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पीएम की उम्मीदवारी पर शरद यादव ने साधी चुप्पी, कहा- समय पर देंगे जवाब

पटना : जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सांसद शरद यादव ने 2019 में प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी पर चुप्पी साध ली है. सोमवार को पटना आने के बाद उन्होंने कहा कि जब समय आयेगा तब इस मसले पर जवाब देंगे. अभी वे अपनी पार्टी का विस्तार कर रहे हैं. उन्होंने शहाबुद्दीन मामले पर कहा कि […]

पटना : जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सांसद शरद यादव ने 2019 में प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी पर चुप्पी साध ली है. सोमवार को पटना आने के बाद उन्होंने कहा कि जब समय आयेगा तब इस मसले पर जवाब देंगे. अभी वे अपनी पार्टी का विस्तार कर रहे हैं. उन्होंने शहाबुद्दीन मामले पर कहा कि वे इस मसले पर कुछ नहीं बोलेंगे, लेकिन महागंठबंधन के लोग मर्यादा में रहें. उन्होंने भाजपा पर हमला किया और कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने केरल में जो बयान दिया है वह दार्शनिक के तरह दिया है. वे नये-नये दार्शनिक हैं. दार्शनिक बोलता है तो उस पर प्रतिक्रिया देना ठीक नहीं है. अल्पसंख्यक वोट बैंक के सवाल पर शरद यादव ने कहा कि कहां कौन कह रहा है कि अल्पसंख्यक वोट बैंक है. देश के सभी नागरिकों के जैसे ही अल्पसंख्यक हैं. पाकिस्तान से युद्ध कोई विकल्प नहीं है. शरद ने अजीत सिंह के बयान का स्वागत किया है.
सात निश्चय कार्यकर्ताओं का करार, मजबूती से करें लागू
शरद यादव ने सात निश्चय पर कहा कि यह पार्टी व कार्यकर्ताओं का करार है. यह केवल नीतीश कुमार व सरकार का करार नहीं है. करार टूटेगा तो पार्टी नहीं बनेगी. इसलिए यह करार नहीं टूटे व इसे मजबूती से लागू करें. देश में किसी भी पार्टी की पहचान उसके चुनाव में किये गये वादों पर निर्भर करता है. अगर वह उन वादों को पूरा करती है तो पहचान अच्छी होती है, नहीं तो जनता का विश्वास नहीं मिलता है.
आज वादे-भाषण वोट के लिए दिये जाते हैं. लोकसभा चुनाव में जो कुछ हुआ सबके सामने है. युवाओं को रोजगार नहीं मिला. किसानों को डेढ़ गुना समर्थन मूल्य जोड़कर नहीं मिला.
भाजपा की बोली और आचरण की भाषा अलग-अलग है. उन्होंने कहा कि जदयू और आगे जायेगी. बिहार ही नहीं, दिल्ली को भी हाथ से घेर के रखें. आज देश के साझा विरासत के टूटने का खतरा है. देश में जो कुछ अंधेरा था और दिल्ली सरकार की आंधी-तूफान के बीच बिहार की जनता गोलबंद हुई और बिहार में महागंठबंधन को प्रचंड बहुमत मिला. यह चुनाव देश के जनमानस का चुनाव हो गया था. इसमें पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं का अहम योगदान रहा.

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