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कठिन होगी छठ घाट की डगर !

परेशानी . गंगा चैनल में भरा पानी, हर बार यहीं से रास्ते का होता है निर्माण दीघा से लेकर कलेक्ट्रेट घाट तक सौ फुट चौड़ा व 40 फुट गहरा है गंगा का नाला पटना : गंगा को शहर के करीब लाने के लिए बना गंगा चैनल इस बार छठ पर्व के लिए बननेवाले रास्ते के […]

परेशानी . गंगा चैनल में भरा पानी, हर बार यहीं से रास्ते का होता है निर्माण
दीघा से लेकर कलेक्ट्रेट घाट तक सौ फुट चौड़ा व 40 फुट गहरा है गंगा का नाला
पटना : गंगा को शहर के करीब लाने के लिए बना गंगा चैनल इस बार छठ पर्व के लिए बननेवाले रास्ते के लिए बाधक बन गया है. अशोक राजपथ से गंगा घाट तक जाने के लिए गंगा चैनल पार करना होता है, लेकिन बाढ़ के बाद इस गंगा के नाले में काफी पानी भर गया है और बहाव भी है. वहीं दीघा से लेकर कलेक्ट्रेट घाट तक गंगा चैनल में चौड़ाई लगभग सौ फुट और गहराई 40 फुट से अधिक है.
हर बार बरसात के बाद गंगा नाले के पानी सुख जाता था और छठ घाटों तक जाने के लिए नाले से ही रास्ता बनाया जाता था. रास्ते का निर्माण नाले में ह्यूम पाइप डाल कर होता है, लेकिन इस बार ह्यूम पाइप से काम नहीं बनेगा. ऐसे मेें पर्व के समय रास्ते का निर्माण प्रशासन, नगर निगम व बुडको के लिए बड़ी परेशानी का सबब होगा.
रास्ता बनाने में लग जाते हैं 20 दिन : रास्ते और घाटों के निर्माण में औसतन 20 दिन का समय एजेंसी लगाती है.इस बार नगर निगम ने दशहरा के बाद और 30 अक्तूबर तक काम पूरा करने का लक्ष्य रखा है. बाढ़ और पुनपुन में पानी का दबाव कम नहीं होने के कारण स्थिति गंभीर बनी हुई है. वहीं, गंगा चैनल के अलावा घाट तक जानेवाले अन्य जगहों पर भी पानी लगा है.
पीपा पुल हो सकता है विकल्प : छठ पर्व में अभी एक माह का समय है. इसकी संभावना है कि गंगा चैनल से पानी निकल जाये. लेकिन इसकी पूरी गुंजाइश है कि गंगा चैनल का पानी न निकले. ऐसे में प्रशासन को पहले से तैयारी करनी होगी. जानकारों के अनुसार गंगा नाला पर पीपा पुल बना कर रास्ता बनाने का विकल्प बनाया जा सकता है.
पांच बड़े घाटों पर होगी रास्ते के निर्माण में दिक्कत
पर्व में सबसे अधिक भीड़ कुर्जी, दीघा, एलसीटी घाट, बांस घाट और कलेक्ट्रेट घाट पर होती है. ये पांचों घाट शहर के अशोक राजपथ से दो से तीन किमी की दूरी पर हैं. इन घाटों का क्षेत्रफल पटना सिटी के घाटों से बड़ा होता है. एक घाट की चौड़ाई गंगा के किनारे दो से चार किमी तक है. यहां पर्व करनेवाले शहरवासियों की संख्या सबसे अधिक होती है. इन घाटों का निर्माण बुडको की ओर से किया जाता है. ऐसे मेें अगर गंगा चैनल का पानी कम नहीं होता, तो इन घाटों पर जाने में लोगों को परेशानी होगी.

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