सुरक्षागार्ड सोते रहे, फरार हो गया बक्सर का अपराधी
पटना/बक्सर : बक्सर में डबल मर्डर केस का आरोपित रवींद्र कुमार उर्फ कुबेर मिश्रा रविवार की रात पटना के आइजीअाइएमएस अस्पताल से पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया. बताया जाता है कि आइजीआइएमएस में बिजली कटने के कारण उसकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी उसे अस्पताल कैंपस में ले आये थे, जहां देर रात सभी […]
पटना/बक्सर : बक्सर में डबल मर्डर केस का आरोपित रवींद्र कुमार उर्फ कुबेर मिश्रा रविवार की रात पटना के आइजीअाइएमएस अस्पताल से पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया. बताया जाता है कि आइजीआइएमएस में बिजली कटने के कारण उसकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी उसे अस्पताल कैंपस में ले आये थे, जहां देर रात सभी पुलिसकर्मियों को नींद आ गयी और वह चुपके से हथकड़ी सरका कर निकल गया. कुछ देर बाद जब नींद खुली, तो कुबेर मिश्रा को गायब पाकर पुलिसकर्मियों की हालत खराब हो गयी. खोजबीन के बाद भी वह नहीं मिला, तो अंत में हवलदार अवधेश राम के बयान के आधार पर शास्त्रीनगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है.एसएसपी मनु महाराज ने मामला दर्ज किये जाने की पुष्टि की.
कुबेर ब्रह्मपुर थाने के योगियां गांव का रहनेवाला है. उधर कुबेर मिश्रा के भागने की सूचना से बक्सर जेल प्रशासन के साथ-साथ पुलिस महकमे में खलबली मच गयी है. आनन-फानन में पुलिस उसकी गिरफ्तारी में जुट गयी है. वहीं, इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बक्सर के एसपी उपेंद्र शर्मा ने आरोपित की सुरक्षा में तैनात चार जवानों को सस्पेंड कर दिया है. सस्पेंड जवानों में हवलदार अवधेश राम, सिपाही खुर्शीद आलम, सुधीर कुमार व सुरेंद्र राम शामिल हैं.
जानकारी के अनुसार रवींद्र कुमार उर्फ कुबेर मिश्रा दोहरे हत्याकांड के मामले में बक्सर सेंट्रल जेल में बंद था. मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा पर इलाज के लिए उसे 11 अगस्त को पेट में बीमारी की शिकायत को लेकर पीएमसीएच भेजा गया था. वहां से उसे आइजीआइएमएस में रेफर कर दिया गया था, जहां उसका इलाज चल रहा था.
दो साल से सेंट्रल जेल में बंद था कुबेर मिश्रा : कुबेर मिश्रा पिछले दो साल से सेंट्रल जेल में बंद था. योगियां गांव में 17 अक्तूबर, 2014 को दो लोगों की गोली मार कर हत्या की गयी थी. उस मामले में कुबेर मिश्रा सहित 22 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करायी गयी थी. घटना के तुरंत बाद तीन नवंबर को पुलिस ने रवींद्र कुमार उर्फ कुबेर मिश्रा को दबोच लिया था. उसके बाद से वह जेल में ही था.
चंद रुपये के लालच में तो पुलिस ने नहीं दी ढील : सुरक्षा में चार-चार जवानों के रहने के बावजूद उसके भागने की बात लोगों के गले से नीचे नहीं उतर रही थी. लोगों का मानना था कि इस मामले में पुलिस की मिलीभगत अवश्य है. जिले में चल रही चर्चाओं पर गौर करें, तो सुरक्षा में तैनात जवान चंद रुपये की लालच में अपराधियों को पूरी ढील दे देते हैं. ऐसे में पुलिस को चकमा देकर बंदियों के भागने की खबर अक्सर आती रहती है. दूसरी ओर मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा पर भी अंगुली उठने लगी है. जानकारी के अनुसार, मेडिकल
बोर्ड की अनुशंसा पर ही कुबेर को इलाज के लिए 11 अगस्त को पटना भेजा गया था. लोगों की मानें, तो आखिर कुबेर को ऐसी कौन-सी गंभीर बीमारी थी, जो महज तीन दिनों के भीतर ही गायब हो गयी और भागने में सफल रहा.गौरतलब है कि गंभीर बीमारी की स्थिति में ही बंदी को बेहतर इलाज के लिए बाहर भेजा जाता है.ऐसे में अब यह सवाल उठता है कि जब उसकी स्थिति गंभीर थी, तो तीन दिनों में ही उसकी बीमारी कैसे ठीक हो गयी?