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बिहार में बाढ़ : NH तक पहुंचा गंगा का पानी, ट्रेनें भी बाधित

आफत : पंचायतों के हजारों घरों में घुसा पानी, सैकड़ों एकड़ की फसल चौपट, पलायन को मजबूर हुए लोग, सड़कों पर ढाई फुट तक बह रहा बाढ़ का पानी बाढ़ : बिहार में बाढ़ अनुमंडल में रविवार को गंगा नदी के बढ़ते जल स्तर के कारण पानी का फैलाव कई क्षेत्रों में हो जाने से […]

आफत : पंचायतों के हजारों घरों में घुसा पानी, सैकड़ों एकड़ की फसल चौपट, पलायन को मजबूर हुए लोग, सड़कों पर ढाई फुट तक बह रहा बाढ़ का पानी

बाढ़ : बिहार में बाढ़ अनुमंडल में रविवार को गंगा नदी के बढ़ते जल स्तर के कारण पानी का फैलाव कई क्षेत्रों में हो जाने से जनजीवन असामान्य हो गया. वहीं एनएच पर से कई जगहों पर पानी बहने लगा. अचुआरा, दाहौर व जलगोविंद गांव के पास गंगा नदी का पानी एनएच पार कर घरों में घुसने लगा. जलगोविंद के पास एनएच किनारे मिट्टी डाल कर फिलहाल पानी के बहाव को रोका गया है. वहीं एनएच और गंगा नदी के बीच के क्षेत्र में स्थित हजारों घरों में पानी घुस गया है. आने-जाने के लिए लोग नाव का सहारा ले रहे है. अनुमंडल प्रशासन ने एहतियात के तौर पर रविवार को दिनभर वाहनों का परिचालन एनएच पर रोक दिया, जिससे वाहनों की सड़क पर कतार लग गयी.

बख्तियारपुर : गंगा का पानी नगर पंचायत क्षेत्र के कई हिस्सों में घुस गया है. एनएच 106 व 31 पर पानी ही पानी है. चंपापुर से लेकर महमदपुर तक दर्जन भर स्थानों पर गंगा का पानी सड़क को पार कर रहा है. राज्य पथ 106 पर देदौर, बरियारपुर, रवाइच, चर्च के समीप व रानीसराय गावों के समीप सड़क पर एक फुट से ढाई फुट तक पानी बह रहा है. वहीं डीडीसी, एसडीओ, बीडीओ व सीओ एनडीआरएफ टीम के साथ डटे हैं.

दनियावां : दनियावां प्रखंड के विभिन्न भागों में बहनेवाली बरसाती नदियों के जल स्तर में लगतार वृद्धि से दनियावां के बांकीपुर मछरियवां पंचायत के जाफराबाद, प्रवीणचक,गोढ़र और मकसुदपुर गांव के सैकड़ों बीघा में लगी धान की फसल नष्ट हो गयी है. वहीं, विद्यालयों में पानी घुस जाने के कारण पढ़ाई बाधित है. वहीं, दनियावां-बिहारशरीफ एनएच पर पानी चढ़ गया है. दनियावां थाना क्षेत्र के दनियावां -बिहारशरीफ एनएच 30 ए पर होरील बिगहा के पास छिलका पर एक से डेढ़ फुट बाढ़ का पानी चढ़ गया है .

पटना सिटी : गंगा व पुनपुन के उफान से दीदारगंज-सबलपुर के पास एनएच पर पानी आ गया है. वाहन चालक धीरे-धीरे वाहनों को ले जा रहे हैं. लोगों ने मवेशियों के साथ सुरक्षित जगहों पर शरण ले ली है. गंगा व पुनपुन के उफान से तट पर झोंपड़ी व मकान बना कर रह रहे लगभग 50 हजार से अधिक की आबादी सुरक्षित स्थान पर पलायन कर रही है. इधर, जल्ला के प्रभावित गांव के लोगों ने नत्थाचक के समीप में गेट खोलने को लेकर जाम लगा दिया.

