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Inter Result Scam : लालकेश्वर सिंह की पत्नी उषा सिन्हा के सनसनीखेज खुलासे, पढ़ें…
पति ने कहा, बच्चा के कॉलेज की कॉपी बालक हाइस्कूल राजेंद्रनगर दे आया हूं, उससे कह दो कि मैनेज कर ले पटना : इंटर टॉपर घोटाले की मुख्य अभियुक्त बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रो लालकेश्वर प्रसाद सिंह की पत्नी और पूर्व जदयू विधायक प्रो उषा सिन्हा से पुलिस ने लंबी तहकीकात की है. गिरफ्तारी के […]
पति ने कहा, बच्चा के कॉलेज की कॉपी बालक हाइस्कूल राजेंद्रनगर दे आया हूं, उससे कह दो कि मैनेज कर ले
पटना : इंटर टॉपर घोटाले की मुख्य अभियुक्त बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रो लालकेश्वर प्रसाद सिंह की पत्नी और पूर्व जदयू विधायक प्रो उषा सिन्हा से पुलिस ने लंबी तहकीकात की है. गिरफ्तारी के बाद उनसे 22 से 24 जून तक तमाम पहलूओं पर गहन पूछताछ चली. इस दौरान उनसे 36 महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे गये, जिनसे उषा सिन्हा पर लगे आरोप पूरी तरह से साबित होते हैं. इस दौरान कई अहम बातें उजागर हुई हैं.
यह बात भी सामने आयी कि विशुन राय इंटर कॉलेज के प्राचार्य बच्चा राय से उसकी बेटी को इंटर में साइंस में स्टेट टॉपर बनाने के लिए 15 लाख रुपये लिये थे, लेकिन उसका रिजल्ट अपहोल्ड हो गया और इसे क्लियर होने के पहले ही घोटाला उजागर हो गया. लालकेश्वर के दामाद विवेक कुमार के बारे में भी उन्होंने बताया कि उत्तर पुस्तिका, गोपनीय कागजातों की छपाई एवं आपूर्ति समेत अन्य ठेकेदारी कार्य में विवेक की भूमिका बिचौलिया के रूप में रही है. अजीत शक्तिमान और संदीप झा कॉलेजों को संबद्धता (एफिलिएशन) दिलाने के नाम पर उषा सिन्हा के लिए दलाली का काम करते थे.
पेश है, उनसे पूछे गये कई अहम प्रश्न और उनके उत्तर
– विशुन राय कॉलेज के प्राचार्य अमित कुमार उर्फ बच्चा राय को आप जानती हैं?
उषा िसन्हा : जानती हूं.
– आप उनको कब से जानती हैं?
उषा िसन्हा : अमित कुमार को छह-सात महीने से जानती हूं. अंतिम विधानसभा चुनाव के दरम्यान उससे जान-पहचान हुई. प्रचार करने के लिए हाजीपुर गयी थी, तो उससे जान-पहचान हुई थी. उसके बाद भी उससे मुलाकात होती थी.
– क्या कारण था कि बच्चा राय आपसे एवं आपके पति से आपके आवास पर मिलते थे?
उषा िसन्हा : बच्चा राय मेरे आवास पर दो-तीन बार आया था. बच्चा राय ने मुझसे यह भी कहा था कि मेरेकॉलेज की उत्तरपुस्तिकाएं मूल्यांकन के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति लायी गयी हैं. उन उत्तरपुस्तिकाओं को बालक उच्च विद्यालय, राजेंद्रनगर, पटना भिजवा दीजिए. मैं वहां के केंद्राधीक्षक विशेवर राय को मैनेज कर लूंगा. मैंने इसकी जानकारी अपने पति को दी, तो वे बोले कि देखते हैं. फिर बच्चा राय कई बार मुझसे मिला.
बच्चा राय ने मुझसे कहा, मेरी बेटी शालिनी राय को साइंस में पूरे बिहार में टॉप करवा दिजिए. जितने रुपये कहेंगी, उतने रुपये दूंगा. वह 15 लाख रुपये तक देने को तैयार था. मैं इसकी चर्चा अपने पति लालकेश्वर प्रसाद सिंह से की, तो वे बोले कि देखते हैं. इसके बाद मेरे पति ने कहा कि बच्चा राय के कॉलेज की सारी उत्तर पुस्तिकाएं बाल उच्च विद्यालय, राजेंद्रनगर दे आया हूं, उससे कहो कि वह वहां पर मैनेज करे.
– बच्चा से आप कई बार मोबाइल पर इस वर्ष की इंटर परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के समय बातचीत की है. बातचीत का संदर्भ क्या है?
