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क्लोन चेक से डॉक्टर के निकाल लिये 23 लाख
क्राइम. श्रीकृष्णापुरी थाने में डॉक्टर ने दर्ज करायी प्राथमिकी, सहदेव महतो मार्ग के केनरा बैंक में है खाता जालसाजों ने दो चेकों के माध्यम से डॉ अशोक कुमार सिंह के खाते से सारे पैसों की निकासी की है. पटना : एक बार फिर से क्लोन चेक के माध्यम से सीएनएस हॉस्पिटल सहदेव महतो मार्ग के […]
क्राइम. श्रीकृष्णापुरी थाने में डॉक्टर ने दर्ज करायी प्राथमिकी, सहदेव महतो मार्ग के केनरा बैंक में है खाता
जालसाजों ने दो चेकों के माध्यम से डॉ अशोक कुमार सिंह के खाते से सारे पैसों की निकासी की है.
पटना : एक बार फिर से क्लोन चेक के माध्यम से सीएनएस हॉस्पिटल सहदेव महतो मार्ग के डॉ अशोक कुमार सिंह के खाते से जालसाजों ने 23 लाख रुपये निकाल लिये. अशोक सिंह का खाता सहदेव महतो मार्ग में ही स्थित केनरा बैंक में स्थित है. जालसाजों ने दो चेक के माध्यम से सारे पैसे की निकासी की है.
खास बात यह है कि जिस नंबर के चेक से जालसाजों ने पैसा निकाला है, उस नंबर का चेक चिकित्सक के पास मौजूद है. इसमें भी बैंककर्मी की लापरवाही से चेक के पास किये जाने का मामला सामने आया है. इस संबंध में चिकित्सक के बयान के आधार पर श्रीकृष्णापुरी थाने में प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है. श्रीकृष्णापुरी थानाध्यक्ष संजय कुमार वर्मा ने प्राथमिकी दर्ज किये जाने की पुष्टि की. अशोक सिंह को जब पैसों की निकासी का मैसेज मिला तो उन्हें जानकारी हुई. उन्होंने तुरंत ही इस संबंध में बैंक प्रशासन से बात की. बैंक प्रशासन ने उनके पैसे लौटने का आश्वासन भी दिया. लेकिन चिकित्सक ने प्राथमिकी दर्ज करा दी.पुलिस ने दो बैंककर्मियों को भेजा था जेल : मंगलवार को ही कदमकुआं पुलिस ने बैंक ऑफइंडिया के दो कर्मचारी वाणी भूषण पांडे व आशीष कुमार को गिरफ्तार कर
जेल भेजा था. इन दोनों ने खेल प्राधिकरण के खाता के क्लोनचेक को पास कर दिया था. जिसके कारण जालसाज दो लाख 65 हजार निकालने में सफल रहे थे.केनरा बैंक में भी फिर इसी तरह की घटना दोहरायी गयी है. हालांकि यह पहली या दूसरी घटना नहीं है, बल्कि कई बार ऐसी ही घटनाएं बैंक कर्मियों द्वारा दोहरायी जा चुकी है और जालसाज क्लोन चेक के माध्यम से पैसे निकालने में सफल रहे है. क्लोन चेक से पैसे निकालने वाले गिरोह के चार सदस्यों को हाल में ही झारखंड पुलिस ने रांची में पकड़ा था. उस गिरोह का पटना पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ करने वाली है.
विजय सिंह
पटना : ऑनलाइन फ्रॉड बैंक उपभोक्ताओं का पीछा नहीं छोड़ रहा है. साइबर क्रिमिनल पूरी तरह से हावी हैं. जब चाहा, जिसे चाहा टारगेट कर लिये और बैंक एकाउंट खाली कर दिया. दूसरे स्टेट में बैठ कर सबकुछ फोन से हो रहा है, लेकिन पुलिस का पूरा सिस्टम इस चुनौती के सामने फेल है. बिहार में लगातार बढ़ रही घटनाओं के दृष्टिकोण से अगर पुलिस की तैयारी की बात करें, तो साइबर क्राइम कंट्रोल के नाम पर बेसिक चीजें नहीं हैं. जिला मुख्यालयों पर कोई साइबर सेल नहीं है. सिर्फ पुलिस हेड क्वार्टर में एक सेल बनाया गया है. एक्सपर्ट बाहर से बुलाये जाते हैं. आरबीआइ ने नयी गाइड लाइन जारी कर बैंकों पर कुछ नकेल कसने का आधार बनाया है, पर पुलिस महकमा इस तरह के क्राइम अनुसंधान के लिए कुछ नहीं कर सका है.