मनेर : रविवार को राहत सामग्री व नदी में नाव नहीं चलने से नाराज सैकड़ों बाढ़पीड़ितों ने मनेर में विभिन्न जगहों पर अागजनी करते हुए एनएच- 30 को जाम कर दिया. एनएच सुबह दस बजे लेकर चार बजे तक जाम रहा. मनेर प्रखंड के दियारा क्षेत्र की छह पंचायतों में बाढ़ के पानी से बने भयावह स्थिति को देख कर बाढ़पीड़ित जान बचा कर जैसे-तैसे मनेर व अन्य जगहों पर पहुंचे. साथ ही स्थानीय प्रशासन द्वारा सोन नदी व बाढ़ग्रस्त इलाकों में नाव नहीं चलाने तथा राहत सामग्री का वितरण नहीं किये जाने से आक्रोशित हो गये और राजमार्ग तीस पर अागजनी करते हुए जाम कर दिया.

दानापुर : सोन के रौद्र रूप अख्तियार करने के बाद गंगा में उफान से सेना व असैनिक इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है़ गंगा तट पर स्थित सेना सप्लाइ डिपो , आर्मी अस्पताल, सबएरिया जीओसी आवास, अफसर मेस, बीआरसी के प्रशिक्षण मैदान समेत असैनिक इलाकों में बाढ़ का पानी नाले से रिसाव होकर आना शुरू हो गया है़

असैनिक इलाकों में धोबी टोला, कागजी मुहल्ला में बाढ़ का पानी घुस गया है. इधर, झारखंड व बिहार सबएरिया मुख्यालय के डिप्टी जीओसी ब्रिगेडियर बीएस ढिल्लन ने बताया कि राज्य सरकार ने अभी तक बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में बचाव व राहत कार्य चलाने के लिए सेना से मदद नहीं मांगी है़

फतुहा : प्रखंड क्षेत्र के शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ का कहर जारी है. एनएच पर गंगा नदी का पानी रायपुरा के पास रोड पर पानी पार करते हुए शहर में प्रवेश कर गया, जिससे कई मोहल्ले में पानी घुस गया है.

मसौढ़ी : पुनपुन नदी के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिससे निचले इलाके में नदी की पानी फैल गया है. समाचार लिखे जाने तक पुनपुन नदी का जलस्तर खतरे के निशाने से ऊपर था. सीओ अंजनी कुमार ने बताया कि पुनपुन नदी खतरे के निशान से 1.14 सेमी ऊपर है, जिससे प्रखंड की बरावां, लखना पूर्वी व लखना उतरी-पश्चिमी पंचायत के दर्जन भर गांवों में पानी प्रवेश कर गया है.

अथमलगोला : गंगा के जल स्तर में हुई वृद्धि के फलस्वरूप प्रखंड की बड़ी आबादी बाढ़ की चपेट में आ गयी है. देर रात से गंगा के जल स्तर के निरंतर बढ़ते रहने के कारण बीते शनिवार से ही गंगा का पानी एनएन 31 को पार कर प्रखंड के दक्षिणी हिस्से में फैल गया है.

गंगा मैया तो अपनी जमीन अगोर रही है

पुष्यमित्र

पटना : दोपहर में खा-पीकर लेटने ही जा रहा था कि मित्र का फोन आ गया, चलिए बाढ़ देखकर आते हैं. मैंने कहा, बाढ़ भी कोई देखने की चीज है, तो कहने लगे, 40 साल बाद तो बाढ़ आया है पटना में कल तक उतर गया तो यह भी नहीं देख पाएंगे. उनके अनुरोध को अस्वीकार नहीं कर पाया, पत्रकार मन भी जोर मार रहा था, सो निकल गया. इरादा बना कि दीघा घाट से एनआइटी घाट तक घूम कर देखा जायेगा, सो पहला स्टेशन दीघा घाट बना.

हमारा अंदाजा था कि दीघा घाट के पास पानी सड़क को छू रहा होगा और सड़क किनारे की बस्तियां जलमग्न होंगी. मगर हम बड़ी आसानी से घाट तक पहुंच गये. घाट पर तीन-चार परिवार मवेशियों के साथ जमे थे और हमारे जैसे दर्शनार्थियों की भीड़ गंगा की लहरों को निहार रही थी. शरणार्थियों में से एक अखिलेश राय ने बताया कि वे लोग नकटा दियरा से आये हैं. दियरा के इलाके में जगह-जगह पानी घुस गया है. ज्यादातर लोग मवेशियों को लेकर इस तरफ आ गये है, कुछ इलाकों में पानी नहीं घुसा है सो लोग वहीं जमे हैं.

