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Result Scam : टॉपर घोटाले के मुख्य आरोपित लालकेश्वर ने किये अहम खुलासे
पटना : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रो. लालकेश्वर प्रसाद सिंह पैसे का लेन-देन खुद नहीं करते थे. यह काम उनकी पत्नी और बिचौलिये की भूमिका निभाने वाले अनिल कुमार, अजीत शक्तिमान, संदीप झा, देवेंद्र कुमार और विकास चंद्रा करते थे. दलाली करने के लिए पूर्व अध्यक्ष ने गैर-सरकारी संवर्ग के लोगों का […]
पटना : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रो. लालकेश्वर प्रसाद सिंह पैसे का लेन-देन खुद नहीं करते थे. यह काम उनकी पत्नी और बिचौलिये की भूमिका निभाने वाले अनिल कुमार, अजीत शक्तिमान, संदीप झा, देवेंद्र कुमार और विकास चंद्रा करते थे. दलाली करने के लिए पूर्व अध्यक्ष ने गैर-सरकारी संवर्ग के लोगों का नेटवर्क अपने आसपास खड़ा कर रखा था. धांधली की हालत यह थी कि परीक्षा मूल्यांकन केंद्र बनाने के लिए पत्नी उषा सिन्हा ने एक लाख रुपये लिये और बिना किसी लिखित आदेश के मौखिक रूप से ही अध्यक्ष और सचिव ने फरमान जारी कर दिया.
26 जून 2014 से 8 जून 2016 तक अपने कार्यकाल में पूर्व अध्यक्ष ने बिचौलियों के माध्यम से चार-पांच लाख रुपये प्रति कॉलेज पैसे लेकर निजी कॉलेजों को संबद्धता दी, जिसमें किसी तरह के नियम का कोई पालन नहीं किया गया. जबकि प्रिंटिंग समेत अन्य सभी टेंडर प्रक्रिया में उनका दामाद विवेक कुमार ही मुख्य रूप से बिचौलिया की भूमिका निभाता था.
पैसे की बदौलत पत्नी उषा सिन्हा के जरिये बच्चा राय इतना करीबी बन गया कि उसके लिए सभी नियमों को ताक पर रखकर विशेष व्यवस्था की गयी. इसका भी खुलासा पूछताछ में हुआ है. पुलिस गिरफ्त में आने के बाद उनसे 22 से 25 जून के बीच गहन पूछताछ की गयी. उनसे 53 प्रश्न किये गये, जिनमें तमाम गड़बड़ी और धांधली उजागर हुई.
पूछताछ के दौरान प्रो लालकेश्वर से पूछे गये कुछ अहम प्रश्न और उनके उत्तर
– बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में आपके योगदान के समय अध्यक्ष के साथ कौन-कौन आप्त सचिव एवं निजी सहायक कार्यरत थे?
लालकेश्वर : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में मेरे योगदान के समय अध्यक्ष के साथ प्रवीण कुमार सिन्हा और उपाध्याय जी एवं काउंसिल में विनोद रजक व गोपाल जी आप्त सचिव एवं निजी सहायक के रूप में कार्यरत थे.
– वे आप्त सचिव और निजी सहायक आपके कार्यकाल में आपके साथ कार्यरत रहे या उनका स्थानांतरण कर दिया गया था?
लालकेश्वर : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का अध्यक्ष बनने के छह महीने के बाद मुझे राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त हो गया. उसके दो महीने के बाद मेरे द्वारा अन्य स्टाफ को रखा गया. मैंने विकास चंद्रा को पीएस के रूप में प्रतिनियुक्त करवाया जो गैर-सरकारी संवर्ग से थे.
अनिल कुमार को पीए के रूप में प्रतिनियुक्त करवाया जो सरकारी संवर्ग से था. अनिल कुमार उच्च विद्यालय में शिक्षक था. गुड्डू रंगीला को मैंने गैर-सरकारी संवर्ग से पीए के रूप में रखा. गुड्डू मुखिया का चुनाव लड़ना चाहता था. इसलिए चार महीने पहले स्वयं पद से हट गया. गुड्डू का मकान हिलसा में श्रीचरण उदासीन कॉलेज से सटे उत्तर है. गुड्डू के हटने के बाद देवेंद्र कुमार उर्फ चुन्नु को रखा गया. मेरे साथ सरकारी संवर्ग से सिर्फ अनिल कुमार थे. अन्य सभी गैर-सरकारी संवर्ग के थे.
– आप अनिल को कैसे जानते हैं?
