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बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों से जीएसटी विधेयक पास

पटना : बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों ने मंगलवार को वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक को पारित कर दिया. इसके साथ ही संसद के बाद बिहार जीएसटी विधेयक को पारित करनेवाला दूसरा राज्य बन गया है. विधानमंडल के दोनों सदनों में जीएसटी विधेयक पर अपनी बात रखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह […]

पटना : बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों ने मंगलवार को वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक को पारित कर दिया. इसके साथ ही संसद के बाद बिहार जीएसटी विधेयक को पारित करनेवाला दूसरा राज्य बन गया है. विधानमंडल के दोनों सदनों में जीएसटी विधेयक पर अपनी बात रखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह बिहार जैसे कंज्यूमर राज्य के लिए आवश्यक है. इससे राज्य को कोई नुकसान नहीं होगा. जीएसटी की कैपिंग को लेकर उनकी असहमति है.
इसे इसलिए भी स्वीकार नहीं किया जा सकता कि हर राज्य की अपनी समस्या है. बिहार जैसे राज्य में जहां आपदा की आशंका अधिक है, वहां पर राज्य को यह अधिकार मिलना चाहिए कि वह अतिरिक्त टैक्स लगा सके. अगर कैपिंग को संविधान संशोधन के माध्यम से संसद द्वारा पारित कर दिया जाता है, तो राज्य को किसी तरह के अतिरिक्त टैक्स के लिए फिर संसद से पारित कराना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि बिहार को कई अन्य मसलों पर भी आपत्ति है.
राज्य में केंद्रीय करों की वसूली राज्य सरकार द्वारा की जाये और उसे सीधे केंद्र के खाते में डाल दिया जाये. ऐसा नहीं हो कि डेढ़ करोड़ के नीचे के कारोबार का टैक्स राज्य सरकार वसूले और उससे ऊपर के करों के लिए केंद्रीय टैक्स विभाग द्वारा जिला-जिला में कार्यालय खोल कर वसूली की जाये. विधानसभा में भाकपा माले के सदस्यों ने विधेयक का विरोध किया और मुख्यमंत्री के संबोधन के समय सदन से वाकआउट कर गये. वहीं, विधान परिषद में सर्वसम्मति से विधेयक पारित हो गया. दोनों सदनों में वाणिज्यकर मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने इस विधेयक को सदन में विचार के लिए रखा.
मुख्यमंत्री ने कहा, इस विधेयक को लागू करने के पहले आधे राज्यों के विधानमंडल का समर्थन आवश्यक है.उन्होंने कहा कि नये संशोधन विधेयक के संदर्भ में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने केलकर कमेटी का गठन टैक्स सुधारों के लिए किया था. 2006-07 में केंद्रीय वित्त मंत्री ने इस प्रस्ताव को संसद में रखा. वे प्रारंभ से ही इस सिद्धांत का समर्थन करते रहे हैं. करों में एकरूपता आनी चाहिए. पहले सेवा कर केंद्र के दायरे में था. अब केंद्र व राज्य के दायरे में आयेगा. उपभोक्ता राज्यों की आबादी बड़ी है. नयी व्यवस्था से लाभ होगा. इस मामले में तमिलनाडु, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे मैन्युफैक्चरिंग वाले राज्यों को आपत्ति थी. इस विधेयक का अध्ययन कराया गया, तो यह साफ हुआ कि इसका समर्थन किया जाना चाहिए.
इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा इंपावरमेंट कमेटी का गठन किया गया. पहले इसके चेयरमैन राज्य के वित्त मंत्री को बनाया जाता था. उस समय बिहार के तत्कालीन वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी को इसका चेयरमैन बनाया गया. मुख्यमंत्री ने बताया कि जीएसटी काउंसिल का गठन किया गया है. केंद्रीय वित्त मंत्री इसके चेयरमैन होंगे. केंद्र का इसमें 33%] जबकि राज्य का 66% अधिकार होगा. किसी भी प्रस्ताव को पास करने के लिए 75% का समर्थन होना आवश्यक है. अगर 12-13 राज्य भी असहमत हो जाये, तो किसी भी प्रस्ताव को पारित कराना संभव नहीं होगा. इसमे चेक-बैलेंस की व्यवस्था की गयी है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि नया जीएसटी अधिनियम आया है, उसमें बहुत काम किया जाना है. पहले जितने सामान बिकते थे, उसका पता ही नहीं चलता था कि कहां से माल आया और कहां चला गया. बहुत समान बिक जाता था, पर टैक्स नहीं मिलता था. होटल में कोई रसीद नहीं लेता है.