वहां बैठे तीन-चार स्थानीय सज्जनों से जब हमने पूछा कि इस बार तो जबरदस्त बाढ़ आई है? तो कहने लगे, पानी वाकई जबरदस्त है, मगर इसको बाढ़ मत कहिये. अभी गंगा अपने सीमान में ही है.

उधर देखिये तटबंध. अभी तटबंध पर कहीं पानी नहीं चढ़ा है. यहां से लेकर गांधी मैदान तक और अशोक राजपथ पर तो पानी घाट को भी पार नहीं किया है. तटबंध तक तो गंगा मैया का ही इलाका है. वह अपना इलाका अगोर रही है. देखने आयी है कि कोई उसके इलाके में चढ़ तो नहीं गया है. बांध के अंदर जितने अवैध मकान, अपार्टमेंट और झोपड़े हैं उन्हीं में पानी घुसा है. गंगा अपार्टमेंट में भी जो पानी गया है वह रोड पार करके नहीं गया है. जाइये उधर भी देख आइये.

हम आगे बढ़ते हैं. सचमुच दीघा से गांधी मैदान वाया कुर्जी, राजा पुल, मुख्य सड़क पर कहीं पानी नहीं है. कुर्जी मोड़ से पहले हमीदपुर गेट नम्बर 29 के पास कुछ मकानों में और गली में पानी घुस गया है.

वह भी नाले के पास होने की वजह से. वहां बच्चे पानी में खेल रहे थे, एक बच्चे ने पुराने बेड से नाव बनाने की भी कोशिश की थी. लोगों ने बताया कि तकरीबन 50 घरों में पानी घुस गया है. लोगों ने घर का सामान उपर रख दिया है. जिनके यहाँ अपना छत है उन्होंने छत पर शरण ले ली है, बांकी लोग ग्राउंड फ्लोर पर ही एक या दो फुट पानी के बीच किसी तरह समय काट रहे हैं. आगे कुर्जी मोड़ के पास भी कुछ नए बन रहे अपार्टमेंट में पानी घुसा नजर आता है. हालांकि ये सब के सब तटबंध के अंदर वाले इलाके ही हैं.

बालू घाट के पास सड़क को ब्लॉक कर दिया गया है. कई मजदूर सड़क पर बैठ कर सैंड बैग तैयार कर रहे हैं. एक ट्रेक्टर गंगा अपार्टमेंट के बेसमेंट से पानी निकाल रहा है. गंगा अपार्टमेंट की बाढ़ को देखने के लिए अच्छी खासी भीड़ उमड़ी है. पुलिस उसे नियंत्रित कर रही है. आगे भी जहां तहां लोगों के जत्थे नजर आते हैं. सब 40 साल बाद शहर किनारे पहुंची गंगा की लहरों को देखने पहुंचे हैं. पक्के तटबंध पर चढ़ चढ़ कर देख रहे है. अंदर कई झोपड़ियां जलमग्न नजर आती हैं. वहां रहने वाले तटबंधों पर आ बसे हैं.

बांस घाट के पास स्थिति नाजुक है. विद्युत शवदाह गृह के बेसमेंट में पानी घुस गया है. दोपहर को शवदाह गृह बंद कर दिया गया था. मगर लोगों के दबाव में फिर से खोलना पड़ा है. पानी घाट पर चढ़ गया है इसलिए शव जलाने की जगह नहीं बच रही. कई लोग शवों के साथ अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. आगे भी एक दो जगह पानी की लहरें सड़क के पास नजर आती हैं.

हम गांधी मैदान पार कर कलेक्ट्रीएट घाट पहुंच जाते हैं. वहां पूछने पर लोग बताते हैं कि पानी का दबाव कई रोज से है. घाट और मरीन ड्राइव डूब गया है मगर किसी मकान में पानी नहीं घुसा है. पीएमसीएच में भी यही हाल है. वहां मुस्लिम महिलाओं का एक जत्था हमसे पूछता है लक्खी घाट किधर है? हम रास्ता बताकर उनसे पूछते हैं, बाढ़ देखने जा रहे हैं? हमारे सवाल का जवाब वे मुस्कुरा कर देते हैं.

