बिहार सरकार रॉकी यादव को मिली जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी

पटना : पटना उच्च न्यायालय द्वारा गया जिले में रोड रेज में छात्र आदित्य सचदेवा की हत्या के मुख्य आरोपी रॉकी यादव को जमानत दिये जाने के फैसले को बिहार सरकार ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय किया है. बिहार में सत्ताधारी पार्टी जदयू से निलंबित पार्षद मनोरमा देवी और राजद के बाहुबली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 20, 2016 5:05 PM

पटना : पटना उच्च न्यायालय द्वारा गया जिले में रोड रेज में छात्र आदित्य सचदेवा की हत्या के मुख्य आरोपी रॉकी यादव को जमानत दिये जाने के फैसले को बिहार सरकार ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय किया है. बिहार में सत्ताधारी पार्टी जदयू से निलंबित पार्षद मनोरमा देवी और राजद के बाहुबली नेता बिंदी यादव के पुत्र रॉकी यादव को आदित्य हत्या मामले में गत आठ मई को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था.

सुप्रीम कोर्ट में याचिका होगी दायर

बिहार के मुख्य अतिरिक्त महाधिवक्ता ललित किशोर ने आज बताया कि राज्य सरकार पटना उच्च न्यायालय द्वारा रॉकी यादव को दी गयी जमानत के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करेगी. यह पूछे जाने पर राज्य सरकार द्वारा कब तक इस मामले में उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की जायेगी किशोर ने कहा कि अगले सोमवार तक हम अपील दायर करने की कोशिश करेंगे.हालांकि, राज्य सरकार ने विस्तृत जानकारी देने से इंकार कर दिया. गत 6-7 मई की रात्रि में गया जिला के रामपुर थाना अंतर्गत पुलिस लाईन के समीप वाहन ओवर टेक करने को लेकर हुए विवाद में रॉकी यादव ने 12वीं कक्षा के छात्र आदित्य सचदेवा :19: की गोली मारकर हत्या कर दी थी. आदित्य सचदेवा हत्या मामले के मुख्य आरोपी रॉकी यादव ने गत 10 मई को बोधगया थाना अंतर्गत मस्तपुरा गांव स्थित मिक्सर प्लांट परिसर से हत्या में इस्तेमाल पिस्टल के साथ गिरफ्तार कर लिया था.

मनोरमा देवी भी गयीं थी जेल

इससे पूर्व आठ मई को मनोरमा देवी के पति बिंदी यादव तथा उनके सरकारी अंगरक्षक राजेश कुमार को गिरफ्तार कर हिरासत में जेल भेज दिया गया था. इस मामले के एक अन्य आरोपी तथा रॉकी के सहयोगी टेनी यादव ने गत 16 मई को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था. बिहार सरकार ने इस मामले का स्पीडी ट्रायल कराने का निर्णय लेते हुए इस हत्याकांड की जांच घटना के तीन सप्ताह के भीतर पूरा करते के साथ इससे संबंधित आरोपपत्र एक महीने के अंदर अदालत में पेश कर दिया था.

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