फोन पर बैंक अधिकारी बता कर पूछ लेते हैं पासवर्ड : बैंक अधिकारी बता कर एटीएम धारक से उसका पासवर्ड पूछ लेना और उसके बैंक एकाउंट से या तो खरीदारी कर ली जाती है या फिर पैसा ट्रांसफर कर लिया जाता है. यह खेल काफी दिनों से चल रहा है.
सबसे ज्यादा लोग ग्रामीण इलाकों में इसके शिकार हो रहे हैं. साइबर क्राइम के दायरे में आनेवाले इस तरह के मामले को पुलिस सिरे से खारिज कर देती है. उपभोक्ता का मजाक उड़ाया जाता है और वह इधर-उधर दौड़ने के बाद पैसा गंवा कर शांत हो जाता है. शहरी इलाके में भी इस तरह की घटनाएं खूब हो रही हैं. पटना में एक आइजी स्तर की महिला अधिकारी भी इसकी शिकार हो चुकी हैं, उन्होंने शास्त्रीनगर थाने में केस भी दर्ज कराया था. इतना होने के बावजूद पुलिस के आला अधिकारियों ने साइबर क्राइम कंट्रोल के लिए ठोस व्यवस्था नहीं की.
सिर्फ फोन पर बात करके हैक कर लिये जा रहे हैं खाते : साइबर क्रिमिनल ने अब नया फंडा अपनाया है. जिस बैंक उपभोक्ता को टारगेट करना होता है, उनके बैंक अकांउट का पूरा डिटेल लेकर फोन किया जा रहा है.
वेरिफिकेशन के नाम पर उपभोक्ता को फोन पर उलझा कर कुछ देर बात की जा रही है, इस बीच बैंक खाते को हैक कर लिया जा रहा है. इसके बाद खाते से पैसा ट्रांसफर कर दिया जा रहा है. इतना ही नहीं, एसएमएस अलर्ट के लिए दिये गये नंबर को भी बदल दिया जा रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसा साॅफ्टवेयर यूज किया जा रहा है कि बैंक अधिकारी या एटीएम उपभोक्ता को प्रोटेक्शन देने वाली एजेंसी भी कुछ नहीं कर पा रही है. बैंक उपभोक्ता की शिकायत के बावजूद बैंक खाते से लेनदेन नहीं रुक रहा है, न ही एटीएम को लॉक किया जा रहा है.
क्रेडिट कार्ड पेमेंट भी लीक कर रही गोपनीयता : जिस तरह से साइबर क्रिमिनल बैंकिग प्रणाली को हाइजैक किये हुए हैं उससे इ-मार्केटिंग भी सुरक्षित नहीं रह गये हैं. एर्क्सपर्ट की मानें तो कार्ड की गोपनीयता यहां से लीक हो जाती है. अगर शॉपिंग प्लेस का कैशियर साइबर क्रिमिनल गैंग से जुड़ा है, तो किसी भी कार्डधारक की गोपनीय सूचना को गैंग तक पहुंचा कर खाते से पैसा गायब करा सकता है.
इस तरह के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं. तकनीकी एक्सपर्ट का मानना है कि जब इ-पेमेंट के लिए उपभोक्ता का क्रेडिट कार्ड स्वेप किया जाता है, तो कार्ड का क्लोन मॉनीटर पर आ जाता है. कार्ड का नंबर समेत वह सबकुछ जिससे साइबर क्रिमिनल को खाता खंगालने में मदद मिलती है. सही रूप में मानें तो ऑनलाइन पेमेंट और ऑनलाइन कैश ट्रांसफर सुरक्षित नहीं है. इसका इस्तेमाल करने वाले लोग अक्सर ठगी के शिकार हो जाते हैं.
एक नजर में
शहर में प्रति माह प्रत्येक थाना क्षेत्र में 10-15 फ्रॉड केस हो रहे हैं. इनमें से एक-दो मामले थाने पहुंचते हैं.
ग्रामीण इलाके में प्रति माह प्रत्येक थाना इलाके में करीब 15-20 फ्रॉड केस हो रहे हैं. यहां तो शायद ही किसी थाने में केस दर्ज होते हैं.
शहर में मामले तो दर्ज हो रहे हैं, लेकिन एक्सपर्ट नहीं रहने के कारण मामले थाने में ही धूल फांक रहे हैं.
अनुसंधान पूरा नहीं होने से केस का नहीं हो पा रहा चार्जशीट.
कोर्ट पहुंचने से पहले ही दम तोड़ रहे हैं इस तरह के मामले.
(नोट : अगर आप भी साइबर क्राइम से पीड़ित हैं और गुहार लगाने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है, तो 9905929606 पर इसकी शिकायत हमसे करें, हम उसकी जांच कर छापेंगे.)
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