आगे काली घाट के रास्ते में तो मेले जैसा माहौल है. पुरुष, महिलाएं और बच्चे सब बाढ़ देखने जा रहे हैं. सजे धजे लोग, सब बहुत उत्साहित है. सबको उफनती गंगा के साथ सेल्फी लेना है. वही हाल एनआइटी घाट का है. प्रशासन ने रास्ते को बांस लगाकर घेर दिया है कि घाट असुरक्षित है. मगर लोग मान नहीं रहे. बांस के नीचे से घुस जा रहे हैं.

तभी मेरे मित्र को एक परिचित परिवार नजर आ जाता है. उनके मुंह से अनायास निकल जाता है आप भी? 8-10 लोगों का यह परिवार छोटी पहाड़ी बाई पास से आया है. सन्डे था, कहीं घूमने जाना ही था सो यहीं आ गये. अख़बार में खबर देख कर बच्चे बाढ़ देखने की जिद करने लगे थे. मगर यहां तो सिर्फ उफनती गंगा थी. उस व्यक्ति ने हमारे मित्र से पूछा, अच्छा बताईये गंगा अपार्टमेंट कहां है? हमने बता दिया. गंगा अपार्टमेंट का नाम सुनकर बच्चों के चेहरे पर चमक आ गयी. अब असली बाढ़ देख पाएंगे. हम लौटने लगे. शाम हो गयी थी.

थोड़ी राहत : गुल नहीं होगी बिजली

पटना. दीघा से लेकर पटना सिटी तक गंगा किनारे हजारों की संख्या में मकान हैं, जिसमें बड़ी आबादी रह रही हैं. गंगा में जल स्तर बढ़ने से इन इलाकों में बिजली आपूर्ति में कोई खतरा नहीं है.

हालांकि, पेसू अधिकारियों द्वारा इसकी निगरानी की जा रही है, ताकि विद्युत तार नहीं टूटे और कोई हताहत नहीं हो. दीघा से लेकर गांधी मैदान तक मुख्य सड़क के किनारे विद्युत पोल लगाये गये हैं. इस विद्युत पोल से गंगा किनारे रहने वाले लोगों ने कनेक्शन लिया है. स्थिति यह है कि अब तक गंगा के पानी ने सुरक्षा बांध को नहीं छुआ है. इससे विद्युत पोल पर बाढ़ का खतरा नहीं है. वहीं, गांधी मैदान से लेकर पटना सिटी तक गंगा का किनारा काफी ऊंचा है. एेसे में बिजली आपूर्ति से कोई दिक्कत नहीं है. पेसू अधिकारी बताते हैं कि गंगा के जल स्तर पर उनकी नजर है.

साइड इफेक्ट : ट्रेनों की रफ्तार धीमी

पटना. बाढ़ का पानी रेलवे लाइनों तक पहुंच गया है. दानापुर और सोनपुर रेल मंडल ने कई रूटों पर कॉशन लगाते हुए ट्रेनों की रफ्तार 30 किलोमीटर प्रतिघंटा निर्धारित की है. इसमें दानापुर रेल मंडल के तीन रूट और सोनपुर रेल मंडल के दो रूट के अप व डाउन दोनों रेल ट्रैक पर 30 किलोमीटर की रफ्तार से ट्रेन चलेगी और यह अगले आदेश तक लागू है. दानापुर रेल मंडल के चौसा-बक्सर-चौसा व बंकाघाट-फतुहा-बंकाघाट रूट पर 30 किमी प्रतिघंटा और चौसा-गहमर-चौसा रूट पर 50 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार निर्धारित की गयी है.

