पटना : शहाबुद्दीन की रिहाई के बाद बिहार में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है. पूर्व सांसद की रिहाई के बाद बयानबाजी को लेकर पैदा हुई परिस्थितियों के मद्देनजर आज जदयू के नेताओं की एक हाइ लेबल मीटिंग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास एक अणे मार्ग पर हुई. बैठक में सरकार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और उर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव शामिल हुए. साथ ही इस बैठक में एडवोकेट जनरल राम बालक महतो और एडिशनल एडवोकेट जनरल ललित किशोर को भी शामिल किया गया. जानकारी के मुताबिक इस हाइ लेबल मीटिंग में शहाबुद्दीन के उन बयानों की गंभीरता से समीक्षा हुई जो उन्होंने रिहाई के बाद सीएम नीतीश कुमार को लेकर दी थी.
सीएम आवास पर हुई बैठक
बैठक में पार्टी के बांका बेलहर से विधायक गिरिधारी यादव की भूमिका पर भी विचार किया गया. गिरधारी यादव शहाबुद्दीन की रिहाई के वक्त उनके साथ थे. पार्टी ने बैठक में इस बात पर गंभीरता से विचार किया कि जब शहाबुद्दीन सीएम के खिलाफ बोल रहे थे, उस वक्त वहां मौजूद विधायक गिरधारी यादव ने उसका विरोध क्यों नहीं किया. वहीं बैठक में जदयू विधायक गिरधारी यादव को पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है. नोटिस में विधायक गिरधारी यादव से पूछा गया है कि सीएम की आलोचना होने पर आप चुप क्यों थे. पार्टी ने विधायक से यह भी पूछा है कि आप कारण बताएं कि आप किन परिस्थितियों में भागलपुर जेल में राजद नेता का स्वागत करने गये थे.
विधायक को कारण बताओ नोटिस जारी
गिरधारी यादव को कारण बताओ नोटिस का फैसला जदयू के हाइ लेबल मीटिंग में लिया गया. बैठक में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह भी मौजूद थे. बैठक में एडिशनल एडवोकेट जनरल ललित किशोर भी मौजूद थे. गौरतलब हो कि शहाबुद्दीन की रिहाई के बाद कुछ विधायकों की शहाबुद्दीन को लेकर दिखाई गई सरपरस्ती भी बैठक में चर्चा का विषय बनी रही. शहाबुद्दीन के रिहाई के बाद से महागंठबंधन के दोनों दलों की ओर से प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जदयू ने राजद के सामने अपना स्टैंड संवाददाता सम्मेलन के जरिये क्लियर कर दिया है.