तल्ख टिप्पणी. HC ने कहा, पीयू के वीसी और रजिस्ट्रार नाकाबिल

– पद नहीं संभलता, तो छोड़ क्यों नहीं देते पटना : पीयू के छात्रावासों को खाली कराये जाने के अपने आदेश के पालन नहीं होने से नाराज पटना हाइकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि यदि कुलपति और रजिस्ट्रार से उनका पद नहीं संभलता है, तो वो पद छोड़ क्यों नहीं देते. मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 5, 2016 7:04 AM
– पद नहीं संभलता, तो छोड़ क्यों नहीं देते
पटना : पीयू के छात्रावासों को खाली कराये जाने के अपने आदेश के पालन नहीं होने से नाराज पटना हाइकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि यदि कुलपति और रजिस्ट्रार से उनका पद नहीं संभलता है, तो वो पद छोड़ क्यों नहीं देते. मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस डाॅ रवि रंजन की कोर्ट ने मंगलवार को यह तल्ख टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि पीयू के वीसी और रजिस्ट्रार नाकाबिल हैं.
कोर्ट ने हॉस्टल खाली कराने में सफल नहीं होने पर कड़ी फटकार लगायी. कोर्ट ने कहा कि प्राचार्य और छात्रावास अधीक्षक भी सक्षम नहीं हैं. कोर्ट सभी छात्रावासों को प्रशासन को सौंप देगा और उसे विधिवत आवंटित करने का निर्देश देगा. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि आपसे छात्रावास नहीं खाली हो रहा है, तो पद छोड़ दीजिये. हम खुद छात्रावास खाली करवा सकते हैं और पिछले साल ऐसा किया भी है. कोर्ट ने कहा कि पिछले साल खाली कराये जाने के बाद कहा गया था कि जांच-पड़ताल के बाद ही उचित आवंटियों को कमरे दी जाये. पर, पीयू तामिल नहीं करवा पाया.कोर्ट ने बुधवार को पटना के जिलाधिकारी और एसएसपी को तलब किया है.
खाली कराया गया सैदपुर हॉस्टल
कोर्ट के आदेश के बाद मंगलवार को सैदपुर हॉस्टल खाली कराया गया. इस दौरान जिला प्रशासन की टीम मौजूद रही. छात्रों ने शांतिपूर्वक हॉस्टल खाली कर दिया. हॉस्टल नंबर-5 को बाद में खाली कराया जायेगा. इसकी पुष्टि पीयू रजिस्टार संजय सिन्हा ने किया है.

बिना एप्रूवल के कैसे दिला दी ट्रेनिंग

पटना. हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को यह बताने को कहा है कि बिना एनसीटीइ की मान्यता के डेढ़ लाख नियोजित शिक्षकों को किस आधार पर इग्नू से ट्रेनिंग दिलायी है. मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस डॉ रवि रंजन की कोर्ट ने शिक्षा विभाग को कड़ी फटकार लगायी. सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद शिक्षा विभाग के सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव को अगले 24 घंटे में सरकार का जवाब उपलब्ध कराने को कहा गया. अब मंगलवार को इसकी सुनवाई होगी. कोर्ट ने शिक्षा सचिव से कहा कि यदि सरकार के जवाब से वह असंतुष्ट हुई, तो डेढ़ लाख नियोजित शिक्षकों की ट्रेनिंग रद्द कर दी जायेगी. सुनवाई के दौरान एनसीटीइ का कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं था. कोर्ट ने 16 सितंबर को पूछा था कि बिना एनसीटीइ की मान्यता व इग्नू के एप्रूवल के किस आधार पर ट्रेनिंग करा दी गयी.

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