इसके साथ ही सोनपुर रेल मंडल के बरागोपाल-गोपालगंज-बरागोपाल व नारायणपुर-पसराहा रूट पर 30 किमी और नारायणपुर-थानाबीहपुर रूट पर 50 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार निर्धारित की गयी है. वहीं, सीतलपुर-दीग्गवारा रूट पर भी ट्रेन की रफ्तार 30 किमी की गयी है. पूर्व मध्य रेल के मुख्य जनसंपर्क पदाधकारी अरविंद कुमार रजक ने बताया कि जल स्तर कम होने के बाद रेलवे ट्रैक का जायजा लेने के बाद ही रफ्तार बढ़ायी जायेगी. ट्रेनों की तय गति रविवार से ही अगले आदेश तक लागू कर दी गयी है.

हालात पर नजर : मंत्रियों के दौरे स्वास्थ्य मंत्री ने गांवों का लिया जायजा

मनेर. रविवार की शाम स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव बाढ़पीड़ित इलाकों का निरीक्षण करने मनेर पहुंचे. इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने मनेर के विभिन्न घाटों पर पहुंच कर बाढ़पीड़ित गांवों का जायजा लिया. साथ ही बाढ़पीड़ित इलाकों में प्रशासन द्वारा दी गयी सुविधाओं के बारे में जानकारी ली. वे मनेर उच्च विद्यालय , महिनावां मध्य विद्यालय बाढ़ रिलीफ केंद्र पर गये और बाढ़पीड़ितों से मुलाकात की. इस

दौरान बाढ़पीड़ितों ने स्वास्थ्य मंत्री को बताया कि दियारा में पीने के पानी की किल्लत हो गयी है. अनाज के बगैर भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. वहीं, आप नेत्री व पूर्व मंत्री परवीन अमानुल्लाह ने भी बाढ़पीड़ितों से मुलाकात की.

पटना शहर को बाढ़ से खतरा नहीं : ललन सिंह

पटना. राज्य के सिंचाई मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने दावा किया है कि पटना शहर को गंगा में आये ऊफान से कोई खतरा नहीं है. धीरे-धीरे गंगा का जल स्तर घट रहा है.

रविवार को उन्होंने दीघा सहित आस-पास के क्षेत्रों में बढ़े गंगा के जल स्तर का जायजा लिया. उनके साथ विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार, इंजीनियर इन चीफ इंदूभूषण और राजेश कुमार भी थे. जलस्तर के निरीक्षण के बाद जल संसाधन मंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि फरक्का के सभी बराज खोल दिये गये हैं. उससे 3.60 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है. मध्य प्रदेश के वाण सागर छूटे पानी से भी कोई खतरा नहीं है. उसका पानी आज बिहार पहुंचेगा. उसकी रफ्तार भी कमी है.

देखने वालों की जुबान पर एक ही जिज्ञासा-पानी कहां तक आ गया है?

1975 की बाढ़

अवधेश प्रीत, वरिष्ठ कहानीकार व पत्रकार

‘बाढ़ की संभावनाएं सामने हैं और नदियों के किनारे घर बने हैं’ दुष्यंत कुमार का ये शेर इन दिनों बेतरह याद आ रहा है. गंगा किनारे बसे होने के नाते जो नदी कभी सुखद अहसास से भरती रही है. आगंतुक मित्राें-परिजनों के लिए चकित करनेवाला आप“दाकारी दृश्य रही है, वही अब भयावह दिख रही है. मित्र-परिजन फोन से पूछ रहे हैं-आप लोग सुरक्षित तो हैं? शुक्र है, हम अभी तक सुरक्षित हैं.

कहते हैं सन् 75 की बाढ़ में भी रानीघाट मुहल्ला सुरक्षित था. वजह मुहल्ले की ऊंचाई पर बसावट. लेकिन गंगा जिस रफ्तार से बढ़ रही है,उसके सामने किसी ऊंचाई का क्या भरोसा? सुबह के छ: बजे हैं. लोग घाट पर उमड़े जा रहे हैं. लॉ कॉलेज घाट, रानीघाट, गांधी घाट पर लोगों का रेला उमड़ा पड़ा है.

मुझे फणीश्वरनाथ रेणु याद आ रहे हैं-मोटर, स्कूटर, मोटरसाइकिल,टमटम, साइकिल,रिक्शा पर और पैदल लोग पानी देखने जा रहे हैं. देखने वालों की आंखों में, जुबान पर एक ही जिज्ञासा-पानी कहां तक आ गया है?’ पटना में सन् 75 में आई बाढ़ को लेकर चालीस साल पहले रेणु ने जिस जिज्ञासा को देखा था, वही , वैसी ही जिज्ञासा मैं लोगों में आज देख रहा हूं. लोग देखी-सुनी बतिया रहे हैं-दीघा साइड तो पानी घर में घुसे लगा है.

