बिहार में बाढ़ : कटिहार के नये इलाकों में घुसा पानी
पटना जिले में गंगा, सोन व पुनपुन के जल स्तर में गिरावट, पर अब भी बह रहीं खतरे के निशान से ऊपर पटना/भागलपुर : बाढ़ का पानी धीरे-धीरे घटने लगा है. मुंगेर, खगड़िया, लखीसराय में थोड़ी राहत मिली है लेकिन कटिहार व नवगछिया के नये इलाके में पानी फैल रहा है. नवगछिया प्रखंड मुख्यालय में […]
पटना जिले में गंगा, सोन व पुनपुन के जल स्तर में गिरावट, पर अब भी बह रहीं खतरे के निशान से ऊपर
पटना/भागलपुर : बाढ़ का पानी धीरे-धीरे घटने लगा है. मुंगेर, खगड़िया, लखीसराय में थोड़ी राहत मिली है लेकिन कटिहार व नवगछिया के नये इलाके में पानी फैल रहा है. नवगछिया प्रखंड मुख्यालय में बाढ़ का पानी घुसने से कामकाज बाधित हो गया जबकि कटिहार के समेली प्रखंड के नये इलाके में पानी घुसने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. मुंगेर में गंगा खतरे के निशान से 46 सेंटीमीटर ऊपर है़
दर्जनों गांव अब तक बाढ़ के पानी में पूरी तरह जलमग्न है़ं दियारा क्षेत्र का इलाका सबसे अधिक प्रभावित है़ गंगा का जल स्तर पिछले चार दिनों से लगातार घट रहा है, लेकिन इसके घटने की रफ्तार काफी धीमी है़ रविवार को दिन भर जहां प्रत्येक तीन घंटे में एक सेंटीमीटर की रफ्तार से जलस्तर में गिरावट हो रही थी वह शाम में घटकर प्रत्येक चार घंटे में एक सेंटीमीटर हो गया था़ धीमी गति से जलस्तर में कमी आने के कारण अब भी गंगा खतरे के निशान से 46 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है़ कटिहार के कुरसेला, बरारी व मनिहारी प्रखंड में बाढ़ का पानी घटा तो है लेकिन स्थिति में सुधार नहीं है.
नवगछिया में जल स्तर घट रहा है लेकिन बाढ़ प्रभावित इलाके की स्थिति सामान्य नहीं है. नवगछिया प्रखंड मुख्यालय में भी पानी घुस गया है. इस कारण प्रखंड का कामकाज बाधित हो गया. रेल ट्रैक को दुरुस्त करने के बाद ट्रेनों का आवागमन सुचारू रूप से होने लगा है. अनुमंडल मुख्यालय, कचहरी परिसर में पानी जमा है.
मॉनसून ट्रफ लाइन के ऊपर उठने से 72 घंटे बाद नाॅर्थ इस्ट में भारी बारिश की चेतावनी
पटना : मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक मॉनसून टर्फ लाइन जो कि काफी नीचे शिफ्ट हो गया था, वह धीरे-धीरे ऊपर आने लगा है. ऐसे में एक बार फिर नाॅर्थ बिहार के रास्ते मॉनसून बिहार में पहुंचने की संभावना है. इस कारण से 72 घंटे बाद नाॅर्थ इस्ट साइड में भारी बारिश की चेतावनी दी गयी है. दूसरी ओर सोमवार को बिहार में मौसम का मिजाज दोपहर के बाद अचानक से बदल गया. सुबह में जहां तेज धूप थी. अचानक से पटना के कई इलाकों में लाइट रेन होने लगी. कंकड़बाग, बेऊर के इलाके में अाधे घंटे तक अच्छी बारिश हुई और दिन भर में चार एमएम पटना में बारिश रिकार्ड किया गया, लेकिन किशनगंज के गलगलिया में 105 एमएम व तरियापुर में 14 एमएम बारिश हुई है.
नाॅर्थ इस्ट साइट के इन जिलों में भारी बारिश की संभावना
सुपौल, अररिया, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा, पूर्णिया में भारी बारिश को लेकर मौसम विज्ञान केंद्र ने चेतावनी दी है. नार्थ ईस्ट साइड से बिहार में दोबारा मॉनसून लौट सकता है. जानकारी के मुताबिक यह जानकारी आपदा विभाग को पूर्व से दी गयी है, ताकि अलर्ट रहे.
