घर तो पहुंचे, कब मिलेगी अपने चूल्हे की रोटी
पटरी पर जिंदगी : आठ दिनों के न्यूनतम स्तर पर पहुंची गंगा, एनएच से उतरा पानी, यातायात सामान्य दियारा लाइव दियारा अब भी बना है टापू, आखिर चूल्हे में कैसे जलेगी आग नकटा दियारे में वापस लौटने लगे लोग, घर में संसाधन के अभाव से नहीं बन रहा है खाना अनिकेत त्रिवेदी पटना : अब […]
पटरी पर जिंदगी : आठ दिनों के न्यूनतम स्तर पर पहुंची गंगा, एनएच से उतरा पानी, यातायात सामान्य
दियारा लाइव
दियारा अब भी बना है टापू, आखिर चूल्हे में कैसे जलेगी आग
नकटा दियारे में वापस लौटने लगे लोग, घर में संसाधन के अभाव से नहीं बन रहा है खाना
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : अब कहर तो थम ही रहा है बाढ़ का. नकटा दियारे के लोग वापस अपने घरों में लौट रहें है.लेकिन, जिंदगी की जद्दोजहद अभी बाकी है. अब बाढ़ के बाद एक सवाल दियारे के लोगों के सामने खड़ा है कि उन्हें अपने घर की दो जून की रोटी कब नसीब होगी. हालात तब से खराब है, जब गंगा का पानी घर में घुस आया था. घर की सारी चीजें चाहे वो खाने का समान हो या सोने का बिछावन, यहां तो सब कुछ भींग चुका है.
दियारे के लोगों का दिन अभी मचान पर बैठक कर, ताे कभी नाव की सवारी में बीत रहा है, लेकिन रात जब भूख के साथ आती है, तो हालात बेहद डरावनी हो जाती हैं. घर लौटे लोगों के सामने असल समस्या खाना बनाने को लेकर हो रही है. पानी से जलावन से लेकर चूल्हे तक बरबाद हो चुके है. घर में रसोई गैस का सिलिंडर है, लेकिन खाली. ऐसे में बच्चों और बूढ़ों का पेट भरना काफी कठिन हो गया है. पीने के पानी की समस्या भी है. अभी के मौजूदा हालात में प्रशासन गंगा किनारे शहर में राहत शिविर तो चला रही है, लेकिन दियारे के गांवों तक अभी प्रशासन ने अपनी फौरी राहत नहीं पहुंचायी है.
दियारे के हालात बदलने में अभी समय लगेगा. स्थानीय मुखिया भागीरथ प्रसाद बताते हैं कि लोगों के सामने खाने की विकट समस्या है. जिंदगी पटरी पर लौट रही है, मगर काफी धीरे-धीरे. हमने प्रशासन से गुहार लगायी है कि अब दियारे में भी लोगों को राहत दिया जाये. लोग अपने स्तर से कोशिश में लगे है. गंगा के पानी में काफी करेंट है. इसलिए आना-जाना सुरक्षित नहीं है.
यहां भी राहत
फतुहा व खुसरूपुर प्रखंड में गंगा, पुनपुन, धोवा, लोकाइन, महतमाईन आदि नदियों का जलस्तर घटने से बाढ़ से लोगों को राहत मिल रहा है. फतुहा प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों व शहरी इलाकों में लोग बाढ़ का पानी घटने से राहत महसूस कर रहे हैं. वहीं खुसरूपुर प्रखंड के राहत शिविरों से लोग अपने घरों की ओर लौट रहे हैं.