पटना : देशव्यापी खाते में वायरस की लगी सेंध के बाद बैंक उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ गयी है. जिस तरह बैंक खाते की जानकारी लीक कर साइबर अपराधी आम लोगों की मेहनत की कमाई चुरा रहे हैं. इससे खातों की गोपनीयता बरकरार रखनी बड़ी चुनौती बन गयी है. हैकर अब न सिर्फ वायरस, बल्कि एटीएम माध्यमों से भी छेड़छाड़ कर बैंक ग्राहकों को चपत लगा रहे हैं. हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आये है.
एटीएम के सेंसर से कर रहे छेड़छाड़
साइबर अपराधियों की ओर से एटीएम से पैसा निकाल ने के लिए अब मशीन की सेंसर से छेड़छाड़ कर रहे हैं. इससे एटीएम का सेंसर बैंकों के स्विच सेंटर को पैसे निकासी के बारे में सही रिपोर्ट नहीं दे पा रहा है. पटना में दो माह के अंदर चार मामले सामने आये हैं. इसमें यूपी के बस्ती, कानपुर, मुंबई गोरे गांव तथा कोलकाता के खाता धारकों का गांधी मैदान इलाके के एटीएम से पैसा निकाला गया है. इस मामले में केस तो दर्ज नहीं हुआ है. लेकिन, खाता धारकों ने बैंकों में शिकायत जरूर की है. यह सभी मामले एसबीआइ से जुड़े हैं.
ऐसे हो रहा फ्रॉड
साइबर क्रिमिनल का एक गैंग है, जो अलग-अलग राज्यों में काम कर रहा है. यह इतने एक्सपर्ट हैं कि एटीएम में घुसने के बाद उसके सेंसर से छेड़छाड़ कर दे रहे हैं. इसका प्रभाव यह हो रहा है कि खाते से पैसा तो निकल जा रहा है. लेकिन, बैंकों के स्विच सेंटर को जाे रिपोर्ट जा रही हैं. उसमें पैसा नहीं निकलने की बात दिख रही है, जबकि कैश डिपाेजिट मशीन से जब लेन-देन के ब्योरा का मिलान किया जा रहा है, तो पैसा निकला हुआ पता चल रहा है. बैंक एक्सपर्ट की मानें, तो इस तरह के अपराधी अगर 10 हजार की निकासी कर रहे हैं, तो एटीएम मशीन में दो नोट छाेड़ दे रहे हैं.
कानपुर, मुंबई व कोलकाता का पैसा पटना में निकला
बैंकों के नेशनल कॉल सेंटर से भी डेटा लीक करा रहे हैं हैकर एटीएम फ्रॉड मामले में यह बात भी सामने आयी है कि बैंकों के नेशनल कॉल सेंटर से भी डाटा लीक हाे रहा है. इसकी जांच सुरक्षा विशेषज्ञ बड़े पैमाने पर कर रहे हैं. फिलहाल एटीएम सुरक्षा को लेकर बिहार में आर्थिक अपराध शाखा, साइबर सेल ने बैंकों से रिपोर्ट तलब की है.
बैंक खाता पटना में, दिल्ली में निकाला 40 हजार, प्राथमिकी दर्ज
पटना. साइबर क्रिमिनल की नजर सैलरी एकाउंट वाले एटीएम धारकों पर है. खास करके शिक्षिकाओं के खाते से पैसे उड़ाये जा रहे है. गर्दनीबाग के पंजाबी कॉलोनी में शिक्षिका के खाते से दो माह पहले पैसा निकाले जाने के बाद एक बार फिर दूसरी शिक्षिका को निशाना बनाया गया है. ताज्जुब यह है कि इस बार न तो काेई कॉल आया है और न ही पासवर्ड पूछा गया है और क्रिमिनल ने 40 हजार रुपये निकाल लिये है. खाता धारक को जानकारी तब हुई, जब पैसा निकासी के बाद उसके मोबाइल पर एसएमएस आया. शिक्षिका ने शास्त्रीनगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी है.