लालकेश्वर : मैं अनिल को अपनी पत्नी के जरिये जानता हूं. वे उनसे मिलने आते थे. अनिल मेरे घर हिलसा के बिहारी साव लेन का रहने वाला है. अनिल ने निजी सचिव बनने के लिए आवेदन दिया था, जिसे मैंने बोर्ड के सचिव को अग्रसारित किया. उन्होंने मुंगेर के आरडीडी को भेजा. वहां से विरमित होकर वह मेरे निजी सचिव के रूप में कार्य करने लगा. नियोजित कर्मी की नियोजन इकाई से बाहर प्रतिनियुक्ति नहीं होती, इस बात की मुझे जानकारी नहीं थी.
– नियोजित व्यक्ति की प्रतिनियुक्ति नियोजन इकाई से बाहर किया जाना क्या नियमानुकूल है?
लालकेश्वर : नियमानुकूल नहीं है.
– शंभू नाथ दास प्रशाखा पदाधिकारी एवं रंजीत मिश्रा सहायक कितने वर्षों से गोपनीय एवं परीक्षा शाखा में कार्यरत हैं. अगर वे वर्षों से कार्यरत हैं, तो उनका स्थानांतरण क्यों दूसरे प्रशाखा में नहीं किया गया?
लालकेश्वर : शंभू नाथ दास प्रशाखा पदाधिकारी एवं रंजीत मिश्रा सहायक मेरे बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में मेरे ज्वाइन करने के काफी पहले से कार्यरत थे. दोनों बहुत योग्य कर्मचारी थे. दोनों की योग्यता को देखते हुए कार्य से प्रभावित होकर मैंने उनका स्थानांतरण नहीं किया.
– वर्ष 2016 में आयोजित इंटर की परीक्षा में विशुनदेव राय कॉलेज, आरएन कॉलेज एवं वैशाली जिला के अन्य पांच कॉलेजों के परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन केंद्र बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को क्यों बनाया गया, जबकि पूर्व में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को मूल्यांकन केंद्र नहीं बनाया गया था?
लालकेश्वर : ऐसा था कि वर्ष 2015 में जो रिजल्ट आया था, उसमें सारे बच्चे टॉप कर गये थे. एक से 50 तक वहीं का बच्चा टॉप किया था. पूरी कॉपी का मूल्यांकन सासाराम में करवाया था. दोबारा मूल्यांकन करने पर सिर्फ एक लड़का टॉप किया. वैशाली के किसी ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल में परीक्षा ली गयी थी. वहां के प्राचार्य को बुलाकर पूछताछ भी की थी. कार्रवाई चल रही थी. इसलिए विशुनदेव राय कॉलेज की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन केंद्र बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को बनाया गया था.
– वर्ष 2015 में इंटर की परीक्षा में विशुनदेव राय कॉलेज के रिजल्ट में गड़बड़ी पाये जाने पर क्या कार्रवाई की थी?
लालकेश्वर : वर्ष 2015 में गड़बड़ी पाये जाने पर मेरे द्वारा कदाचार समिति बोर्ड के स्तर से गठित की गयी. इसमें बाल्मिकी प्रसाद सिन्हा (पटना विश्वविद्यालय के गणित के रिटायर प्रोफेसर), राजाराम प्रसाद (रिटायर प्राचार्य, जिला स्कूल, गया), गोविंद झा (रिटायर आरडीडी) शामिल हैं. उसके बाद समिति के द्वारा कार्रवाई की जा रही है. इस समिति का प्रतिवेदन प्राप्त नहीं हुआ है.
– मूल्यांकन केंद्र बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को बनवाने के बाद आपने उन कॉलेजों के छात्रों की उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन कहां कराया?
लालकेश्वर : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में किसी भी परीक्षा केंद्र की उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन नहीं कराया गया. सारी उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन राजेंद्र नगर स्थित बालक उच्च विद्यालय में कराया गया. वहां मूल्यांकन केंद्र बनाने के लिए मेरी पत्नी ने मुझे कहा था कि एक लाख रुपये मूल्यांकन केंद्राधीक्षक द्वारा दिया गया है.
– क्या मूल्यांकन केंद्र बनाने के लिए इस संदर्भ में कोई कार्यालय आदेश आपके द्वारा जारी किया गया?
लालकेश्वर : किसी प्रकार का कोई आदेश लिखित तौर पर मेरे द्वारा जारी नहीं किया गया था. मेरे और सचिव के मौखिक आदेश पर ही बालक उच्च विद्यालय को मूल्यांकन केंद्र बनाया गया था.
– आप मूल्यांकन केंद्र बालक उच्च विद्यालय, राजेन्द्र नगर स्वयं उत्तरपुस्तिका लेकर गये थे, आखिर क्यों?
