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भारतीय मूल्यों में छिपा है संविधान: अंसारी

संविधान और भारतीय मूल्य पर सेमिनार में बोले चीफ जस्टिस पटना : भारतीय मूल्य हैं तो संविधान है. संविधान है तो भारतीय मूल्य हैं. भारतीय मूल्यों में संविधान छिपा हुआ है. मूल्यों के बगैर संविधान की कल्पना नहीं की जा सकती है. हां मूल्यों की स्थापना के बाद समय से अलग अलग बदलाव आते रहे […]

संविधान और भारतीय मूल्य पर सेमिनार में बोले चीफ जस्टिस
पटना : भारतीय मूल्य हैं तो संविधान है. संविधान है तो भारतीय मूल्य हैं. भारतीय मूल्यों में संविधान छिपा हुआ है. मूल्यों के बगैर संविधान की कल्पना नहीं की जा सकती है. हां मूल्यों की स्थापना के बाद समय से अलग अलग बदलाव आते रहे हैं लेकिन उसकी आत्मा हमेशा एक रही है.
ये बातें पटना हाइकोई के चीफ जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी ने कही. अधिवक्ता परिषद के रजत जयंती समारोह में अायोजित संविधान और भारतीय मूल्य पर सेमिनार में बोलते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि आप देख लीजिए कि ब्यूरोक्रैसी को क्यों बनाया गया था? मूल्यों के लिए ही इसकी स्थापना हुई थी लेकिन बाद में क्या हुआ? अंगूठा छाप लोग मंत्री बनने लगे और उनके पीए बनने की दौड़ में पढ़ी लिखी ब्यूरोक्रैसी लग गयी. जस्टिस रविरंजन ने आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखते हुए बताया कि अर्जुन को केवल चीड़िया की आंखे दिखाई दे रही थी और बाकियों को चीड़िया, उसके पैर आदि और पेड़-पत्ते.
जाहिर है दृष्टिकोण और लक्ष्य बेहद आवश्यक होता है. सुनील कुमार ने अधिवक्ता परिषद् के गौरवशाली इतिहास का परिचय कराया और कहा कि परिषद समय समय पर ऐसे सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित करता रहा है. संयोजक संजीव कुमार ने बताया कि इसमें काफी संख्या में अधिवक्ताओं की मौजूदगी रही. मौके पर अध्यक्ष गौरीशंकर प्रसाद, कार्यकारी अध्यक्ष रविंद्र कु सिन्हा, महामंत्री आमोद कुमार सिंह सहित अन्य मौजूद थे.

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