हर क्षेत्र के व्यापार टैक्स के नेट में नहीं आ पाते थे. जीएसटी विधेयक में नयी आइटी प्रणाली का विकास किया जा रहा है. इससे पता चलेगा कि कहां से माल चला और किस राज्य में गया. इसके कारण दो नंबर का कारोबार है, वह जीएसटी से टैक्स नेट के दायरे में आयेगा. हर प्रकार के व्यापार का उसमें अंकित किया जायेगा. इस अधिनियम से पहला लाभ करों की पारदर्शिता में आयेगी. बिहार एक उपभोक्ता राज्य है. घोषित करों पर ही टैक्स वसूल पाता था. अन्य करों का लाभ ही नहीं मिलता था. नयी व्यवस्था से राज्यों को सेवाओं पर भी टैक्स लेने का अधिकार प्राप्त होगा. टेलीकम्युनिकेशन, रेल सेवा जैसे करों का लाभ राज्य को होगा. यहां कितने मोबाइल के उपभोक्ता हैं और कितने यात्री बिहार से सफर करते हैं.
उसका टैक्स बिहार को मिलेगा. इस व्यवस्था में पारदर्शिता के साथ सेवा कर लगाने का अधिकार मिल जायेगा. अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न टैक्स लगता था, उससे छुटकारा मिल जायेगा. सामान कर प्रणाली विकसित होगी, तो बाजार का विस्तार होगा. बिजनेसमैन सहूलियत की मांग करते थे, तो उनको अब कई जगह नहीं जाना पड़ेगा. इससे कर अधिकारियों का काम घटेगा. चेकपोस्ट बनाने की आवश्यकता नहीं होगी. माल का मूवमेंट पारदर्शी तरीके से हो जायेगा.
करों में कैपिंग व्यवस्था स्वीकार नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी में टैक्स में कैपिंग की व्यवस्था बिहार को स्वीकार नहीं है. किसी भी राज्य में विशेष परिस्थिति होगी, तो कैपिंग के कारण विचित्र परिस्थिति पैदा हो जायेगी. अगर आपदा आ जाये, तो क्या होगा. राज्यों को अपना काम करना है. सिलिंग निर्धारित हो जायेगी, तो यह व्यावहारिक नहीं है. इंपावर कमेटी में यह चर्चा हुई है कि डेढ़ करोड़ का व्यापार राज्य के डोमेन में आयेगा. पर, डेढ़ करोड से अधिक का कारोबार है, तो उसका भी टैक्स वसूली का अधिकार राज्य को ही मिलना चाहिए. जैसे इंटर स्टेट के टैक्स का पैसा केंद्र सरकार वसूल कर राज्यों के बीच देगी, उसी तरह से राज्य डेढ़ करोड़ से अधिक के कारोबार का पैसा वसूल कर केंद्र को दे देंगे. इसके लिए केंद्रीय टैक्स विभाग को जिला-जिला में कार्यालय खोलने की आवश्यकता नहीं है. अगर ऐसा नहीं होता है, तो कर प्रशासन के लिए ठीक नहीं होगा.
यह बिहार का स्टैंड है, जिसे फ्लोर पर रख रहे हैं. ऐसा नहीं हो कि बाद में इस मसले पर कोई यह कहे कि पहले तो समर्थन करते थे, अब विरोध कर रहे हैं. बिहार का यह भी स्टैंड है कि क्रेडिट का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचे. उन्होंने इस मामले में राज्य के कई पक्षों को सदन पटल पर रखा. साथ ही कहा कि जीएसटी से पूरी कर प्रणाली सरल हो. भविष्य में कानून जटिल न हो. माले के विधायक के विरोध में बाहर चले जाने पर अपील की कि जितने भी विधायक हैं, वे सर्वसम्मति से पास करें.
इसके पूर्व संविधान के 122वें संशोधन के प्रस्ताव को सदन में रखते हुए वाणिज्यकर मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि पहली बार देश में ग्लोबल कंसेप्ट को अपनाया जा रहा है. यह यथार्थवादी व्यवस्था है. एक लंबे उतार-चढ़ाव के बाद इसे संसद के दोनों सदनों ने पारित कर दिया. पहली बार फेडरल स्ट्रक्चर का कंसेप्ट अपनाया गया है. आरडी बर्मन के गीत का हवाला देते हुए कहा कि आया कहां से ये बंदा जाना कहा है जैसी स्थिति होती थी. केंद्र व राज्य अलग-अलग टैक्स लगाते थे. पर, अब इसे दूर करने के लिए जीएसटी काउंसिल का गठन किया गया है.
यह संवैधानिक दर्जा ले रहा है. इसमें एक तिहाई वोटिंग का राइट केंद्र के पास, दो तिहाई वोटिंग का अधिकार राज्यों के पास होगा. कोई भी प्रस्ताव पास करने के लिए तीन चौथाई बहुमत चाहिए. पहले विभिन्न राज्यों को इकट्ठा होने का प्लेटफार्म नहीं था. बिहार ने इंपावर कमेटी में कैपिंग की बात उठायी है. इसमें तीन एक्ट बनाने हैं. इनमें दो केंद्र बनायेगा और एक राज्य विधामंडल में आयेगा.

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