उषा िसन्हा : फोन पर बातचीत होने के दौरान मैंने बच्चा राय से कहा कि उत्तर पुस्तिकाएं आपके कहे अनुसार विशेश्वर राय के स्कूल बालक उच्च विद्यालय, राजेंद्रनगर में भेज दी गयी है. वहां जाकर मैनेज कीजिए. फिर कई दिनों के बाद उसने मोबाइल पर कहा कि मूल्यांकन केंद्र को हमने मैनेज कर लिया है. इंटर काउंसिल में आप मैनेज करवाइए.
– फिर इसके बाद बच्चा राय ने आपसे संपर्क किया या नहीं?
उषा िसन्हा : बच्चा राय की बेटी का रिजल्ट होल्डअप हो गया, तो वह मुझसे आकर मिला और कहा कि रिजल्ट क्लियर कराइए, जो राशि आपको देने के लिए कहा है, वह देने के लिए तैयार हूं. वह तुरंत दे दूंगा. बच्चा राय ने 15 लाख रुपये लाकर आवास पर दे दिये. रुपये देते वक्त विकास चंद्रा, जो मेरे पति का पीए है उपस्थित था. हमने इस बात की चर्चा अपने पति से की, तो वे बोले कि कुछ दिन में क्लियर कर देंगे. इस बीच मीडिया में खबर फैल गयी.
– अजीत शक्तिमान को आप जानती हैं? अगर जानती हैं, तो कब से जानती हैं?
उषा िसन्हा : अजीत शक्तिमान के पिताजी हिलसा हाइस्कूल में 2010 के पहले प्रिंसिपल थे. मैं और मेरे पति जब पटना आये, तो अजीत शक्तिमान मेरे पति लालकेश्वर प्रसाद सिंह के साथ रहता था एवं पढ़ता था. मेरे पति जब पटना कॉलेज में थे, तो अजीत उनका स्टूडेंट था. वह घर भी आता-जाता था.
– अजीत शक्तिमान ने बताया है कि आपके साथ रुपयों का लेन-देन कर कई कॉलेजों को संबंधन आपसे पैरवी करा कर आपके पति के माध्यम से दिलाया है. आरोप के संबंध में आपका क्या कहना है?
उषा िसन्हा : अजीत शक्तिमान बिचौलिया का काम करके कई नये कॉलेजों को मेरे पति लालकेश्वर प्रसाद सिंह से संबंधन दिलवाया है. अजीत शक्तिमान संबंधन दिलाने के दौरान जो रुपया कॉलेज प्रबंधन कमिटि से लेता था, उसका अधिकतम भाग मैं लेती थी. किस कॉलेज से कितना रुपया लेना है, मैं और अजीत मिलकर तय करती थीं. अजीत शक्तिमान करीब 30-40 कॉलेजों को संबंधन दिलवाने में बिचौलिया का काम किया है. कॉलेज से दो से चार लाख रुपये लेते थे.
– अजीत शक्तिमान से अापने कई बार मोबाइल फोन से बातचीत की है. बातचीत का क्या संदर्भ है?
उषा िसन्हा : अजीत मेरे पति लालकेश्वर प्रसाद को डॉक्टर के यहां ले जाता था. कॉलेज को संबंधन दिलाने के लिए कोई प्रबंधन कमेटी उससे मिलता था, तो इस संबंध में वह मुझसे बातचीत करता था कि कितना रुपया लेना है. कितना कम से कम लेना है.
– संदीप झा को आप जानती हैं? अगर जानती हैं, तो कब से जानती हैं?
उषा िसन्हा : में वर्ष 2000 में राजद की नेत्री थी, तभी से मैं उसे जानती हूं, क्योंकि वो भी उस समय राजद में था. मेरी पैरवी पर ही संदीप झा की प्रतिनियुक्ति भागलपुर से बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड में हुई. संदीप मुझसे बहुत दिनों से जुड़ा हुआ है. मेरे चुनाव प्रचार में भी उसने काफी मेहनत किया है.
– संदीप झा ने बताया है कि आपको रुपया दिलवाकर आपसे लालकेश्वर प्रसाद सिंह को पैरवी करवा कर कई कॉलेजों को संबंधन दिलवाया है. इस आरोप के संदर्भ में आपको क्या कहना है?
उषा िसन्हा : संदीप झा संबंधन दिलाने के दौरान जो रुपया कॉलेज प्रबंधन कमेटी से लेता था, उसका अधिकतम भाग मैं लेती थी. किस कॉलेज से कितना रुपये लेना है, मैं और संदीप मिलकर तय करती थी. संदीप करीब 30-40 कॉलेज को संबंधन दिलवाने में बिचौलिया का काम किया है. संबंधन दिलवाने में कॉलेज प्रबंधन से 2 से 4 लाख रुपये के बीच लिया जाता था.
