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मछलीपालकों को मिलेगा अनुदान

पटना : सूबे के आदिवासी मछलीपालन में दक्ष होंगे. उन्हें इसके लिए अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विभाग विशेष अनुदान देगा. यही नहीं, मछली बेचने में आदिवासियों को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए आदिवासी बहुल आबादी वाले छह जिलों में हाट-बाजार भी खुलेंगे. मछलीपालन अनुदान और हाट-बाजार खोलने के लिए अजा-जजा कल्याण विभाग 2.30 करोड़ रुपये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 1, 2016 5:53 AM
पटना : सूबे के आदिवासी मछलीपालन में दक्ष होंगे. उन्हें इसके लिए अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विभाग विशेष अनुदान देगा. यही नहीं, मछली बेचने में आदिवासियों को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए आदिवासी बहुल आबादी वाले छह जिलों में हाट-बाजार भी खुलेंगे. मछलीपालन अनुदान और हाट-बाजार खोलने के लिए अजा-जजा कल्याण विभाग 2.30 करोड़ रुपये खर्च करेगा. विभाग ने दोनों योजनाओं की स्वीकृति दे दी है.
बिहार के छह जिले क्रमश: जमुई, पूर्णिया, भागलपुर, नवगछिया (पुलिस जिला), बांका और रोहतास में 20 लाख से अधिक आदिवासी परिवार हैं. वे या तो मजदूरी करते हैं या खेती. महुआ शराब पर प्रतिबंध लगने के कारण इस वर्ग ने महुआ शराब बनाने का काम भी बंद कर दिया है. ऐसे में सरकार ने उन्हें मछलीपालन रोजगार से जोड़ने का निर्णय लिया है.
मछलीपालन को बढ़ावा देने के लिए आदिवासियों के घरों के पिछवाड़े में विभाग तालाब बनवायेगा और उसमें मछली के पालन के लिए मत्स्य बीज भी मुहैया करायेगा. मछली पालन के नाम पर आदिवासियों को अनुदान देने के लिए अजा-जजा कल्याण विभाग ने 1.80 करोड़ का बजट बनाया है. इसके अलावा आदिवासी बहुल गांवों-पंचायतों के आस-पास हाट-बाजार के विकास पर विभाग 50 लाख रुपये खर्च करेगा. छहों जिलों के कल्याण पदाधिकारियों को मछलीपालन के लिए आदिवासियों के घरों के पिछवाड़े में तालाब के लिए सर्वे करने को कहा गया है.
अजा-जजा कल्याण विभाग के आदिवासी विंग के अधिकारियों के अनुसार इस योजना से कम-से-कम 12 जिलों में मछली व्यापार के लिए नये बाजार का विकास होगा. यदि बंपर मछली प्रोडक्शन हुआ, तो ओड़िशा-पश्चिम बंगाल में भी इन जिलों की मछलियां सप्लाइ की जायेंगी. अजा-जजा कल्याण विभाग को उम्मीद है कि योजना के तहत उन छहों जिलों में 300 क्विंटल मछली का मासिकउत्पादन होगा.

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