पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में विधिवत निर्वाचन के बाद अपने पहले संबोधन में नीतीश कुमार ने जहां एक ओर पाकिस्तान को दो टूक जवाब देने और आतंकवाद से निबटने को लेकर केंद्र सरकार द्वारा उठाये गये किसी भी कदम का समर्थन देने का एलानकिया, वहीं दूसरी ओर किसान, रोजगार, दलित और अल्पसंख्ययकों के मसलों पर मोदी सरकार की जम कर खिंचाई भी की़ उन्होंने कहा कि बिहार में सरकार की जिम्मेवारी के साथ ही देश भर में घूमेंगे और जदयू के एजेंडे को लेकर जायेंगे.
सवा घंटे के अपने भाषण में जदयू अध्यक्ष ने शराबबंदी को लेकर सभी राज्यों में मुहिम चलाने के लिए जदयू कार्यकर्ताओं का आह्वान किया़ खचाखच भरे कन्वेंशन में उन्होंने जब कहा कि शराबबंदी कामयाब होगा, तो उत्साहित कार्यकर्ताओं ने ‘अबकी बार- नीतीश कुमार’ के जोरदार नारे लगाये. खुले अधिवेशन में झारखंड के पहले मुख्यमंत्री और जेवीएम के अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे़.
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले समाजवादी परिवार की एकजुटता को लेकर हुई पहल की चर्चा करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि हम सबने मुलायम सिह यादव को अपना नेता मान लिया था. उन्हीं को संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाते हुए माला भी पहना दिया, लेकिन मुलायम खुद बाहर निकल गये. बिहार के चुनाव में उन्होंने जो रोल अदा किया, उसी का अभिशाप है कि आज यूपी में आपस में झगड़ा शुरू हो गया है. उन्हें लड़ना भाजपा के साथ चाहिए, लेकिन वे आपस में ही लड़ रहे हैं. पुराना संबंध है, इसलिए मुझे अच्छा नहीं लगता. उन्होंने कहा कि यूपी विधानसभा चुनाव के लिए जदयू अपना काम कर रहा है. यूपी में अभी आठ सम्मेलन हो चुके हैं.
उन्होंने यूपी से आये जदयू नेताओं को पार्टी एजेंडे पर काम करते रहने का निर्देश दिया. कहा कि यूपी के साथ ही दिल्ली में भी काम हो रहा है. झारखंड में भी काम हो रहा है. झारखंड सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि वहां ऊपर से सरकार चल रही है. हमने वहां के मुख्यमंत्री से शराबबंदी लागू करने की अपील की, तो उन्होंने बिहार से सटे इलाके में शराब की आपूर्ति बढ़ा दी. उन्होंने कहा कि झारखंड में बाबू लाल मरांडी की अगुआई में अगली सरकार बनेगी और यह सरकार प्रदेश में शराबबंदी को लागू करेगी. उन्होंने दुमका में जेवीएम के कार्यक्रम में शामिल होने की घोषणा की.
उन्होंने भाजपा का नाम लिये बगैर कहा कि जो पार्टी एेसा कर रही है, उसे आप रोकिए. यह दूसरों को नहीं, सिर्फ आपको रोकना है. आप देश के प्रधानमंत्री हैं, अकेले भाजपा के नेता नहीं. पूरा राष्ट्र एक है. यदि कोई इस मसले को देश की अंदरूनी राजनीति का हिस्सा बनाना चाहता है, तो उसे आप रोकिए. उन्होंने कहा कि आप जय श्रीराम बोलिए, मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन आपके बोलने के तुरंत बाद प्रवीण तोगड़िया ने मंदिर बनवाने की मांग भी कर दी.