दरअसल राजवंशी नगर निवासी सोना कुमार की पत्नी रूबी शिक्षिका हैं. उनका राजवंशीनगर एसबीआइ में बैंक एकाउंट है. यह उनकी सैलरी एकाउंट है. रूबी के मुताबिक शुक्रवार की रात वह सो रही थी कि अचानक उनके मोबाइल नंबर पर दो एसएमएस आया. उसमें दो बार में 40 हजार रुपये के निकासी की जानकारी दी गयी. पैसा 12:12 बजे और 12:13 मिनट पर निकाला गया है. इसके बाद शनिवार की सुबह शिक्षिका ने संबंधित बैंक में संपर्क किया, तो उन्होंने एफआइआर कराने की बात कहीं. इसके बाद रूबी ने शास्त्री नगर थाने में कांड संख्या 522/16 के तहत धोखाधड़ी, चोरी और 66 आइटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है.
साइबर क्रिमिनल से मेल एकाउंट को एेसे बचाएं
– अंतरराष्ट्रीय एथिकल हैकर व साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ अंकित फाड़िया के मुताबिक सबसे घातक वायरस सॉफ्टवेयर है ट्रोजन. बाजार में कुछ लोकप्रिय ट्रोजन सॉफ्टवेयर हैं नेटबज, सब-सेवेन, बैक ओरिफिस. यदि किसी भी साइबर अपराधी को आपके कंप्यूटर का आइपी एड्रेस पता हो, तो वह आपके कंप्यूटर में अपने सिस्टम से ट्रोजन लोड कर सकता है. किसी को अपने कंप्यूटर आइपी एड्रेस की जानकारी न दें.
– आप कब कौन-सी साइट पर विजिट करते हैं. इसकी जानकारी निकालना साइबर अपराधियों के लिए बेहद आसान है. इससे बचने के लिए अपने कंप्यूटर में anonymizer.com नामक सॉफ्टवेयर डाउनलोड करें. इसके बाद आपकी साइबर गतिविधियों की जानकारी उनको नहीं हो पायेगी.
– आम तौर पर हम अपना पासवर्ड छोटा रखते हैं, जो आसानी से हैक हो सकता है. प्रयास यह करें कि आपका मेल अकाउंट का पासवर्ड 14 डिजीट से अधिक हो. क्योंकि, पासवर्ड हैकिंग सॉफ्टवेयर से 14 डिजीट से बड़े पासवर्ड को हैक करना बेहद मुश्किल है.
-साइबर अपराधी iplogger.org का इस्तेमाल कर आपके कंप्यूटर का आइपी एड्रेस प्राप्त कर सकते हैं. इसलिए, किसी भी अनजाने मेल को खोलने में सावधानी बरतें.
– अपना सेलफोन लापरवाही से अपने किसी दोस्त को भी इस्तेमाल न करने दें. वह चुपके से एक एप आपके फोन में लोड कर आपकी जासूसी कर सकता हैं. आपकी गतिविधियों पर नजर रख सकता है और आपके सभी फोन डेटा व फोटो इत्यादि को देख और पढ़ सकता है. मोबाइल- स्पाइ, स्पाइ-फोन-गोल्ड और फ्लेक्सी-स्पाइ. इस एप की सबसे खतरनाक बात यह है कि यह इंस्टॉल, तो स्पाइ एप के रूप में होगा. परंतु, यह मोबाइल में नजर एंड्राइड सिस्टम अपडेट के रूप में आयेगा, जिसे हम समझेंगे कि यह तो हमारे मोबाइल सिस्टम का अपग्रेडेशन सॉफ्टवेयर है.
– अपने मेसजे या डाटा को शेयर करने के लिए बेहद सुरक्षित एप है wickr जिसे इंस्टाॅल कर हम फोन को सुरक्षित रख सकते हैं.
– अपना नेट पासवर्ड या एटीएम पासवर्ड बहुत आसान नहीं रखें. ताकि आपके करीबी को उसका अनुमान हो जाये. कई बार करीबी ही आपके साथ हुए साइबर अपराध की जड़ होते हैं.
– यदि आप स्काइप के माध्यम से भेजे गये वीडियो को सुरक्षित सही व्यक्ति तक पहुंचाना चाहते हैं, तो redphone एप का इस्तेमाल करें.