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नीतीश ने उद्यमियों को दिलाया भरोसा , बिहार में डॉन के लिये कोई जगह नहीं

पटना : सूबे के युवाअों में जो जोश,क्षमता और लगन है वह किसी से छिपी नहीं है. उन्हीं के लिए राज्य सरकार स्टार्टअप नीति लेकर आयी है ताकि के युवा अपने आइडिया के अनुरूप राज्य में उद्योग लगा सके. इसके लिए सरकार आर्थिक सहायता करने के लिए तैयार बैठी है. इसके लिए सरकार ने कमेटी […]

पटना : सूबे के युवाअों में जो जोश,क्षमता और लगन है वह किसी से छिपी नहीं है. उन्हीं के लिए राज्य सरकार स्टार्टअप नीति लेकर आयी है ताकि के युवा अपने आइडिया के अनुरूप राज्य में उद्योग लगा सके. इसके लिए सरकार आर्थिक सहायता करने के लिए तैयार बैठी है. इसके लिए सरकार ने कमेटी बनायी है. ये बातें सोमवार को बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के 72वां वार्षिक अधिवेशन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहीं. उन्होंने कहा कि इसके लिए 500 करोड़ रुपये का वेंचर कैपिटल फंड बनाया गया है. स्टार्टअप का चुनाव आवेदन के अाधार पर होगा. जिसका भी चयन होगा. वह पूरी तरह पारर्दशिता होगी. प्रक्रिया बनाकर उसे कड़ाई से पालन करते हुए स्टार्टअप को आर्थिक सहायता मुहैया करायी जायेगी.

अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गयी-सीएम

उन्होंने कहा कि नयी औद्योगिक नीति देश के अन्य राज्य की तुलना में बेहतर है. इससे पूर्व 2006 और 2011 में भी औद्योगिक नीति बनायी गयी थी, लेकिन प्रभावी नहीं था. उस कारण सिंगल विंडो सिस्टम उद्यामियों को लुभाने में सफल नहीं हो सका था लेकिन इस बार सिंगल विंडो सिस्टम में काफी बदलाव लाया गया है और उसे कड़ाई से पालन करने के लिए अधिकारियों को जिम्मेवारी तय की गयी है. कुमार ने कहा कि उद्यमी कहीं उद्योग लगाने को आजाद है. आज यहां का माहौल पूरी तरह बदल चुका है. फिर भी यहां के उद्यमी यहां उद्योग लगाने से कतराते है. जबकि यहां के उद्यमी वैसे जगह जाकर उद्योग लगा रहे है जहां अंडर वर्ल्ड के अपराधियों से भरा पड़ा है वहां उद्योग लगा रहे है. पता नहीं यहां पूंजी क्यों नहीं लगाना चाहते हैं.

डॉन दिखने पर सीधे अंदर-सीएम

उन्होंने उद्योगपितयों को भरोसा दिलाया कि यहां अंडर वर्ल्ड वाला दिखेगा तो वह सीधे अंदर जायेगा. कुमार ने कहा कि उद्यमी से संबंधित जो भी समस्या है उसके लिए सरकार हर पांचवें सोमवार को उद्यमी पंचायत का आयोजन करने वाली है. उस पंचायत में उद्यमी संगठन अपनी बात सरकार के सामने रख सकती है. समस्या को जल्द से जल्द निवारण करने की कोशिश की जायेगी. उन्होंंने कहा कि राज्य सरकार दो औद्योगिक संगठनों के अलावा अन्य किसी संगठन को मान्यता नहीं देती है. अब तो संगठनों को भी जगह-जगह चैप्टर खुलने लगा है. चैप्टर राज्य सरकार की नीति को गलत बताती है जबकि दिल्ली का संगठन उसे सही मानती है. अनेक संगठनों के साथ डील करना संभव नहीं है.

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