– विवेक कुमार आपके दामाद हैं, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में ठेकेदार/आपूर्तिकर्ता को ठेका दिलाने में बिचौलिया की भूमिका अदा करते हैं, ऐसा आरोप गवाहों के द्वारा लगाया गया है. आरोप के संदर्भ में आपको क्या कहना है?
उषा िसन्हा : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में उत्तर पुस्तिका की आपूर्ति, गोपनीय कागजातों की छपाई एवं आपूर्ति से संबंधित जो ठेका किसी फर्म को दिया जाता है, उससे मध्यस्थ की भूमिका विवेक कुमार निभाते हैं. वे पेशे से इंजीनियर हैं. वे फर्म के बारे में जानकारी रखते हैं, इसलिए उनको मध्यस्थ की भूमिका में रखा जाता है.
– आपके घर से काफी मात्रा में जेवरात एवं रुपये की बरामदगी हुई है. उक्त जेवरात एवं रुपये आपके हैं या किसी और के हैं?
उषा िसन्हा : जेवरात एवं रुपये मेरे हैं.
– क्या आपकी डिग्री फर्जी है?
उषा िसन्हा : मेरी डिग्री सही है. ये बात इसलिए आ रही है, क्योंकि मैंने जो शपथ पत्र विधानसभा चुनाव के दौरान भरा था, उसमें मतदाता पहचान-पत्र में जन्मतिथि गलत छपा हुआ था. सुधार नहीं हो पाया था. शपथ पत्र में जन्मतिथि जो मतदाता पहचान पत्र में अंकित था, उसी के आधार पर मैंने अपना नामांकन की थी.
– विकास चंद्रा आपसे पैरवी करा कर कई कॉलेजों का संबंधन लालकेश्वर प्रसाद सिंह से दिलवाया है और इसमें काफी रुपया की उगाही उसने किया है. इसके संबंध में आपको क्या जानकारी है?
उषा िसन्हा : विकास मेरी बहू मोनालिसा का भाई है. मुझे अन्य कोई जानकारी नहीं है. वो तो खुद अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह के साथ रहता था. विकास चंद्रा से मेरी मोबाइल से बात होती थी.
– दिनांक 7 जून, 2016 से आप कहां-कहां पर जाकर छिपी? इसके संबंध में उत्तर दें?
उषा िसन्हा : पटना में हम घर पर ही थे. 8 जून को दिन में 10 बजे घर से निकल गये थे. पति ने 8 जून को इस्तीफा दिया. इसके बाद पटना कॉलेज में ज्वाइन किया, जहां मैं भी उनके साथ गई थी.
इसके बाद मैंने अपने कॉलेज में छुट्टी का आवेदन दिया. संदलपुर, पटना में तीन-चार बजे सुबह अपनी गाड़ी से निकले थे, ड्राइवर गाड़ी वापस लेकर संदलपुर लौट गया. सेंट्रो गाड़ी बेली रोड से भाड़े पर किया. मेरे पति की तबीयत ठीक नहीं रहती है, इसलिए मैं भी साथ में बनारस गयी थी. बनारस में एक दिन-रात स्टेशन पर, दूसरे दिन दशा अश्वमेघ घाट पर रही. उसके बाद एक दिन अतिथि सत्कार होटल में रहे. फिर होटल वाला बोल दिया कि यहां मत रहिये. यह होटल प्रभातजी के बहनोई का है. उसके बाद एक दिन जेके रेजिडेंसी में रुके. फिर यहां से किना बाबा आश्रम जा रहे थे, तो रास्ते में पकड़ा गये. पटना आकर कोर्ट जाते. हमलोगों ने भागकर गलती की.
(कल के अंक में पढ़ें प्रो लालकेश्वर प्रसाद सिंह से हुई पूछताछ के प्रमुख अंश.)
पटना : साढ़े आठ करोड़ की उत्तरपुस्तिका घोटाले में पूर्व बिहार बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह और पूर्व सचिव हरिहरनाथ झा को भी आरोपित बनाया गया है. जांच व पूछताछ के क्रम में उन दोनों की भी संलिप्तता के साक्ष्य मिले हैं और इस आधार पर दोनों को अप्राथमिकी अभिुयक्त बनाया गया है.
