धार्मिक एकता का प्रतीक है यज्ञ

नौबतपुर : प्रखंड के चिरौरा गांव में चल रहे चतुर्मास महायज्ञ में शुक्रवार को राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने शिरकत की. मौके पर राज्यपाल ने कहा कि आज बिहारियों की प्रतिभा पर समस्त देश और दुनिया कि निगाहें टिकी हैं. बिहार में सभी तरह का आयोजन होते हैं. इनमें एकता, सद्भावना और देश प्रेम स्पष्ट दिखायी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 15, 2016 5:37 AM
नौबतपुर : प्रखंड के चिरौरा गांव में चल रहे चतुर्मास महायज्ञ में शुक्रवार को राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने शिरकत की. मौके पर राज्यपाल ने कहा कि आज बिहारियों की प्रतिभा पर समस्त देश और दुनिया कि निगाहें टिकी हैं. बिहार में सभी तरह का आयोजन होते हैं. इनमें एकता, सद्भावना और देश प्रेम स्पष्ट दिखायी देते हैं.
उन्होंने कहा कि आज लक्ष्मीनारायण यज्ञ के माध्यम से समाज में देश प्रेम का संदेश जायेगा. इस यज्ञ को शांति का परम विधान माना जाता है साथ ही मानवों का कल्याण होता है.
शांति और मंगल कामना के साथ यह लक्ष्मीनारायण महायज्ञ संपन्न हो रहा है. इस यज्ञ में सनातन धर्म के लोग एकता और सद्भावना का संदेश ग्रहण करें तथा समाज को एक अच्छा संदेश दें. वहीं, यज्ञ में शामिल होने पहुंचे केंद्रीय राज्यमंत्री रामकृपाल यादव ने कहा कि आज सभी लोग धार्मिक आयोजन में शामिल होते हैं. धार्मिक आयोजन शामिल होना बहुत ही अच्छी बात है, किंतु वहां के मंच को राजनीतिक मंच न बनाएं. कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद डाॅ सीपी ठाकुर, पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह, पूर्व विधायक अनिल कुमार ,रामजन्म शर्मा और उषा विद्यार्थी, स्वामी हरि नारायाणानंद जी महराज व अखिलेश कुमार मौजूद थे.
पटना : भागवत कथा के श्रवण मात्र से परमात्मा से मिलन होता है. भागवत कथा ऐसा माध्यम है जिससे मुक्ति की प्राप्ति हो जाती है. मनुष्य पुन: जन्म के चक्र से मुक्ति पा लेता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. नागाबाबा ठाकुरबाड़ी में श्री मदभागवत कथा की शुरुआत करते हुए अपने प्रवचन में ये बातें स्वामी नरहरिदास जी ने कहीं. भगवान की आरती उतारने के बाद उन्होंने भावगत के बारे में बताया कि जो भगवान के बारे में जानकारी दे वही भागवत है.
भगवान की कृपा उन्हीं को प्राप्त होती है, जो अपना सारा अहंकार त्याग कर दीन हीन भावना से प्रभु के समक्ष शरणागत होते हैं. भगवान को गोविंद नाम सर्वाधिक प्रिय है, गोविंद के स्मरण से ही सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. धुंधकारी ऐसा प्रेत भी प्रेतत्व से मुक्त हो गया जब उसने भागवत कथा सुनी. शुक्रवार की कथा में भागवत महिमा सुनकर लोग भावविभोर हो गये. पहले दिन उन्होंने भागवत के सुनने की विधि और फल भी बताया. उन्होंने कहा कि सात दिनों तक धर्मपूर्वक रहना जरूरी है, भोग लगाने वाला भोजन करना चाहिए और भोग जब मंत्र पढ़कर लगा दिया जाये तभी ग्रहण करना चाहिए.
पहले दिन भक्ति नारद संवाद, आत्मव्यामोक्ष, गोकरणोआख्यान, धुंधकारी धामगमण, भागवत श्रवण विधि और फल के बारे में बताया गया. आज युद्धिष्ठिर जी का राज्याभिषेक और परिक्षित जी के जन्म के बारे में बताया जायेगा. मौके पर वृंदावन के राधावल्लभ शरण, धनंजय मिश्र, मनमोहन शरण, उमाशंकर और गुप्तेश्वर जी मौजूद थे.

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