लालकेश्वर : मैं मूल्यांकन केंद्र पर विशुनदेव राय कॉलेज के छात्रों की उत्तरपुस्तिका लेकर स्वयं गया था.
– मूल्यांकन केंद्र से कुछ परीक्षार्थियों की उत्तरपुस्तिका आप स्वयं वहां से बिना किसी लिखित जानकारी के परिणाम घोषणा होने से पहले ले आये थे, आखिर क्यों?
लालकेश्वर : मैं वहां से शालिनी राय, सौरभ श्रेष्ठ एवं राहुल कुमार की उत्तरपुस्तिका लेकर स्वयं बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (उ.मा.) का कार्यालय लेकर आया था. चूंकि मुझे देखना था कि ये तीनों छात्र-छात्रा उच्चतर मेधा प्राप्त कर रहे हैं, तो इनकी उत्तरपुस्तिकाओं में दिये गये उत्तर की क्या स्थिति है.
– जो उत्तरपुस्तिका परिणाम घोषणा होने से पहले आप लायेथे, वे सभी विशुनदेव राय कॉलेज, कीरतपुर, भगवानपुर, जिला- वैशाली के छात्रों के ही थे. ऐसा क्या कारण था कि एक ही कॉलेज के छात्रों की उत्तर पुस्तिका आप ले आये थे?
लालकेश्वर : विशुनदेव राय कॉलेज के तीनों छात्र उच्चतर मेधा प्राप्त कर रहे थे. मेधा सूची में उच्चतर नाम होने के कारण उन तीनों की उत्तर पुस्तिकाओं को मैं लाया था.
– विशुन राय कॉलेज के प्राचार्य अमित कुमार उर्फ बच्चा राय को आप जानते हैं?
लालकेश्वर : हां.
– आप उनको कब से जानते हैं?
लालकेश्वर : वर्ष 2015 से मैं उसको जानता हूं, जब उसके कॉलेज का रिजल्ट अच्छा आया था. उसके कॉलेज के छात्रों की कॉपी की स्क्रूटनी भी करवायी थी. स्क्रूटनी के बाद छात्रों के नंबर कम हो गये थे, तो इसके बाद वह मुझसे मिलने आया था.
– क्या कारण था कि बच्चा राय आपसे आपके आवास पर मिलते थे?
लालकेश्वर : बच्चा राय मेरे आवास पर मेरे समक्ष मेरे सामने नहीं आया था. मेरे पीछे मेरी मैडम से मिलने आया होगा, परंतु मेरी जानकारी में नहीं है.
– जिन छात्रों की उत्तरपुस्तिका आपके द्वारा मूल्यांकन केंद्र बालक उच्च विद्याल, राजेन्द्र नगर लाया गया था. उन उत्तरपुस्तिकाओं में अंकित किये गये प्राप्तांक और मार्कशीट में दिये गये प्राप्तांक में अंतर है. इसके संदर्भ में आपका क्या उत्तर है?
लालकेश्वर : कॉपी पर प्राप्तांक का मिलान मार्कशीट पर अंकित नंबर से मेरे द्वारा नहीं करवाया गया था.
– विशुन राय कॉलेज के परीक्षार्थियों की मार्कशीट में कई जगहों पर व्हाइटनर लगा कर प्राप्तांक को अंकित गया है. इसके लिए कौन जवाबदेह है?
लालकेश्वर : इसके लिए अध्यक्ष, सचिव, परीक्षा कंट्रोलर शंभुनाथ दास, सहायक रंजीत मिश्रा जिम्मेवार हैं. साथ ही वह मूल्यांकनकर्ता भी जिम्मेवार है, जिसने मार्कशीट तैयार की है.
– तीन सदस्यीय कमेटी द्वारा विशुनदेव राय कॉलेज के निरीक्षण के बाद प्रतिकूल टिप्पणी अंकित की गयी है. इस के संदर्भ में आपके स्तर से क्या कार्रवाई की गयी थी?
लालकेश्वर : बच्चा राय के विशुनदेव राय कॉलेज का निरीक्षण दो-तीन महीने पहले करवाया गया था, जिसमें प्रतिकूल टिप्पणी आयी थी. उक्त टिप्पणी के आलोक में कार्रवाई भी नहीं की गयी है.
– विशुनदेव राय कॉलेज को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (उ.मा.) द्वारा हर संकाय में जितनी संख्या में छात्र-छात्रों को परीक्षा में शामिल होने का आदेश दिया गया है. उससे कहीं अधिक संख्या में परीक्षार्थियों को शामिल कराया गया और आपके द्वारा क्यों अधिक संख्या में छात्रों को परीक्षा में सम्मिलित करने का आदेश दिया गया?
