छात्र को पहले दी नशे की गोली, फिर ब्लेड से काट दीं दोनों हाथों की नसें

एनआइटी. हॉस्पिटल में इलाजरत छात्र की मौत, 17 की देर रात की थी भरती अगमकुआं थाने के भूतनाथ रोड में लहूलुहान व बेहोशी की हालत में आकाश मिला था. परिजनों ने दोस्त पर हत्या करने की आशंका जतायी. पटना : एनआइटी के मैकेनिकल ब्रांच के थर्ड इयर के छात्र आकाश रंजन को असामाजिक तत्वों ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 20, 2016 7:18 AM
एनआइटी. हॉस्पिटल में इलाजरत छात्र की मौत, 17 की देर रात की थी भरती
अगमकुआं थाने के भूतनाथ रोड में लहूलुहान व बेहोशी की हालत में आकाश मिला था. परिजनों ने दोस्त पर हत्या करने की आशंका जतायी.
पटना : एनआइटी के मैकेनिकल ब्रांच के थर्ड इयर के छात्र आकाश रंजन को असामाजिक तत्वों ने पहले नशे की गोली खिलायी. फिर उसके दोनों हाथों की नसें काट दीं और लहूलुहान बेहोशी हालत में अगमकुआं थाने के भूतनाथ रोड के कब्रिस्तान के पास 17 सितंबर की रात छोड़ दिया. हालांकि, पुलिस की गश्ती टीम को छात्र नजर आ गया और पुलिस ने उसके मोबाइल फोन से उसके भाई आशीष उर्फ रोहित को सूचना देकर बुला लिया. छात्र की हालत ज्यादा खराब थी, इसलिए बगल के नोबल अस्पताल में उसे इलाज के लिए ले भरती किया गया. लेकिन, वहां से उसे बेहतर इलाज के लिए पारस अस्पताल में भरती कराया गया.
जहां इलाज के दौरान उसकी मौत सोमवार की सुबह छह बजे हो गयी. पुलिस ने आकाश के शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजनों को सौंप दिया. घटना के बाद उसके भाई आशीष ने अस्पताल में शास्त्रीनगर पुलिस को बयान दिया और आकाश के दोस्त नीलकमल व उसके सहयोगियों पर नशे की गोली देने व मारपीट कर हत्या करने की आशंका जाहिर की है. बयान की कॉपी अगमकुआं थाने को भी भेज दी गयी है. जहां हत्या का मामला दर्ज कर पुलिस ने अनुसंधान शुरू कर दिया है. पुलिस बाढ़ निवासी नीलकमल को तलाश रही है. उसे पकड़ने के लिए टीम बाढ़ रवाना हो गयी है.
आकाश रंजन मूल रूप से गौरीचक के लखना के रहना वाला है. उसके पिता सुनील कुमार सिंह किसान हैं और गांव पर ही रहते हैं. आकाश का एक छोटा भाई रोहित है, जो मुन्ना चक में रहता है और आकाश खुद महेंद्रु में एक निजी मकान किराये पर लेकर एनआइटी में पढ़ाई करता था. उसकी छोटी बहन गांव में ही रहती है. एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि मामला दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है. दोस्त नीलकमल से भी पूछताछ की जायेगी. उन्होंने कहा कि अभी इस मामले में कुछ नहीं कहा जा सकता है कि यह हत्या है या कुछ और? पोस्टमार्टम कराया गया है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट व अनुसंधान से सारी बातें स्पष्ट होंगी.
विश्वकर्मा पूजा के दिन छोटे भाई के आवास पर गया था आकाश
विश्वकर्मा पूजा के दिन उसकी कॉलेज में परीक्षा थी. वह परीक्षा देने के बाद शाम पांच बजे अपने छोटे भाई रोहित के मुन्ना चक आवास पर पहुंचा. वहां वह काफी तनाव में था. इसके बाद वह फ्रेश होने के बाद करीब साढ़े नौ बजे रात में अपने भाई को यह कह कर निकला कि भूतनाथ में रहने वाले उसके दोस्त नीलकमल की बर्थ डे पार्टी में वह शामिल होने जा रहा है.
वह जैसे ही मुन्ना चक से निकला तो उसके फुफेरे भाई उत्तम, रोहित के घर पहुंचा और कहा कि आकाश से बात कराओ. रोहित ने फोन लगाया तो आकाश ने कहा कि वह नीलकमल के यहां पहुंच गया है. लेकिन फोन कट हो गया. इसके बाद उत्तम ने फिर फोन कर बात कराने को कहा और रोहित ने किया तो उसने फोन रिसीव नहीं किया.
इसके बाद करीब साढ़े दस बजे रोहित को आकाश के ही मोबाइल से फोन आया और उधर से बताया गया कि वे अगमकुआं थाना से बोल रहे हैं. आपके परिवार का कोई भूतनाथ कब्रिस्तान के पास घायल पड़ा है. आप यहां तुरंत आ जायें. चूंकि मुन्ना चक और भूतनाथ रोड आधा किलोमीटर की दूरी पर था, तो तुरंत ही उत्तम व रोहित वहां पहुंच गये.
रोहित ने पुलिस को बताया कि उसके भाई ने बेहोशी की हालत में ही यह कहा था, उसे एक लड़का व एक लड़की ने नशे की गोली खिला दी है और उसके साथ मारपीट कर उसे छोड़ दिया गया है. हालांकि, छात्र आकाश का मोबाइल सुरक्षित था. जिस कारण लूटपाट की घटना की संभावना कम है. क्योंकि, लूटपाट के इरादे से अगर इस घटना को अंजाम दिया गया होता, तो मोबाइल व पर्स आकाश के पास नहीं होते.
खेती के पैसे जोड़ बना रहे थे इंजीनियर
आकाश मध्यमवर्गीय किसान का बेटा था. उसके पिता सुनील कुमार सिंह ने खेती-बारी से पैसा इकट्ठे कर मैट्रिक, इंटर की परीक्षा पास करायी और फिर फिट जी में नामांकन कराया था. आकाश भी काफी मेहनती व सीधा था और उसने भी पिता के पैसों को जाया नहीं किया और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में सफल हो गया. उसका नामांकन पटना के एनआइटी में हो गया.
ग्रामीणों के अनुसार वह काफी कम बोलता था और शर्मीला था. अगर कोई उससे मजाक भी करता,तो वह कोई जवाब नहीं देता था. उसके पिता का अस्पताल में रो-रो कर बुरा हाल था. मात्र 18 साल में ही उनका बेटा इस दुनिया से चला गया. पारस हॉस्पिटल में वह बस अकेले रोते जा रहे थे और किसी से कुछ बात नहीं कर रहे थे. वे बुरी तरह से शॉक्ड हो गये थे.

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