नीतीश कुमार ने की शराबबंदी को लेकर उच्चस्तरीय बैठक, प्रतिबंध पर दृढ़

पटना : पटना उच्च न्यायालय ने बिहार में शराब पर रोक लगाए जाने से संबंधित अधिसूचना को आज रद्द कर दिया लेकिन कुछ घंटों बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुलायी गयी एक उच्चस्तरीय बैठक में फैसला किया गया कि प्रतिबंध जारी रखने के लिए संशोधित शराब कानून पर अधिसूचना को मंजूरी देने की खातिर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 30, 2016 10:26 PM

पटना : पटना उच्च न्यायालय ने बिहार में शराब पर रोक लगाए जाने से संबंधित अधिसूचना को आज रद्द कर दिया लेकिन कुछ घंटों बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुलायी गयी एक उच्चस्तरीय बैठक में फैसला किया गया कि प्रतिबंध जारी रखने के लिए संशोधित शराब कानून पर अधिसूचना को मंजूरी देने की खातिर दो अक्तूबर को कैबिनेट की बैठक बुलायी जायेगी. बैठक में उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने के विकल्प पर भी चर्चा की गयी. उच्च न्यायालय ने पांच अप्रैल की अधिसूचना को रद्द करते हुए कहा कि यह संविधान का उल्लंघन है.

नीतीश ने बुलायी कैबिनेट की बैठक

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति इकबाल अहमद अंसारी और न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह की पीठ ने राज्य में शराब की बिक्री और उपभोग पर रोक से जुड़ी पांच अप्रैल की अधिसूचना को रद्द कर दिया. पीठ ने कहा कि अधिसूचना संविधान का उल्लंघन करने वाला है और इसलिए इसे लागू नहीं किया जा सकता. इसी पीठ ने 20 मई को विभिन्न रिट याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. मुख्यमंत्री ने दो अक्तूबर को अपनी कैबिनेट की बैठक बुलायी है जिसमें संशोधित शराब कानून को अधिसूचना के लिए मंजूरी दिए जाने की संभावना है ताकि राज्य में शराब पर रोक जारी रह सके. राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों ने संशेाधित कानून को पारित कर दिया है और राज्यपाल इसे सहमति दे चुके हैं.

बैठक में सभी वरीय अधिकारी रहे मौजूद

आज की बैठक में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, प्रधान सचिव, आबकारी और प्रतिबंध अमीर सुबहानी तथा प्रधान अतिरिक्त महाधिवक्ता ललित किशोर भी शामिल हुए. अंजनी कुमार सिंह ने पुष्टि की कि दो अक्तूबर को कैबिनेट की बैठक होगी. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह और वरिष्ठ मंत्री राजीव रंजन सिंह ललन भी बैठक में शामिल हुए. बैठक के बाद ललित किशोर ने पीटीआई से कहा कि हम आज के आदेश से संतुष्ट नहीं हैं. आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाने का विकल्प हमारे लिए मौजूद है. उन्होंने कहा कि 150 पृष्ठों के आदेश का अध्ययन करने के बाद आगे के कदम के बारे में फैसला किया जायेगा.

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