प्रधानमंत्री के नाम का जिक्र किये बिना कहा कि जिस मुद्दे पर आपको वोट मिले, उस पर काम करिए. देश का फायदा, कॉमन सिविल कोड, धारा 370 और मंदिर निर्माण जैसे मुद्दे से नहीं होगा, सबके विकास से होगा. देश की राष्ट्रीय विकास दर गिर कर सात प्रतिशत पर पहुंच गयी है. किसान निराश हो रहे हैं. रोजगार नहीं मिल रहा है. सालाना दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य कहीं नहीं रहा. किसानों की मजबूरी इस बात से समझी जा सकती है कि जाट, पाटीदार और मराठा जैसे सशक्त खेतिहर वर्ग भी अब आरक्षण की मांग कर रहे हैं. प्रधानमंत्री को इसे देखना होगा. एग्रेगेरियन क्राइसिस का दौर है. जीएम सरसों को लाया जा रहा है. हमने पहले की सरकार में भी इसका विरोध किया था. वे लोग मान गये. अब जीएम सरसों थोपा जा रहा है, जबकि राज्यों की सहमति के बिना इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए. हम बिहार में किसी भी कीमत पर इसे लागू नहीं होने देंगे. जीएम सरसों का असर शहद पर भी पड़ेगा. देश अधिक दिनों तक इन चीजों को स्वीकार नहीं करेगा.
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की चर्चा करते हुए शरद यादव ने कहा कि वे कहते थे कि किसान जब अपनी खेत पर जाये, तो एक ओर फसल को देखे और दूसरी ओर दिल्ली की ओर देखे. दिल्ली में ही सब चीजों की चाबी है. 18 लाख करोड़ का बजट है. उन्होंने चुनाव में धन के प्रयोग पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अब पंचायत के चुनाव में भी दो से तीन करोड़ खर्च होने लगे हैं.
ऐसे समय में नीतीश कुमार के नेतृत्व में लोगों की आस जगी है. संपूर्ण देश की जनता विकल्प को ढूंढ़ रही है. कौन नेता हमारा नेतृत्व करेगा, यह सवाल है. उन्होंने बिहार जदयू से अपील की कि बिहार के लिए नीतीश कुमार ने बहुत कुछ किया है, अब देश को उनकी जरूरत है. पिछले लोकसभा चुनाव की चर्चा करते हुए मरांडी ने कहा कि केंद्र की सत्ता में बैठी पार्टी और उसके नेता ने देश को सपने दिखाये और आज पूरी तरह से उन सपनों को उड़ा दिया. अब उसे जुमला करार देते हैं. दूसरी ओर लोग पूछ रहे हैं कि अब क्या होगा? अब कहां गये अच्छे दिन? किसान, मजदूर, नौजवान, आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़ा, हर कोई परेशान तबाह है.
भाजपा पहले नैतिकता की बात करती थी. उन्होंने कहा कि झारखंड में जब से सरकार बनी संविधान की धज्जियां उड़ रही हैं. देश में मजबूत विकल्प और विश्वसनीय नेतृत्व की जरूरत है. जदयू के पास नेता भी हैं और अनुभव भी. हम सब की जिम्मेवारी बनती है कि मजबूत विकल्प पेश करें और अच्छी सरकार बना सके. जब से नीतीश कुमार ने झारखंड का दौरा किया है, सबसे अधिक भाजपा के लोग परेशान होते हैं. संकट, विचार और विश्वसनीयता की दृष्टिकोण में इस रिक्तता को कोई भर सकता है तो वह नीतीश कुमार हैं.
नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि जब से वह पीएम बने हैं, तीन बार भूमि अध्यादेश कानून में संशोधन लाने की कोशिश की है. झारखंड में किसानों की जमीन जबरदस्ती छीनी जा रही है. विरोध करने पर लाठी और गोली चल रही है. आधा दर्जन लोग मारे गये हैं और सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं. भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है. काॅरपोरेट घरानों को लाभ देने के लिए हर दिन कानून को नये सिरे से परिभाषित करते हैं. उन्होंने कहा कि 60 महीने का समय प्रधानमंत्री ने मांगा था. आधा समय बीत गया है. उनके पास जनता के बीच जाने के लिए कोई भी मुद्दा नहीं है. किसानों को धोखा हुआ है. नौजवान निराश है और इसलिए उन्माद पैदा किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड में अब अल्पसंख्यक वर्ग को गाय पालना भी मुश्किल हो गया है.