिए बीसा और नेशनल क्लाइमेट एडोप्टेशन फंड के सहयोग से निबटने की मुकम्मल तैयारी कर रही है. साथ ही राज्य सरकार सबौर कृषि विवि के माध्यम से कम पानी में धान की खेती का विकल्प तलाशा गया है. इसी योजना के तहत राज्य के किसानों को मोटे अनाज की खेती की जानकारी दी जा रही है. किसानों को बीज उपलब्ध कराया जा रहा है.