900 आरा मिलों पर संकट गहराया

पटना : बिहार में रेलवे लाइन, नहर, तटबंध और सड़कों के किनारे चल रही आरा मिलों पर संकट गहरा रहा है. केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं मौसम परिवर्तन मंत्रालय ने रेलवे लाइन, नहर, तटबंध और सड़कों के किनारे काष्ठ आधारित उद्योग लगाने और चल रहे उद्योगों को बंद करने का प्रस्ताव दिया है. काष्ठ आधारित उद्योगों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 7, 2016 7:43 AM
पटना : बिहार में रेलवे लाइन, नहर, तटबंध और सड़कों के किनारे चल रही आरा मिलों पर संकट गहरा रहा है. केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं मौसम परिवर्तन मंत्रालय ने रेलवे लाइन, नहर, तटबंध और सड़कों के किनारे काष्ठ आधारित उद्योग लगाने और चल रहे उद्योगों को बंद करने का प्रस्ताव दिया है. काष्ठ आधारित उद्योगों को ले कर जारी किये गये इस प्रस्ताव से सूबे के 900 आरा मिलों व काष्ठ उद्योगों के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है. बिहार में फिलहाल 1919 काष्ठ उद्योग और आरा मिलें चल रही हैं. यदि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं मौसम परिवर्तन मंत्रालय के प्रस्ताव पर अमल हुआ, तो इनमें से 900 आरा मिलों व काष्ठ उद्योगों को अपना बोरिया-बिस्तर समेटना होगा. इसके चलते एक हजार उद्यमियों के साथ-साथ 10 हजार मजदूरों के समक्ष भी भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी.
बिहार सरकार ने आरा मिल संचालकों को जून, 2016 में बड़ी राहत दी है. उन्हें हर वर्ष आरा मिल के लाइसेंस का रिन्यूल कराना पड़ता था. सरकार ने नियम में संशोधन कर लाइसेंस रिन्यूल की अवधि का विस्तार पांच वर्ष तक के लिए कर दिया है. नये नियम से आरा मिल संचालकों को लाइसेंस रिन्यूल कराने के लिए हर वर्ष दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने होंगे. वन-पर्यावरण, बिहार ने तो आरा मिल संचालकों को राहत जरूर दी, किंतु केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं मौसम परिवर्तन मंत्रालय ने उनके सामने नया संकट खड़ा कर दिया है.
वन पर्यावरण विभाग, बिहार ने इसके पहले विक्रमशिला डॉल्फिन सेंचुरी सीमा क्षेत्र के आस-पास के प्रमुख शहरों में आरा मिल, विनियर मिल और प्लाइवुड फैक्टरी खोलने पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस फैसले से विक्रमशिला डॉल्फिन सेंचुरी सीमा क्षेत्र के आस-पास सूबे की 50 प्रतिशत आरा मिलें 2012 से ही बंद होनी शुरू हो गयी. रही-सही कसर केंद्रीय पर्यावरण, वन व मौसम परिवर्तन मंत्रालय के नये प्रस्ताव ने पूरी कर दी.
अब जो भी आरा मिलें, विनियर मिल और प्लाइवुड फैक्टरियां खुलेंगी, वह प्रतिबंधित वन क्षेत्र से 10 किलोमीटर की दूरी पर है. यही नहीं, केंद्रीय पर्यावरण, वन व मौसम परिवर्तन मंत्रालय ने आरा मिलों की चिरान क्षमता 300 से बढ़ा कर 540 घनसेक कर दी है. इस फैसले से भी आरा मिलों पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है.
पहले से ही आरा मिलों की हालत पतली
बिहार में पहले से ही आरा मिलों व काष्ठ उद्योगों की हालत पतली है. केंद्र की नयी गाइडलाइन से सूबे की 90 प्रतिशत आरा मिलें, विनियर मिल व प्लाइवुड फैक्टरियां बंद हो जायेगी. केंद्रीय पर्यावरण, वन व मौसम परिवर्तन मंत्रालय बिहार की विशेष परिस्थिति को देखते हुए गाइडलाइन को शिथिल करें.
रामदुलार शर्मा, सचिव, आरा मिल संरक्षण समिति बिहार

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