पटना : पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि शराबबंदी के बावजूद राज्य में अपराध की घटनाओं में वृद्धि हुई है. महागंठबंधन सरकार में डॉक्टरों, इंजीनियरों और व्यवसायियों के साथ–साथ मुख्य विपक्षी दल भाजपा के नेताओं को भी निशाना बनाया जा रहा है. आरा में विशेश्वर ओझा और दानापुर में अशोक जायसवाल की हत्या से एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह दावा खोखला साबित हुआ कि शराबबंदी से अपराध घटे हैं. उन्होंने कहा है कि इस साल एक अप्रैल से शराबबंदी लागू होने के बाद अपराध कुछ घटे थे, लेकिन मई–जून से आपराधिक घटनाओं में तेजी आ गयी.
बिहार पुलिस की वेबसाइट का दिया हवाला
उन्होंने बताया कि बिहार पुलिस की वेबसाइट के अनुसार अप्रैल के मुकाबले जून में बलात्कार की घटनाएं 55 फीसदी बढ़ी. मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि शराबबंदी के बाद बलात्कार और महिलाओं के विरुद्ध हिंसा की घटनाएं कैसे बढ़ी? मोदी ने कहा है कि अगस्त के पहले पखवारे में कटिहार से चार साल की बच्ची का अपरहण हुआ. बेखौफ अपराधियों ने बेतिया में पूर्व मंत्री से 1.20 करोड़ रुपये की रंगदारी वसूलने के लिए उनके घर पर बम फेंका.
शराबबंदी के बाद अपराध में 22 फीसदी बढ़ोतरी
अरवल में पुलिस लाइन के सामने से रिटायर्ड दरोगा के पोते का अपहरण हुआ. मुजफ्फरपुर में एक एजेंसी के 4.84 लाख लूटे गये. पूर्णिया में 11 लाख की डकैती हुई. उन्होंने कहा है कि शराबबंदी के बावजूद संज्ञेय अपराध में 22 फीसद और हत्या की घटनाओं में 14 प्रतिशत की वृद्धि होना भी मुख्यमंत्री के दावे को खोखला साबित करता है. डकैती में 52 फीसद और दंगा–फसाद में 59 फीसद की वृद्धि क्यों हुई? बैंक लूट की घटनाएं तो 100 फीसद तक बढ़ गयी है. रोड डकैती की घटनाओं में 92 फीसद और सड़क लूटपाट में 45 फीसद का इजाफा हुआ है.