इसी में कोई बता रहा है-गोलकपुर में पानी घुस गया है. गली तक पानी आ गया है. लोग खबरों पर बहस तलब हैं. बारिश कहां हुई है! ई तो सोन का पानी है. बाबू रे, कौनो भरोसा ना ,दानापुर में कैंटूनमेंट बचावे ला पानी इधरे ठेल देगा. पचहत्तर का बाढ़ में ईहे हुआ था.

भय नहीं, भय का आनंद है. आनंद का सैलानी भाव. ये लोग सैलानी की तरह गंगा के उफान को देख रहे हैं. फोटो खींच रहे हैं. सेल्फियां ले रहे हैं और ऐन इसी वक्त मैं देख रहा हूं गंगा की लहरों पर हिचकोले खाती इधर आती दो नावों को. दियारे से आयी ये नावें रानीघाट पर लगती हैं. बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग सवार हैं.

कई भैंसें भी हैं. गाय, बैल एक भी नहीं. भूसा-चारा के साथ बोरों में गृहस्थी का सामान. एक लड़का चिल्लाता है-एक ठो बोरवा ना दिख रहा है! दूूसरा लड़का जवाब देता है-जइते ही. फिर लेके अबुआ. दूर तक हहराती , अथाह जलराशि वाली गंगा डराती है. आमदिनों में जो दियारा सापफ दिखता था.

वह दूर-दूर तक नहीं दिख रहा. उजली रेत डूब चुकी है. जहां तक नजर जाती है, सिर्फ अथाह जलराशि हिलोरें ले रही है. लेकिन नाव सवार वह लड़का जिन्द्गी के लिए जद्दोजहद करता दियारे की ओर लौट रहा है. एक महिला चिल्लाती है-जल्दी लौटिहे. उसके जाने के साथ, उसके पीछे , एक प्रतीक्षा पछाड़ें खा रही है.

गंगा भी पछाड़ें खा रही है. पानी का बहाव तेज होता जा रहा है. पीले-मटमैले पानी के साथ शैवाल के ढेर , झाडि़यों के झुंड बहे जा रहे हैं. इसी में उलझी एक लाश. पता नहीं ये लाश कहां से बही आ रही है! लोग दुख जताते हैं-पता ना केकर लाश है! माहौल गमगीन हो जाता है. अगले ही क्षण एक युवक चिल्लाता है- ई देख रे, सांप ! लोग उत्सुकता से उस ओर देखते हैं. एक नहीं, कई सांप. छोटे, बड़े, मंझोले. पानी में तैरते सांप. कुछ जमीन तलाशते. कोई कहता है-डोड़वा है रे. तभी दूसरा दावा करता है-ना गेंहुअन है.

सांपों की पहचान पर बहस छिड़ गई है. अचानक प्रोफेसर तरुण कुमार आते दिखते हैं. वह घाट की ओर से लौट रहे हैं. बताते हैं-पानी तेजी से बढ़ रहा है. यह सूचना है या भय? वह बढ़ जाते हैं और मुझे रेणु फिर याद आ रहे हैं-‘का हो रामसिंगार पनिया आ रहलो है? उंहूं, न आ रहलौ है. ढाई बज गये मगर पानी अबतक आया नहीं. लगता है , कहीं अंटक गया अथवा जहां तक आना था आकर रुक गया अथवा तटबंध् पर लड़ते हुए इंजीनियराें की जीत हो गयी.

शायद या कोई दैवी चमत्कार हो गया.’ आज भी कई रामसिंगारों से लोग पनिया के आने की जानकारी ले रहे हैं और रामसिंगार आश्वस्त कर रहे हैं-उुं हूं, न आ रहलौ है. लेकिन सच तो यह है कि पानी जिस तेजी से बढ़ रहा है, यह तसल्ली बहुत आश्वस्त नहीं करती.

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