उमस से राहत नहीं
मॉनसून रेखा नीचे जाने से बिहार में ऊमस बढ़ी हुई है. सोमवार को हल्की बूंदा-बांदी के बाद भी लोगों को बहुत राहत नहीं मिल पायी है, लेकिन गरमी के कारण लोकल सिस्टम भी कहीं-कहीं डेवलप होने की संभावना है, जो अचानक से कहीं भी तेज बारिश करा सकती है. मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक बे ऑफ बंगाल से आंध्रा के रास्ते में लो प्रेशर बना है, जिसका असर बिहार-झारखंड सोमवार को देखने को मिला. यह असर अभी दो दिनों तक और देखने को मिलेगा. ऐसे में कहीं-कहीं लोकल सिस्टम बढ़ेगा, तो वहां अधिक बारिश होने की संभावना है.
दो दिनों तक असर
मौसम का बदला मिजाज दो दिनों तक रहेगा और मॉनसून ट्रफ लाइन दोबारा से ऊपर उठने से 72 घंटे बाद कहीं-कहीं भारी बारिश होगी.अर्पिता रस्तोगी, डिप्टी डायरेक्टर मौसम विज्ञान केंद्र
परिवहन निगम की 34 बसों पर बाढ़ की ब्रेक
पटना. बाढ़ का असर पथ परिवहन सेवाओं पर भी पड़ा है. बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की 34 बसों का परिचालन पिछले सात दिनों से बंद है. स्टेट और नेशनल हाइवे पर कई जगह पानी बहने और क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण परिवहन सेवा बाधित है. बाढ़ के तेज बहाव में कई सड़कों का कटाव हो चुका है.
इससे सबसे ज्यादा दिक्कत पटना से छपरा और मुंगेर जाने वाले यात्रियों को हो रही है. दोनों रूटों के यात्री आवागमन के लिए ट्रेन का सहारा ले रहे हैं. पटना-छपरा रूट पर दोनों ओर से 15 बसें खुलती हैं. पटना छपरा रूट में गोविंदचक में तीन फुट पानी का जमाव है. वहीं, डोरीगंज रूट भी पानी के तेज बहाव से कट चुका है. सिंगही गांव के पास पुल क्षतिग्रस्त हो गया है. डुमरी अड्डा और आमी चौक की सड़कों को भी काफी क्षति पहुंची है. पटना से मुंगेर रूट में भी बस सेवा बंद कर दी गयी है.
हाइवे पर कई जगह पानी भरा है. हर दिन चार बसें पटना और मुंगेर के बीच चक्कर लगाती हैं. चारों बसें समय से मुंगेर से पटना के लिए आती है और उसी दिन यात्रियों को लेकर वापस मुंगेर लौट जाती हैं. वहीं, एनएच 30 व 31 पर पानी घटने से कुछ राहत है. मुंगेर के बस डिपो पर सन्नाटा है. बांकीपुर बस डिपो पर भी यात्रियों की संख्या में कमी आयी है.
पटना. आपदा प्रबंधन मंत्री प्रो चंद्रशेखर ने कहा कि राज्य में आयी बाढ़ पर केंद्र सरकार और बिहार के केंद्रीय मंत्री राजनीति नहीं करें. इस साल की बाढ़ को कुसहा की बाढ़ से भी बड़ा आपदा बताते हुए उन्होंने कहा कि कहा कि केंद्र सरकार अविलंब इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करते हुए बिहार को मदद दे. समस्तीपुर जिले के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के 16 राहत शिविरों के दौरा के बाद सोमवार को पत्रकार सम्मेलन में उन्होंने कहा कि राहत शिविरों में बाढ़पीड़ितों की समस्या को दूर करने में लापरवाही बरतनेवालों पर सरकार सख्त कार्रवाई करेगी.
कई राहत शिविरों के सरकारी कर्मचारी और अधिकारी को बाढ़ से निबटने के लिए विभाग द्वारा तय मानक संचालन प्रक्रिया की जानकारी नहीं थी. हम सभी जिलों को निर्देश जारी कर कह रहे हैं कि पीड़ितों की मदद हर हाल में मानक संचालन प्रक्रिया के तहत हो. मंत्री ने कहा कि सभी जिलों को दवा की खरीद का निर्देश दिया गया है. बाढ़ की पानी निकलने के बाद विभिन्न प्रकार की बीमारी की प्रकोप बढ़ेगा. ऐसे में मानव और पशुओं के लिए दवा उपलब्ध कराना जिला सुनिश्चित करे. इसके लिए सभी जिलों को पैसा उपलब्ध करा दिया गया है.
