चिट फंड कंपनी इंडस वेयर ग्राहकों के पैसे लेकर फरार
एजेंट पहुंचे एसएसपी के पास, कार्रवाई की गुहार पटना : चिटफंड कंपनी इंडस वेयर इंडस्ट्रीज लिमिटेड हजारों ग्राहकों के करोड़ों रुपये लेकर फरार हो गयी है. करीब नौ माह पहले इस कंपनी ने अपने तमाम कार्यालयों को बंद कर दिया और अधिकारियों ने फोन स्विच ऑफ कर लिया, तो ग्राहकों के साथ ही एजेंटों को […]
एजेंट पहुंचे एसएसपी के पास, कार्रवाई की गुहार
पटना : चिटफंड कंपनी इंडस वेयर इंडस्ट्रीज लिमिटेड हजारों ग्राहकों के करोड़ों रुपये लेकर फरार हो गयी है. करीब नौ माह पहले इस कंपनी ने अपने तमाम कार्यालयों को बंद कर दिया और अधिकारियों ने फोन स्विच ऑफ कर लिया, तो ग्राहकों के साथ ही एजेंटों को भी ठगी का एहसास हुआ और फिर नौ अगस्त को पटना के गोपालपुर बैरिया निवासी राजेश कुमार व अन्य एजेंटों के बयान पर यहां आलमगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी. पटना में कंपनी के कार्यालय एक्जीबिशन रोड स्थित लवकुश टावर और पटना सिटी की गुड़ की मंडी में थे.
इन दोनों ही कार्यालयों से राज्य के तमाम जिलों के एजेंट जुड़े हुए थे. प्राथमिकी के बाद कार्रवाई नहीं होने का आरोप लगाते हुए हाजीपुर, पटना, मुजफ्फरपुर से आये करीब 50 से अधिक एजेंट गुरुवार को एसएसपी मनु महाराज से मिल कर कार्रवाई करने की गुहार लगायी.
हालांकि, एसएसपी ने सभी एजेंटों की क्लास भी ली और कहा कि जब सभी जगहों पर चिट-फंड कंपनियों पर छापेमारी करने की खबर 2013 से ही चल रही है, तो वे कैसे लोगों का पैसा लेकर जमा करवा रहे थे. एसएसपी ने इस संबंध में तुरंत ही पटना सिटी डीएसपी हरिमोहन शुक्ल व आलमगंज थानाध्यक्ष ओमप्रकाश को कार्रवाई करने का निर्देश दिया. एसएसपी के निर्देश पर डीएसपी व थानाध्यक्ष एसएसपी कार्यालय पहुंचे और सभी एजेंटों से नंबर व साक्ष्य इकट्ठा किये. एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है और कार्रवाई की जा रही है.
किन-किन लोगों को बनाया गया है आरोपित
कंपनी के एमडी अरुणेश सिता (राजापुर, मैनपुरा), लोकल ब्रांच मैनेजर प्रमोद कुमार सैनी (त्रिपोलिया), रशीद कमर (न्यू पाटलिपुत्र कॉलोनी), बालचंद चौरसिया (बलिया, यूपी), मजहरूल कादरी (छपरा), अनिल कुमार त्रिवेदी (रेवलगंज, सारण), प्रिंस राणा (मध्यप्रदेश), पार्थ सारथी अधिकारी (मध्यप्रदेश), पारसनाथ शर्मा (बोकारो) व श्याम सुंदर सेठ (हावड़ा)
चार साल में पैसों को दोगुना करने का झांसा
यह कंपनी दैनिक जमा, फिक्स व एमआइएस स्कीम चलाती थी. इन स्कीमों में सिर्फ चार साल में पैसों को दोगुना करने की गारंटी दी जाती थी. जो एजेंटों को पांच से लेकर 10% कमिशन मिलता था. दैनिक स्कीम में पासबुक भी कंपनी देनी थी और उसमें प्रतिदिन जमा की गयी राशि अंकित की जाती थी. इस प्रकार फिक्स या एमआइएस स्कीम में सर्टिफिकेट देती थी. इसके साथ ही पोस्टऑफिस के माध्यम से केवीपी व एनएससी भी कराने का दावा किया जाता था.