शहीद कमांडेंट की याद में रोया बख्तियारपुर

बख्तियारपुर : आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में श्रीनगर के नौहट्टा में सीआरपीएफ के कमांडेंट प्रमोद कुमार के शहीद होने की खबर मिलते ही बख्तियारपुर में शोक की लहर दौड़ गयी. लोग उनके हकिकतपुर स्थित पुश्तैनी आवास पार जुटने लगे. देखते ही देखते लोगों की वहां भारी भीड़ इकट्ठा हो गयी. वहां मौजूद लोगों की आंखें […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 17, 2016 7:13 AM
बख्तियारपुर : आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में श्रीनगर के नौहट्टा में सीआरपीएफ के कमांडेंट प्रमोद कुमार के शहीद होने की खबर मिलते ही बख्तियारपुर में शोक की लहर दौड़ गयी. लोग उनके हकिकतपुर स्थित पुश्तैनी आवास पार जुटने लगे. देखते ही देखते लोगों की वहां भारी भीड़ इकट्ठा हो गयी.
वहां मौजूद लोगों की आंखें जहां अपने वीर सपूत के मौत के कारण नम थी, वहीं देश की सुरक्षा में सेंध लगाने के आतंकवादियों के मंसूबों को नाकाम कर देने के दौरान अपनी जान की कुरबानी देने वाले इस जांबाज की बहादूरी से लोगों को गर्व की अनुभूति भी हो रही थी. जानकारी के अनुसार उनका जन्म से लेकर स्कूली शिक्षा बख्तियारपुर में ही संपन्न हुई थी, लेकिन उनके पिता प्रभू मिस्त्री चितरंजन रेलवे कारखाने में नौकरी करते थे, इसलिए वे पूरे परिवार के साथ वहीं शिफ्ट हो गये. कॉलेज की शिक्षा चितरंजन से पूरा करने के बाद वे वर्ष 1998 में सीआरपीएफ में डिप्टी कमांडेंट के पद के लिए चुने गये.
बख्तियारपुर से उनका कम ही लेना देना था, लेकिन वे अपने चाचा व पड़ोसियों से भावनात्मक रूप से जुड़े थे. उनके चाचा बसंत मिस्त्री व मानिकचंद मिस्त्री ने बताया की प्रमोद परिवार में होने वाले शादी विवाह के साथ प्रत्येक उत्सव के मौके पर बख्तियारपुर जरूर आता था. पड़ोसी डॉ सुनील ने बताया की वह जितना बहादुर था. उतना ही मिलनसार व खुशमिजाज भी था.
प्रमोद अपने मां-बाप का इकलौता बटे थे. जानकारी के अनुसार उन्हें मात्र एक सात वर्ष की पुत्री है, जिसका नाम धारणा है. उनके चाचा के परिवारों से मिली सूचना के अनुसार उनके पिता प्रभु मिस्त्री लकवा ग्रस्त हैं. वहीं उनकी मां कुसुम देवी व पत्नी नेहा रोते-रोते बेहोश हो जा रहीं हैं.

Next Article

Exit mobile version