दो सदस्यीय टीमें कर रहीं क्षेत्रों का मुआयना
पटना. बाढ़ प्रभावित 13 जिलों बेगुसराय, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, कटिहार, खगड़िया, लक्खीसराय, मुंगेर, पटना, पूर्णिया, समस्तीपुर, सारण और वैशाली में राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा गठित 13 टीमों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों का मुआयना कर रही है. हर टीम में दो सदस्य प्रतिनियुक्त किये गये हैं.
स्वास्थ्य विभाग के सचिव सह कार्यपालक निदेशक जीतेंद्र श्रीवास्तव खुद सभी स्थायी व चलंत चिकित्सा शिविरों का अनुश्रवण कर रहे हैं. विभाग का दावा है कि बाढ़ वाले क्षेत्रों में गर्भवती एवं प्रसूति महिलाओं तथा ऐसी गर्भवती महिलाएं जिनकी प्रसव की तिथि समीप है, उनका ख्याल रखा जा रहा है. गर्भवती महिलाओं नवजात शिशुओं को चिह्नित कर बेहतर उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल तथा एनआरसी केंद्र में भर्ती कराया जा रहा है.
मदद करनी हो, तो करें 9431044674 पर कॉल
पटना : बाढ़ पीड़ित लोगों की सहायता करने की इच्छा रखनेवाले व्यक्ति या संस्था जिला रेड क्रॉस सोसाइटी के पास अपनी सामग्री व राशि जमा करा सकते हैं. जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि वरीय उप समाहर्ता मनोज कुमार चौधरी को इस कार्य के लिए नोडल पदाधिकारी बनाया गया हैं. लोगों की सुविधा के लिए उनको मोबाइल नंबर 9431044674 भी जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि मदद के लिए आयी सामग्री का उपयोग जिला प्रशासन द्वारा बाढ़ राहत कार्य में किया जायेगा. इसके लिए पटना समाहरणालय में बाढ़ राहत सहायता कोषांग बनाया गया है. डीएम के मुताबिक जिला रेड क्रॉस सोसाइटी में एकीकृत रूप से सहयोग सामग्री प्राप्त करने का निर्णय लिया गया है.
हर दिन लोग आते हैं गंगा की धार देखने
पटना : सोमवार को गांधी घाट, पटना में गंगा का जल स्तर देर रात तक 49.61 रहा. इसमें हर समय गिरावट हो रही है. गंगा, सोन व पुनपुन का जल स्तर में गिरावट हुई है और आस-पास के क्षेत्रों से पानी तेजी से निकलने लगा है.
मनेर, बख्तियारपुर , दानापुर, फतुहा, खगौल, पटना सिटी के जिन इलाकों में पानी घुसा हुआ था, वहां से पानी धीरे-धीरे निकल रहा है. दूसरी ओर पटना कलेक्ट्रेट में पानी दस सीढ़ी नीचे चला गया है. बच्चे आराम से स्नान करने के लिए कुछ दूर तक गंगा में आराम से चल रहे हैं. दीघा की घाटों पर जन जीवन ठीक हो गया है. गंगा नदी कुर्जी देवी मंदिर के पास भी सीढ़ी से नीचे चली गयी हैं. इंजीनियर कॉलेज व दरभंगा हाउस घाट पर भी सीढ़ियां बाहर निकल कर आ गयी हैं.
कुर्जी निवासी अनिल कुमार हर दिन घाट पर आते हैं. जब पटना में बाढ़ को लेकर खतरा बढ़ गया था, तो दिन में जरूर से जाते थे, ताकि पानी का लेबल उनको पता चले. अब वह शाम में हर दिन पहुंचते हैं, तो उनको लगता है कि अगले एक माह में दोबारा से गंगा पटना से दूर हो जायेगी.
उनका कहना है कि गंगा का पानी पटना में नहीं आये, लेकिन वह पटनाकेघाटों से दूर भी नहीं जाये. कलेक्ट्रेट पर माधुरी जो अशोक राज पथ के हॉस्टल में रहती है. यह भी शाम में अपने दोस्तों के साथ घाट पर आती है, लेकिन सोमवार को जब वह कलेक्ट्रेट में पहुंची, तो गंगा के जल स्तर में कमी देख उसे दोबारा से यहां की गंदगी याद आ गयी. आज भी गंगा किनारे इस घाट पर दो सूअर मौजूद थे. यह घाट सबसे गंदा रहता है, लेकिन पानी आने के बाद सब गंदगी खत्म हो गयी थी.