लालकेश्वर : बोर्ड के द्वारा 768 परीक्षार्थियों को एपियर कराने का अनुमोदन दिया गया था. जबकि इससे अधिक संख्या में परीक्षार्थियों को एपियर करवाया गया है. संचिका सहायक, प्रशाखा पदाधिकारी, डिप्टी सेक्रेटरी, सचिव से होकर में पास फाइल आती है. इतने लोगों की भी इसमें जिम्मेवारी है. अधिक संख्या में परीक्षार्थियों को एपियर करवाने के लिए कहीं से कोई लिखित अनुरोध नहीं मिला था. व्यावहारिकता को ध्यान में रखते हुए अनुमोदित संख्या से अधिक संख्या में परीक्षार्थियों को एपियर कराया गया.
– आपके कार्यकाल में कितने नये कॉलेजों को संबंधन दिया गया है?
लालकेश्वर : 200-250 कॉलेजों का संबंधन दिया गया.
– आपके द्वारा ऐसे कॉलेजों को भी संबंधन दिया गया है, जो वांछित अहर्ता नहीं रखते हैं. आखिर ऐसे कॉलेजों को संबंधन देने के पीछे क्या कारण है?
लालकेश्वर : संदीप झा, अजीत शक्तिमान, विकास चंद्रा, अनिल कुमार वे सभी संबंधन के लिए प्रस्ताव समर्पित करने वाले कॉलेजों के शासी निकाय के सदस्यों से संपर्क करते थे. तीन से चार लाख रुपये शासी निकाय के सदस्यों से लेने के बाद संबंधन दिया जाता था. पैसे लेने में संदीप झा, अजीत शक्तिमान, विकास चंद्रा, अनिल कुमार बिचौलिया की भूमिका अदा करते थे. पैसे का लेन-देन मेरी पत्नी उषा सिन्हा करती थीं. पैसा लेने के बाद बिचौलिया एवं उषा सिन्हा बताती थी कि लेन-देन हो गया है. तब हम कॉलेज को संबंधन प्रदान कर देते थे.
– उत्तरपुस्तिका आपूर्ति करने वाले को निविदा देने की क्या प्रक्रिया है?
लालकेश्वर : उत्तरपुस्तिका आपूर्ति के लिए ओपन टेंडर किया जाता है. दो तरह का बिड होता है, पहला टेक्निकल और दूसरा फाइनेंसियल होता है. पहले बिड के दो-तीन दिन बाद दूसरा बिड खुलता है.
जिनका लोएस्ट रेट होता है, उसी को निविदा दी जाती है. ये सारा कार्य क्रय-विक्रय समिति करती है, जिसमें पांच सदस्य होते हैं. कमेटी के सदस्य एक सेकेटरी, दो उप-सेकेटरी, फाइनेंशियल एडभाइजर एवं एक प्रमोद बाबू जो बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के प्रशाखा पदाधिकारी हैं. विवेक कुमार जो मेरा दामाद है, इन फर्मों एवं मेरे बीच बिचौलिया का काम करता था. बिचौलिया के रूप में वह अपना हिस्सा फर्म से प्राप्त कर लेता था.
– गोपनीय कागजातों की छपाई आपूर्ति करने वाले प्रिंटिंग प्रेस या फर्म को निविदा देने की क्या प्रक्रिया है. वर्तमान आपूर्तिकर्ता कौन-सा प्रिंटिंग प्रेस या फर्म है? इस फर्म को कितनी राशि की निविदा मिली है?
लालकेश्वर : इसके लिए अलग से निविदा होती है. कोलकाता की वसु एंड राय फर्म को निविदा मिली हुई है, जिसकी राशि करीब एक करोड़ है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के कर्मियों द्वारा आपत्ति करने के बाद भी मेरे द्वारा उक्त फर्म को भुगतान किया गया है, जो नियमानुकूल नहीं है.
– बोर्ड के बहुत से कागजात विवेक के घर से मिले हैं, वे कागजात उसके घर पर कैसे चले गये?
लालकेश्वर : विवेक कुमार ठेका लेने वाले फर्मों के बीच बिचौलिया का काम करता था. इसी संदर्भ में कागजात लेकर गये होंगे. वही कागजात मिले होंगे.
(कल के अंक में पढ़ें लालकेश्वर के पीए विकास चंद्रा और संदीप झा से पुलिस की पूछताछ के प्रमुख अंश.)
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