11 हजार 200 करोड़ का कोई लेखा-जोखा नहीं

अनियमितता. विभागों ने विभिन्न योजनाओं के खर्च का नहीं दिया ब्योरा वित्त विभाग और मुख्य सचिव की सभी विभागों को कड़ी हिदायत देने के बाद भी नहीं हो रहा खास सुधार. कौशिक रंजन पटना : राज्य में सरकारी महकमा पैसे खर्च कर देते हैं, लेकिन इसका हिसाब देना मुनासिब नहीं समझते हैं. इसी वजह से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2016 6:13 AM
अनियमितता. विभागों ने विभिन्न योजनाओं के खर्च का नहीं दिया ब्योरा
वित्त विभाग और मुख्य सचिव की सभी विभागों को कड़ी हिदायत देने के बाद भी नहीं हो रहा खास सुधार.
कौशिक रंजन
पटना : राज्य में सरकारी महकमा पैसे खर्च कर देते हैं, लेकिन इसका हिसाब देना मुनासिब नहीं समझते हैं. इसी वजह से विभिन्न योजनाओं के तहत जारी सरकारी राशि को खर्च करने के बाद भी विभागों ने रुपये का लेखा-जोखा वित्त विभाग की ट्रेजरी या महालेखाकार को नहीं सौंपा है. लापरवाही की स्थिति यह है कि विभागों ने वर्ष 2002-03 से 201516 तक करीब 11 हजार 200 करोड़ का एसी बिल (अब्सट्रैक्ट/एडवांस कंटीजेंसी) का समायोजन नहीं किया है या कहें विभागों ने इतने रुपये का हिसाब अभी तक सरकार को नहीं दिया है.
ये रुपये अलग-अलग योजनाओं के तहत जिला या प्रखंड स्तर पर खर्च की गयी है, जिनका हिसाब एसी बिल के रूप में नहीं दिया गया है. विभागों को खर्च करने के लिए जो रुपये मिलते हैं, उसका विवरण एसी बिल (एडवांस कंटीजेंसी) के जरिये दिया जाता है. नियमानुसार, एसी बिल के जरिये रुपये लेने से छह महीने के अंदर इसका डीसी बिल जमा करना पड़ता है. एसी-डीसी बिल को लेकर मुख्य सचिव और वित्त विभाग के प्रधान सचिव ने विभागों को कई बार सख्त हिदायत दी है. बावजूद इसके स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ है. तमाम कोशिशों के बाद भी पिछले 14 साल के बकाये का हिसाब नहीं मिल पाया है.
डीसी बिल जमा करने में सबसे ज्यादा खराब हालत निर्माण विभागों की है. इसके बाद ग्रामीण कार्य विभाग का 900 करोड़, शिक्षा विभाग का 520 करोड़ का बिल अभी तक क्लियर नहीं होने से इतने रुपये किस मद में या कहां-कहां खर्च हुए, इसका हिसाब सरकार को नहीं मिल पाया है.
यह भी आशंका जतायी जाने लगी है कि कई विभागों ने रुपयों को योजनाओं या लाभुकों पर खर्च करने के बजाये, इसे इधर-उधर भी खर्च कर दिया है. रुपये का हिसाब नहीं होने से इसके गलत तरीके या घपले की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.
मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने करीब तीन महीने पहले आयोजित समीक्षा बैठक में सभी विभागों को सख्त निर्देश दिया था कि जिन्होंने डीसी बिल नहीं जमा किया है, उनका आवंटन रोक दिया जाये.
इसके बाद जुलाई 2016 में एक विशेष बैठक कर वित्त विभाग के प्रधान सचिव ने भी सभी विभागों को बकाये एसी-डीसी का भुगतान अपडेट करने का आदेश दिया था. इस दौरान सभी विभागों को कहा गया कि जिन निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी (डीडीओ) के पास डीसी बिल लंबे समय से लंबित पड़ा है, उन पर सख्त कार्रवाई करें.
परंतु इन दोनों अधिकारियों का आदेश आज तक किसी विभाग में अमल नहीं हुआ. सभी विभाग पहले की तरह लगातार जिलों को आवंटन जारी कर रहे हैं और न ही किसी डीडीओ पर ही किसी विभाग ने कोई कार्रवाई की है. इस लापरवाही की वजह से ही इनका हिसाब लंबित पड़ा हुआ है.

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