जज्बे की दो कहानियां
खुद को बचाने में गौरीचक बना चैंपियन, हुए सम्मानित
पटना : पुनपुन नदी की विभीषिका के बीच सतर्क प्रशासन ने गौरीचक बाजार को डूबने से बचा लिया. 20 अगस्त को अगर पुनपुन का कोली बांध टूट जाता, तो कोली ग्राम की बड़ी आबादी बरबाद हो जाती. गौरीचक बाजार की दुकानों समेत पटना-गौरीचक-मसौढ़ी सड़क तक डूब जाती.
लेकिन, ग्रामीणों की मदद से इंजीनियरों ने बांध को काफी मजबूत किया. लोगों की मदद से सारे प्रयास किये गये, जिससे बांध की मजबूती बढ़ी. यही वजह रही कि पुनपुन के अधिकतम जल स्तर की सीमा 51.36 मीटर पार करने के बाद भी बांध को क्षति नहीं पहुंची. इसको लेकर जहां कोली गांव के लोगों ने सोमवार को डीएम संजय कुमार अग्रवाल का सम्मान किया, वहीं डीएम ने भी कोली गांव के लोगों को बाढ़ का चैंपियन घोषित करते हुए शील्ड प्रदान किया. डीएम ने बांध की मरम्मत करनेवाले इंजीनियरों को भी सम्मानित किया.
20 अगस्त की रात पुनपुन नदी का जल स्तर लगातार बढ़ रहा था. इस बीच घिरे बादल, हल्की बारिश व तेज हवाओं ने ग्रामीणों को काफी डरा दिया. पुनपुन नदी का उफान देख संपतचक व उसके आसपास के लोगों की जान अटक गयी. गांव के लोगों ने पहले खुद प्रयास किया, फिर बांध की सुरक्षा के लिए फोन पर डीएम से मदद मांगी. डीएम ने तुरंत अधिकारियों को कोली बांध को बचाने के लिए भेजा गया. इसके बाद गांव व जिला प्रशासन के लोगों ने मिल कर रात भर काम किया और बांध को टूटने से बचा लिया गया.
गौरीचक बाजार से करीब 800 मीटर अप स्ट्रीम में पुनपुन बायां तटबंध की चेन संख्या 455.00 के निकट नदी है. पुनपुन में बढ़ोतरी से बाढ़ का खतरा बढ़ गया था. गांव के पश्चिम में सुरक्षा के लिए एक छोटा रिंग बांध निर्मित है, जिसके कई बिंदु काफी कमजोर और ऊंचाई में भी कम थे. जल स्तर बढ़ने पर बांध के टूट जाने से ओवरलैप कर जाने की आशंका बढ़ गयी थी
बाढ़ से घिरा है स्कूल, पर छात्राएं हो रहीं उपस्थित
राजकीय कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय, जल्ला, फतुहा में निरीक्षण के दौरान देखा गया छात्राओं का उत्साह
पटना : कहते हैं जहां चाह है वहां राह है… समस्याएं कितनी भी आयें, हमें अपने लक्ष्य पर ध्यान रखना चाहिए. कुछ ऐसा ही इन दिनों राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, जल्ला, फतुहा की छात्राएं कर रही हैं. विद्यालय पिछले दस दिनों से बाढ़ के पानी से घिरा है, लेकिन विद्यालय एक भी दिन बंद नहीं हुआ.
हर दिन 50 फीसदी के ऊपर छात्राओं की उपस्थिति समय से हो रही है. स्कूल में बेंच डेस्क 70 जोड़ी ही है, लेकिन पढ़ाई का ऐसा जुनून है कि दरी पर बैठकर छात्राएं पढ़ाई कर रही हैं. यह सारा कुछ जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा अचानक से किया गया निरीक्षण में सामने आया है. डीपीओ डॉ अशोक कुमार ने बताया कि इस स्कूल में आसपास केदस गांव बरहापुर, रामबाग, भगवानपुर आदि में बाढ़ का पानी है, लेकिन इसके बाद भी छात्राएं गांव से पढ़ने स्कूल आ रही हैं.
इस स्कूल में 490 छात्राएं 9वीं और 10वीं में नामांकित हैं.इसमें से 284 छात्राएं सोमवार को स्कूल में उपस्थिति थीं. विद्यालय में पढ़ाई के अलावा प्रतियोगी परीक्षा की भी तैयारी करवायी जा रही है. सुबह स्कूल शुरू होने के पहले एक घंटा और छुट्टी के बाद एक घंटा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए सुपर-50 का बैच चलता है. इसमें स्कूल की ही सारी छात्राएं होती हैं. गांव के रिटायर प्रोफेसर इन छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करवा रहे हैं. निरीक्षण में कैरियर काउंसेलिंग करते हुए शिक्षक भी नजर आयें.