एक ही खाद्य प्रयोगशाला वह भी दो वर्षो से है बंद
पटना सिटी/पटना: खाद्य पदार्थो में मिलावट को ले कर सुप्रीम कोर्ट सख्त है. हाल ही में उसका आदेश आया है कि दूध में मिलावट करनेवालों को उम्रकैद की सजा दी जाये. लेकिन, बिहार में सबसे बड़ा सवाल है कि खाद्य पदार्थो में मिलावट की जांच कौन करे? खाद्य पदार्थो में मिलावट की जांच के लिए […]
पटना सिटी/पटना: खाद्य पदार्थो में मिलावट को ले कर सुप्रीम कोर्ट सख्त है. हाल ही में उसका आदेश आया है कि दूध में मिलावट करनेवालों को उम्रकैद की सजा दी जाये. लेकिन, बिहार में सबसे बड़ा सवाल है कि खाद्य पदार्थो में मिलावट की जांच कौन करे? खाद्य पदार्थो में मिलावट की जांच के लिए पूरे राज्य में मात्र एक प्रयोगशाला पटना सिटी में है, वह भी करीब दो साल से बंद पड़ी है.
गौरतलब है कि पटना सिटी के अगमकुआं में मिलावटी खाद्य पदार्थो की जांच के लिए संयुक्त खाद्य व औषधि नाम से एक प्रयोगशाला है, लेकिन सिर्फ दिखावे के लिए. इसमें जांच का काम लगभग दो साल से बाधित है. यह प्रयोगशाला बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधीन काम करती है. बताया जाता है कि खाद्य विेषक का पद रिक्त रहने के कारण यहां मिलावटी पदार्थो की जांच नहीं हो पा रही.
पद रिक्त होने से परेशानी : प्रयोगशाला में कार्यरत एक कर्मचारी ने बताया कि जब तक खाद्य विेषक का पद रिक्त रहेगा, तब तक यहां किसी प्रकार की जांच संभव नहीं है. मालूम हो कि वर्ष 2007 में कृष्णा प्रसाद खाद्य विेषक के पद से रिटायर हुए थे. उसके बाद उन्हें दोबारा संविदा पर 2009 तक के लिए बहाल किया गया़ इसके बाद जितेंद्र कुमार सिंह वर्ष 2010 से 2012 तक रहे. लेकिन इनके हटने के बाद कोई योग्य उम्मीदवार नहीं मिला.
खाली बैठ बजाते ड्यूटी
2012 के सितंबर माह तक यहां सब कुछ विधिवत तरीके से चल रहा था़ हालांकि, प्रयोगशाला अभी भी रोज खुल रही है, लेकिन खाद्य विेषक के ना रहने से तैनात बाकी अधिकारी व कर्मचारी समय से ऑफिस तो आते हैं, पर बिना कुछ किये ही अपनी ड्यूटी बजा कर वापस चले जाते हैं.
कहते हैं अधिकारी
यह लंबे समय से बंद है. इस कारण हमलोगों को परेशानी हो रही है. किसी भी जब्त खाद्य सामग्री की जांच के लिए उसे कोलकाता स्थित प्रयोगशाला भेजना पड़ता है. इससे जांच में काफी वक्त लगता है व परेशानी भी होती है.
– नारायण राम, खाद्य निरीक्षक सह अभिहीत पदाधिकारी, पटना प्रमंडल