दूसरी ओर इस मामले में हिरासत में लिये गये स्टेशनरी दुकानदार रजनीकांत व कागजों की रद्दी लेनेवाले ठेकेदार राजकिशोर गुप्ता को पुलिस ने गिरफ्तार कर मंगलवार को जेल भेज दिया. इस मामले में पूर्णिया के केजीपी हाइस्कूल के शिक्षक नंदकिशोर यादव से पूछताछ की जा रही है. इस स्कूल में भी एक ट्रक उत्तरपुस्तिकाएं उतारी गयी थीं. पूछताछ में इसने बताया है कि पूर्व सचिव हरिहरनाथ झा व विकास ने उन्हें बताया था कि स्कूल का 55 हजार का फाइन माफ कर दिया जायेगा, वह केवल स्कूल में उत्तरपुस्तिकाओं को रखने की व्यवस्था कर दे. इस स्कूल में छात्रों के कारण कुछ समस्या उत्पन्न हुई थी और 55 हजार का फाइन लगाया गया था.
इस फाइन को माफ करवाने के लिए नंदकिशोर यादव बिहार बोर्ड लगातार आता था. इस दौरान विकास से उसकी मुलाकात हुई और उसने ही सचिव से मिलवाया था. पुलिस ने नंदकिशोर यादव का कोर्ट में 164 के तहत बयान भी करवाया है.
राजकिशोर ने ट्रांसपोर्ट नगर में रखवायी थीं 23 ट्रक उत्तरपुस्तिकाएं : राजकिशोर गुप्ता बोर्ड के कागज की रद्दी का ठेका लेता था. इस कारण उसकी पहचान विकास से थी. उसने ट्रांसपोर्ट नगर में मीना देवी के तीन गोदामों में उन तमाम उत्तर पुस्तिकाओं को रखवाया था. खास बात यह है कि उन गोदामों से 27 जुलाई को उत्तरपुस्तिकाएं निकलवायी गयीं और फिर कहीं ले जायी गयीं.
लेकिन, ये उत्तरपुस्तिकाएं कहां गयीं या इनका क्या हुआ, यह राजकिशोर गुप्ता भी पुलिस को नहीं बता पा रहा है. इस मामले में विकास ने भी बीमारी का बहाना बना कर कुछ नहीं बताया और समय पूरा होने पर पुलिस को जेल भेजना पड़ा. लेकिन, अब पुलिस फिर से लालकेश्वर प्रसाद सिंह, हरिहर नाथ झा, विकास व राजकिशोर गुप्ता को रिमांड पर लेगी, ताकि उत्तरपुस्तकाओं के संबंध में जानकारी हासिल हो सके.
स्टेशनरी दुकानदार ने भी की थी मदद : स्टेशनरी दुकानदार रजनीकांत ने किशनगंज के नवोदय विद्यालय व भागलपुर के एक स्कूल में उत्तरपुस्तिकाओं को रखवाने में मदद की थी. दुकानदार की कई जिलों में स्टेशनरी सप्लाइ करने का धंधा है. इसी का फायदा उठाते हुए रजनीकांत ने उत्तरपुस्तिकाएं वहां रखवा दी थीं. इन स्कूलों से अगले ही दिन विकास ने उत्तरपुस्तिकाएं ले ली थीं और अज्ञात जगह पर लेकर चला गया था. हालांकि, इस मामले में उन स्कूलों के प्राचार्यों की गरदन भी फंस सकती है.
कागजात में किये गये हस्ताक्षर का होगा मिलान
टेंडर पास करने के जो कागजात इश्यू किये गये हैं, उनमें पूर्व सचिव के हस्ताक्षर हैं. लेकिन वे हस्ताक्षर उनके हैं या फिर विकास ने खुद किये थे, इस बात की सत्यता जांचने के लिए पूर्व सचिव के हस्ताक्षर व टेंडर के दस्तावेज में किये गये हस्ताक्षर का मिलान किया जायेगा. इसके लिए दस्तावेज व पूर्व सचिव हरिहरनाथ झा के हस्ताक्षर का सैंपल एफएसएल को भेजा जायेगा.
एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि दोनों ने उत्तर पुस्तिकाएं रखवाने में मदद की थी और इसके एवज में उन्हें कमीशन मिला था. इन लोगों ने पूछताछ में फिलहाल यह जानकारी नहीं दी है कि उत्तर पुस्तिकाएं कहां हैं. इन लोगों को फिर से रिमांड पर लेकर पूछताछ की जायेगी. उन्होंने बताया कि पूछताछ के क्रम में यह बात सामने आयी है कि पूर्व बिहार बोर्ड अध्यक्ष व सचिव की भी संलिप्तता है. इसलिए साढ़े आठ करोड़ की उत्तर पुस्तिका के मामले में इन लोगों को भी आरोपित बनाया गया है.
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