50 क्विंटल मेडिकल कचरा चार दिनों में जमा, तीन कर्मी बीमार
आइजीआइएमएस. चिमनी में खराबी से नहीं जल रहे कचरे इंसिनेटर में आयी खराबी की वजह से चार दिनों से बायो मेडिकल कचरे को नहीं जलाया जा रहा है. इससे मेडिकल कचरे का अंबार लग गया है. आनंद तिवारी पटना : आइजीआइएमएस के डॉक्टर व मरीज इन दिनों मेडिकल वेस्ट से होने वाले संक्रमण और बीमारियों […]
आइजीआइएमएस. चिमनी में खराबी से नहीं जल रहे कचरे
इंसिनेटर में आयी खराबी की वजह से चार दिनों से बायो मेडिकल कचरे को नहीं जलाया जा रहा है. इससे मेडिकल कचरे का अंबार लग गया है.
आनंद तिवारी
पटना : आइजीआइएमएस के डॉक्टर व मरीज इन दिनों मेडिकल वेस्ट से होने वाले संक्रमण और बीमारियों की जद में हैं. इसकी वजह अस्पताल परिसर में लगा बायो मेडिकल वेस्ट इंसिनेटर का चार दिन से खराब होना है.
इंसिनेटर मशीन बंद होने की वजह से मेडिकल कचरा चार दिन से पड़ा हुआ है, जिसे जलाया नहीं जा रहा है. इससे अस्पताल में संक्रमण फैलने लगा है. इस संक्रमण की चपेट में अस्पताल के तीन लोग आ गये हैं. इनमें एक महिला डॉक्टर और दो मरीज शामिल हैं. अस्पताल प्रशासन इस मामले में खामोश है. प्रभात खबर ने जब मेडिकल वेस्ट के लिए लगे इंसिनेटर का मुआयना किया, तो सच्चाई सामने आयी.
इंसिनेटर के कचरे से अस्पताल के तीन लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. इनमें माइक्रोबॉयलोजी विभाग की डॉ नम्रता कुमारी, कैंसर रेडिएशन विभाग में भरती संतोष कुमार और पैथॉलोजी विभाग के एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को संक्रमण रोग हो चुका है. डॉक्टर व बाकी दोनों का इलाज अस्पताल परिसर में चल रहा है. बावजूद जिम्मेवार अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. हालांकि आइजीआइएमएस के कुछ डॉक्टरों ने डायरेक्टर को आवेदन दिया है. सूत्रों की मानें तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एमसीआइ ने भी अस्पताल प्रशासन को फटकार लगायी है.
चिमनी बंद, कचरे का अंबार
अस्पतालों से मेडिकल वेस्ट से निकलने वाले कचरे के निबटान के लिए बने इंसिनेटर पिछले चार दिनों से बंद हो गया है. ऐसे में वहां कचरे का अंबार लगा हुआ है. नाम न बताने की शर्त पर वहां काम कर रहे एक कर्मचारी ने बताया कि इंसिनेटर का जिम्मा पांच महीने से एक नयी कंपनी को मिला है. वही देखभाल कर रही है. लेकिन, चिमनी में खराबी आ जाने के कारण कचरा जलाने का काम बंद कर दिया गया है. इससे मेडिकल वेस्ट का कचरा यूं ही पड़ा हुआ है.
पूरे शहर का आता है कचरा
आइजीआइएमएस में लगे इंसिनेटर में पूरे शहर के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों का मेडिकल कचरा डंप होता है. यहां रोजाना आठ से 10 क्विंटल डंप कर कचरे जलाये जाते हैं. लेकिन, चार दिनों से चिमनी बंद होने का नतीजा है कि यहां 40 से 50 क्विंटल के आसपास कचरा जमा हो गया है. यह चारों तरफ फैला हुआ है. इसका असर है कि अस्पताल में संक्रमण फैल गया है और लोग इसकी चपेट में आने लगे हैं.
नियम की उड़ रही हैं धज्जियां
बायो मेडिकल वेस्टेज का प्रॉपर निस्तारण न करना कानूनन अपराध है. बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट ऑफ हैंडलिंग रूल्स 98 के तहत बायो मेडिकल वेस्टेज इधर-उधर फेंकना गैर कानूनी है. बायो मेडिकल वेस्टेज का प्रापर डिस्पोजल न कर सार्वजनिक स्थान पर फेंकना म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट, पुलिस एक्ट 69 की धारा 34, इन्वायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट 86 की धारा 15 का भी उल्लंघन है.
इस अपराध के लिए दोषी पाये जाने पर आरोपित को पांच साल तक की सजा का भी प्रावधान है. इन सबके बावजूद आइजीआइएमएस में कानून को ताक पर रख कर काम किया जा रहा है और ये कचरे लोगों के लिए खतरा बने हुए हैं. लेकिन, इस पर अस्पताल के किसी भी प्रशासनिक प्रशासनिक पदाधिकारी का ध्यान नहीं है. ऐसे में कार्रवाई की कैसे उम्मीद की जा सकती है.
प्रदूषण बोर्ड कार्रवाई करे
कचरा प्रबंधन अनिवार्य है. खासकर अस्पताल के मेडिकल वेस्ट को अगर जलाया नहीं गया, तो इससे आसपास के रहने वाले कई लोग चपेट में आ सकते हैं. नतीजा संक्रामक बीमारियां होती हैं. फेफड़े, सांस लेने में परेशानी आदि कई तरह की दिक्कतें होती हैं. इससे बचने के लिए चाहिए कि इंसिनेटर की व्यवस्था आबादी से दूर किसी एकांत जगह में हो. वहीं, इंसिनेटर होने के बाद भी अगर कचरा नहीं उठा रहा है, तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्रवाई करे.
सुभाष झा, टीबी रोग विशेषज्ञ, पीएमसीएच
कारण का लगाता हूं पता आइजीआइएमएस का इंसिनेटर को बिहटा में शिफ्ट किया जायेगा. इसकी प्लानिंग कर ली गयी है. उम्मीद है कि तीन से चार महीने बाद इसे शिफ्ट कर लिया जायेगा. वहीं कचरे का निबटारा क्यों नहीं हो रहा है, इसे दिखाता हूं.
डॉ एनआर विश्वास, डायरेक्टर आइजीआइएमएस